ज्ञान की चाबी – किताबें, न कि मोबाइल स्क्रीन….प्रियंका बठला

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Panipat News: ज्ञान की चाबी – किताबें, न कि मोबाइल स्क्रीन....प्रियंका बठला

पानीपत (सच कहूँ/सन्नी कथूरिया)। Panipat News: आज के समय में जब बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की चमक में खोते जा रहे हैं, ऐसे में किताबों से दूरी बढ़ती जा रही है। याद रखें, तकनीक हमारी सुविधा के लिए है, लेकिन किताबें हमारे व्यक्तित्व को गढ़ने के लिए।

किताबें केवल पढ़ाई का साधन नहीं हैं — वे हमारे विचारों को गहराई देती हैं, कल्पना को उड़ान देती हैं और व्यक्तित्व को निखारती हैं। इसलिए, आपसे अनुरोध है कि आप मोबाइल से दूरी बनाकर किताबों के प्रति प्रेम जगाएं।

किताबें हमारे प्रेरणा स्त्रोत

किताबें हमें सोचने, समझने और सपने देखने की प्रेरणा देती हैं। वे हमें अनुशासन, एकाग्रता और आत्मविश्वास सिखाती हैं। इसलिए, मैं अपने सभी विद्यार्थियों से आग्रह करती हूँ कि वे प्रतिदिन कुछ समय पढ़ने के लिए अवश्य निकालें — चाहे कहानी की किताब हो, कविता संग्रह या कोई ज्ञानवर्धक पुस्तक।

किताबों से मिलता है ज्ञान | Panipat News

आज का युग डिजिटल युग कहलाता है, जहाँ हर उत्तर कुछ ही सेकंड में इंटरनेट पर मिल जाता है। लेकिन जो आत्मसंतोष, गहराई और आनंद एक किताब के पन्ने पलटने से मिलता है, वह किसी स्क्रीन से नहीं मिल सकता। किताबें हमें न केवल ज्ञान देती हैं, बल्कि हमें सोचने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति भी प्रदान करती हैं।

जब हम किसी कहानी या चरित्र को पढ़ते हैं, तो हम उनकी भावनाओं, संघर्षों और अनुभवों से जुड़ते हैं। यह हमें दूसरों के प्रति सहानुभूति और समझ विकसित करने में मदद करता है। वहीं मोबाइल और सोशल मीडिया अक्सर हमें क्षणिक मनोरंजन देते हैं, लेकिन किताबें हमारे भीतर स्थायी परिवर्तन लाती हैं।

किताबें हमारे भीतर छिपी रचनात्मकता को जगाती हैं। वे हमें कल्पनाओं की नई दुनिया में ले जाती हैं, जहाँ हम सपने देखना, सोच को पंख देना और जीवन को नए नजरिए से देखना सीखते हैं। एक अच्छी किताब हमें जीवन का मार्ग दिखा सकती है, हमें आत्म-विश्वास से भर सकती है, और हमें प्रेरित कर सकती है कि हम भी कुछ बड़ा करें।

शिक्षक, माता-पिता और विद्यालय का यह सामूहिक दायित्व है कि वे बच्चों को किताबों के प्रति आकर्षित करें। जब घरों में किताबों की चर्चा होगी, जब माता-पिता स्वयं किताबें पढ़ेंगे, तब बच्चे स्वाभाविक रूप से उस संस्कृति का हिस्सा बनेंगे। किताबें हमें हमारी परंपरा, संस्कृति और मूल्यों से जोड़ती हैं, जो किसी भी आधुनिक तकनीक से कहीं अधिक स्थायी हैं। Panipat News

स्क्रीन पर बिताया गया समय हमें थका देता है, जबकि किताबों के साथ बिताया गया समय हमें ऊर्जा, शांति और प्रेरणा से भर देता है। पढ़ने की आदत हमें एक बेहतर इंसान बनाती है – जो सोचता है, समझता है और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने की क्षमता रखता है।

किताबें हर उम्र, हर समय और हर परिस्थिति में हमारी साथी होती हैं। वे हमें अकेलेपन में भी संग देती हैं, और कठिन समय में हमारा मार्गदर्शन करती हैं। किताबें हमारे मन को अनुशासित करती हैं, विचारों को समृद्ध करती हैं और हृदय को संवेदनशील बनाती हैं।

तो आइए, हम यह प्रण लें कि हम मोबाइल और सोशल मीडिया पर व्यर्थ समय न गँवाएँ, बल्कि प्रतिदिन कुछ समय किताबों के नाम करें।

क्योंकि -जब किताबें बोलती हैं, तो मनुष्य का मस्तिष्क उजाला फैलाता है।”

आइए, हम सब मिलकर यह संकल्प लें: “किताबों से बढ़कर कोई सच्चा मित्र नहीं।”

प्रिंसिपल, प्रियंका बठला
VPS, Panipat

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