कैबिनेट: अब 24 सप्ताह तक गर्भपात कराने की अनुमति

Unsafe abortion

असुरक्षित गर्भपात रोकने के लिए सरकार उठाएगी बड़ा कदम (Unsafe abortion)

  • चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े दो विधेयकों में आधिकारिक संशोधनों को मंजूरी

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। सरकार ने महिलाओं के हितों की रक्षा और मातृ मृत्यु दर कम करने के उद्देश्य से देश में गर्भपात की समय सीमा गभार्धान के 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह तक करने संबंधी विधेयक को बुधवार को मंजूरी दे दी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की हुई बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी गयी। इस विधेयक को संसद के आगामी बजट सत्र में पेश किया जायेगा। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बैठक के बाद बताया कि गर्भपात की अवधि बढ़ाने की माँग महिलाओं की ओर से की जा रही थी। इसके अलावा चिकित्सकों की सिफारिश और न्यायालय का इस संबंध में आग्रह था।

सरकार ने इस संबंध में परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के नेतृत्व में एक मंत्री समूह का भी गठन किया था। पहले गर्भपात की अवधि 20 सप्ताह तक थी। जावड़ेकर ने कहा कि माना जाता है कि असुरक्षित गर्भपात के कारण आठ प्रतिशत महिलाओं की मृत्यु होती है। कई बार बलात्कार की शिकार दुर्बल और बीमार महिलाओं तथा नाबालिग लड़कियों को गर्भधारण करने का पता ही नहीं चलता था और वे असुरक्षित ढंग से गर्भपात करा लेती थीं। कुछ मामलों में उनकी मौत भी हो जाती थी।

  • विधेयक में सरकारी चिकित्सकों की सिफारिश पर गर्भपात 24 सप्ताह तक गर्भपात का प्रावधान होगा।
  • वर्ष 2014 से सरकार इस मामले को लेकर विभिन्न पक्षों से विचार-विमर्श कर रही थी।
  • केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयोग विधेयक, 2019 (एनसीआईएम) में है।
  • राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग विधेयक, 2019 में अधिकारिक संशोधनों को मंजूरी प्रदान कर दी है।
  • दोनों विधेयक राज्यसभा में लंबित है।

पूर्वोत्तर परिषद के आवंटन का 30 प्रतिशत हिस्सा पिछड़े क्षेत्रों पर व्यय होगा

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पूर्वोत्तर परिषद के कुल आवंटन का 30 प्रतिशत हिस्सा पिछड़े क्षेत्रों में नयी परियोजनाओं पर व्यय करने का प्रावधान किया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि पूर्वोत्तर परिषद के कुल आवंटन का 30 प्रतिशत हिस्सा नयी परियोजनाओं पर व्यय होगा और ये परियोजनायें पिछड़े क्षेत्रों, समाज के वंचित तबकों और नये उभरते उद्योग क्षेत्रों में शुरू होंगी। पूर्वोत्तर परिषद के लिए ‘पूर्वोत्तर परिषद योजनायें’ के अंतर्गत विशेष आवंटन किया जाता है। सरकार का यह निर्णय ‘एक्ट इन नॉर्थईस्ट’ नीति के अनुरुप है। इससे पूर्वोत्तर क्षेत्र के विकास को बढ़ावा मिलेगा और उद्योग धंधे प्रोत्साहित होगें।

 

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