नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव के ताज़ा संकेतों ने राज्य की राजनीति में एक बड़ा परिवर्तन उजागर कर दिया है। शुरुआती मतगणना के अनुसार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) आरामदायक बहुमत से कहीं आगे बढ़ता दिख रहा है और करीब 200 सीटों पर बढ़त बनाए हुए है। इसी बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रदेश में सबसे बड़ी शक्ति के रूप में उभरती दिखाई दे रही है। पार्टी लगभग 93 सीटों पर आगे चल रही है, जिसे पिछले चार दशकों में बिहार में भाजपा के सबसे प्रभावी प्रदर्शन के रूप में देखा जा रहा है। Bihar Election Results
बिहार की राजनीति में यह बदलाव लंबे समय से बने हुए उतार-चढ़ावों का परिणाम माना जा रहा है।
- 2010 के चुनाव में एनडीए गठबंधन—जिसमें उस समय जद (यू) और भाजपा की मजबूत साझेदारी थी—ने 243 में से 206 सीटें जीतकर अभूतपूर्व सफलता हासिल की थी। जद (यू) को 115 और भाजपा को 91 सीटें मिली थीं।
- 2015 में समीकरण पूरी तरह पलट गए।
नीतीश कुमार, लालू प्रसाद यादव और कांग्रेस के महागठबंधन के सामने भाजपा महज़ 53 सीटों पर सिमट गई। - 2020 का चुनाव सबसे प्रतिस्पर्धी रहा, जहाँ एनडीए ने 125 सीटों के साथ मुश्किल से बहुमत छुआ, जबकि महागठबंधन 110 सीटों तक पहुंचा। इस चुनाव में राजद 75 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, जबकि भाजपा 74 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर थी। जद (यू) केवल 43 सीटें ही जीत पाई थी।
- लेकिन 2025 के रुझान इन सभी पिछले पैटर्नों से बिल्कुल अलग तस्वीर पेश कर रहे हैं। भाजपा न केवल खोई हुई राजनीतिक जमीन फिर से हासिल करती दिख रही है, बल्कि इस बार वह चुनावी परिदृश्य पर स्पष्ट रूप से प्रभुत्व स्थापित करने की स्थिति में है। राजद और जद (यू) — दोनों ही दल भाजपा से बड़ी दूरी पर पीछे दिखाई दे रहे हैं।
ऐतिहासिक नजरिए से देखें तो बिहार में भाजपा की सीटें समय-समय पर काफी उतार-चढ़ाव से गुज़री हैं —
1980 में 21
1985 में 16
1990 में 39
1995 में 41
2000 में 67
और 2005 में 37 सीटें।
यदि मौजूदा रुझान अंतिम परिणामों में भी कायम रहते हैं, तो यह चुनाव बिहार के इतिहास में भाजपा के सबसे निर्णायक प्रदर्शन के रूप में दर्ज हो सकता है। साथ ही, यह परिवर्तन एनडीए के भीतर शक्ति-संतुलन और भविष्य की राजनीति की दिशा को भी नया रूप देने वाला साबित हो सकता है। Bihar Election Results















