रूहानी स्थापना माह के शुभ भंडारे पर बरनावा आश्रम में उमड़ा साध-संगत का जनसैलाब

साध-संगत के जोश, जुनून, अटूट विश्वास और अथाह श्रद्धा के सामने प्रबंधन के सारे प्रबंध पड़े छोटे

  • जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को दी पौष्टिक आहार की किटें
  • पक्षी उद्धार मुहिम के तहत बांटे 175 मिट्टी के सकोरे
  • एकता में रहकर 156 मानवता भलाई कार्यो में बढ़-चढकर भाग लेने का साध-संगत ने लिया संकल्प

बरनावा (सच कहूँ/रकम सिंह)। सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा के रूहानी स्थापना माह का शुभ भंडारा रविवार को उत्तर प्रदेश के शाह सतनाम जी आश्रम बरनावा (Barnawa) में उत्तराखंड व उत्तर प्रदेश की साध-संगत द्वारा बड़ी धूम-धाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया। पावन भंडारे के अवसर पर आयोजित नामचर्चा में भारी तादाद में साध-संगत ने भाग लिया। उमड़ी साध-संगत के जोश, जुनून, अटूट विश्वास और अथाह श्रद्धा के सामने डेरा सच्चा सौदा प्रबंधन द्वारा किए गए सारे प्रबंध छोटे पड़ गए और नामचर्चा की समाप्ति तक साध-संगत का अनवरत आना जारी रहा। वहीं पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए स्थानीय साध-संगत की ओर से नामचर्चा की समाप्ति पर 156 मानवता भलाई कार्यों को बढ़ावा देते हुए जननी सत्कार मुहिम के तहत 29 गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार की किटे दी गई।

साथ ही गर्मी के मौसम को मद्देनजर रखते हुए पक्षी उद्धार मुहिम के तहत 175 मिट्टी के सकोरे बांटे गए, जिसमें पक्षियों के लिए रोजाना चोगा-पानी रखा जाएगा। नामचर्चा की शुरूआत में साध-संगत ने धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का इलाही नारा लगाकर पूज्य गुरु जी को रूहानी स्थापना माह की बधाई दी। भंडारे की नामचर्चा में उपस्थित साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के पावन वचनों पर अमल करते हुए एकता में रहने का अपने दोनों हाथ खड़े कर संकल्प लिया।

जिक्रयोग है कि बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज ने 29 अपै्रल 1948 को डेरा सच्चा सौदा की स्थापना की। इस महीने को डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत रूहानी स्थापना माह के रूप में मनाती है और रविवार को उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड की साध-संगत ने इसे रूहानी स्थापना माह के भंडारे के रूप में मनाया है। पूजनीय सार्इं जी, परम पिता शाह सतनाम जी महाराज और वर्तमान में पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के पावन सान्निधय में रूहानियत के इस सच्चे दर से जुड़कर करोड़ों लोग नशे व सामाजिक बुराईयां छोड़ चुके हैं।

रविवार को सुबह 11 बजे धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा का पवित्र व इलाही नारा लगाकर शुभ भंडारे की नामचर्चा की शुरूआत की गई। इसके पश्चात कविराजों ने सुंदर भजनवाणी के माध्यम से सतगुरु की महिमा गुणगान किया। बाद में नामचर्चा पंडाल में लगाई गई बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीनों के माध्यम से साध-संगत ने पूज्य गुरु जी के रूहानी वचनों को ध्यानपूर्वक सुना।

हर क्षेत्र का चहुंमुखी विकास करने में रामबाण है ब्रह्मचर्य: पूज्य गुरु जी

  रूहानी स्थापना माह के शुभ भंडारे पर उपस्थित साध-संगत को अपने रूहानी वचनों से निहाल करते हुए फरमाया कि बच्चे पूछते हैं कि कैसे ब्रह्मचर्य संभव है? बड़ा मुश्किल होता है छोटी सी उम्र में अपने आप को कंट्रोल करना और जो कंट्रोल कर गया वो ही सर्वोत्तम होता है। उत्तम होता है, अच्छे बहुत होते हैं। लेकिन सर्वश्रेष्ठ वहीं होता है जो अपने आप पर कंट्रोल पाना सीख जाता है। इसलिए आत्मबल से ही ब्रह्मचर्य संभव है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि ब्रह्मचर्य के लिए इंसान को अपने खानपान में कुछ चीजों को शामिल करना पड़ेगा और बदलाव लाना होगा।

 

ऐसी चीजों से भी परहेज रखना होगा जो बेहद गर्म हो। ऐसी चीजों को भी नहीं खाना चाहिए जो इंसान को ब्रह्मचर्य का पालन करने में परेशान करती हो। इंसान को अपनी दिनचर्या में सात्विक भोजन को शामिल करना होगा। तभी आप ब्रह्मचर्य का पालन कर पाएंगे। इंसान को स्वस्थ भोजन करना चाहिए। पूज्य गुरु जी ने कहा कि अगर इंसान सातों दिन कुछ अट-पटा खाता रहता है तो उसकी बॉडी को पावर नहीं मिलती। जिससे उसके सोचने की शक्ति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए इंसान को अपने जीवन में संतुलित डाइट बनाकर रखनी चाहिए। पूज्य गुरु जी ने आॅर्गेनिक खाने को अपने जीवन में शामिल करने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर इंसान आॅर्गेनिक खाना खाता है तो शरीर को जरूर शक्ति मिलती है और शरीर स्वस्थ रहता है।

साथ ही अगर आॅर्गेनिक खाने के साथ इंसान राम का नाम, अल्लाह, वाहेगुरू को याद करता है तो ब्रहचार्य में आगे बढ़ने में सहायता मिलती है। पूज्य गुरु जी ने आगे फरमाया कि ब्रहचार्य एक ऐसा टोनिक है जिसके करने से सभी क्षेत्रों में इंसान को सफलता मिलती है। वो चाहे पढ़ाई हो, खेल हो, रिसर्च हो, खेती बाड़ी हो, चाहे बिजनैस हो, सभी में ब्रहचार्य मददगार साबित होता है। ब्रह्मचर्य हर क्षेत्र में चहुंमुखी विकास करने में दुनिया में सबसे नंबर वन दवा है। ब्रह्मचर्य राम बाण है। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि इंसान को अपने विचारों पर भी कंट्रोल करने की कोशिश करनी चाहिए।  ब्रहचार्य का पालन करने से आत्मबल बुलंदी पर जाता है, आत्मबल बहुत बढ़ जाता है। इस दौरान पूज्य गुरु जी ने आॅर्गेनिक खेती के लिए प्रेरित किया।

पक्षी उद्धार मुहिम संबंधी डॉक्यूमेंट्री से पक्षियों के लिए दाना-पानी रखने के लिए किया प्रेरित

पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं पर चलते हुए डेरा सच्चा सौदा की साध-संगत 156 मानवता भलाई के कार्य कर रही हैं। इन्हीं कार्यों में से एक कार्य है पक्षी उद्धार मुहिम। जिसके तहत साध-संगत अपने-अपने घरों, प्रतिष्ठानों में छतों पर पक्षियों के लिए दानी पानी रखती है। पक्षियों के लिए मिट्टी के सकोरे रखती है। इसी से संबंधित एक डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। डॉक्यूमेंट्री के माध्यम से आमजन को भी पक्षियों के लिए चोगा-पानी का प्रबंध करने के लिए जागरूक किया गया।

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