जब इंसानियत पर संकट आया है तो उम्र क्या देखना!

Sirsa Flood
गांव रंगा में तटबंध को मजबूत करते सेवादार।

सजग प्रहरी: युवाओं के साथ बुजुर्ग सेवादार भी बचाव कार्य में जुटे, बोले

  • मत्तड़, मल्लेवाला व रंगा में नहीं टला अभी खतरा | Sirsa Flood

ओढां। (सच कहूँ/राजू) ‘सेवा हमारा कर्म है-सेवा हमारा धर्म है। धरती हिले, बादल फटे, आए सुनामी। नदी की बहती धार या सूखे धरा। मुश्किल में प्राण हो, सैलाब हो या आग हो। हमको दो आवाज जरा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां द्वारा वर्ष 2001 में इंसानियत हित में बनाई गई शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग पिछले 22 वर्षांे से लगातार इंसानियत की सेवा में जुटी है। इस समय भी प्राकृतिक आपदा की इस घड़ी में अपनी जान की परवाह किए ग्रीन एस के सेवादार लोगों को बचाने में जुटे हैं। Sirsa Flood

शुक्रवार देर रात्रि गांव रंगा, मत्तड़ व मल्लेवाला में घग्गर नदी के तटबंधों में कटाव होने के चलते लोगों की जान सांसत में आ गई। मल्लेवाला में तो स्थिति काफी विकट हो गई थी। अगर थोड़ी देर और हो जाती तो गांव मल्लेवाला व बुढ़ाभाणा के अलावा साथ लगते अन्य क्षेत्र में घग्गर बड़ी तबाही मचा सकती थी। गांव रंगा में पनिहारी की तरफ जाने वाले तटबंध के एक हिस्से में तक रीबन 15 से 20 फुट कटाव हो गया। जिसके बाद रात्रि को ही शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने मौके पर पहुंचकर मोर्चा संभाला। सेवादार कमर में रस्से बांधकर नदी में उतर गए और मिट्टी से भरे थैले लगाकर कटाव रोकने का कार्य किया। Sirsa Flood

मौके पर मौजूद रोड़ी ब्लॉक के प्रेमी सेवक पवन इन्सां ने बताया कि तटबंध में कटाव होने की सूचना मिलने के बाद सेवादार रात्रि को ही तुरंत मौके पर पहुंच गए थे। उन्होंने बताया कि रंगा में स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन सेवादार तटबंधों को मजबूत करने में जुटे हुए हैं। उन्होंने बताया कि शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार करीब 2 कि लोमीटर के क्षेत्र में दिन-रात न केवल निगरानी कर रहे हैं बल्कि लिकेज संभावित जगहों को भी मजबूत कर रहे हैं।

मत्तड़ में भी हो रहा कटाव, खतरा अभी टला नहीं | Sirsa Flood

गांव मत्तड़ में हरियाणा क्षेत्र के तटबंध में कटाव होने से रह-रहकर मिट्टी के तोंदे गिरने के चलते अभी तक खतरा टला नहीं है। प्रशासन द्वारा लोगों के सहयोग से उक्त क्षेत्र में बांध के निकट पिछले 3 दिनों से एक और बांध बनाया जा रहा है। फिलहाल गांव मत्तड़, रंगा, पुरानी चामल, मल्लेवाला में प्रशासन की विशेष नजर है। शनिवार को शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने मत्तड़ में पहुंचकर लोगों के साथ मिलकर तटबंध को मजबूत करने का कार्य शुरू किया। अगर यहां से जरा सा भी पानी का रिसाव हुआ तो स्थिति काफी विकट हो जाएगी, क्योंकि गांव मत्तड़ घग्गर से काफी नीचा है।

जान जोखिम में फिर भी जुटे | Sirsa Flood

हालांकि इस स्थिति में काफी समाजसेवी संस्थाएं व लोग सराहनीय सेवाएं दे रहे हैं, लेकिन शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों का सेवा का जज्बा सबसे हटकर है। सेवादार कमर में रस्से बांधकर नदी में उतरकर तटबंधों को मजबूत कर रहे हैं। घग्गर में सांप व अन्य जहरीले जानवर बहकर आ रहे हैं। ऐसे में सेवादार जान जोखिम में डालकर लोगों को बचाने में जुटे हुए हैं। सेवादारों को इस तरह से सेवा करते देख हर कोई उनकी मुक्त कंठ से प्रशंसा कर रहा है।

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बहादुरी का काम

बचाव कार्य में जहां शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के युवा सेवादार डटे हुए हैं तो वहीं बुजुर्ग सेवादार भी पीछे नहीं है। वे भी युवा सेवादारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर सेवा में जुटे हैं। बुजुर्ग होने के बावजूद भी मिट्टी के थैले उठा-उठाकर सेवा कर रहे बुजुर्ग सेवादारों ने पूछे जाने पर मुस्कुराते हुए जवाब दिया कि जब इंसानियत पर संकट आया है तो फिर उम्र क्या देखना। ये सब पूज्य गुरु जी के आशीर्वाद से ही संभव हो रहा है। सेवादारों के सेवा के जज्बे को देखकर लोग उनकी खूब सराहना कर रहे हैं।

मल्लेवाला में हुई स्थिति विकट | Sirsa Flood

शुक्रवार रात्रि गांव मल्लेवाला की तरफ घग्गर का तटबंध टूट गया। देखते ही देखते पानी के बहाव ने साथ लगती सैकड़ों एकड़ फसल को चपेट में ले लिया और पानी गांव को बचाने के लिए बनाए गए रिंग बांध तक पहुंच गया। सूचना के बाद जिला उपायुक्त डॉ. पार्थ गुप्ता सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पानी गांव बुढ़ाभाणा की तरफ न जाए इसके लिए अधिकारियों ने मल्लेवाला से नेजाडेला कलां वाया सरसा जाने वाली सड़क को तुड़वाया।

जिसके बाद पानी का बहाव कम हुआ। अगर ये सड़क न तोड़ी जाती तो पानी बुढ़ाभाणा व किराड़कोट सहित अन्य गांवों में पहुंच जाता। बुढ़ाभाणा व मल्लेवाला के बीच से होकर गुजरने वाली मल्लेवाला माइनर पूरी तरफ से घग्गर के पानी में बह गई। लोगों ने ट्रैक्टर-ट्रालियां लेकर गांव की तरफ आने वाली सड़क पर मिट्टी डालते हुए उसे और ऊंचा किया।

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