तस्करों की 35 करोड़ रु प्रॉपर्टी पर चला बुलडोजर: एडीजीपी

Jalandhar News
सांकेतिक फोटो

हिसार (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के इंचार्ज एवं एडीजीपी अंबाला रेंज श्रीकांत जाधव ने कहा है कि अब तक प्रदेश में 35 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी नशा तस्करों की तोड़ दी है और करीब 20 करोड़ प्रॉपर्टी पर बुलडोजर चलाने की तैयारी कर रहे हैं। जाधव शनिवार को यहां पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उनके साथ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पुलिस उपाधीक्षक प्रदीप यादव, इंस्पेक्टर संजय गक्खड़ उपस्थित रहे। उन्होंने बताया कि हरियाणा पहला स्टेट है, जो नशे की कमर तोड़ने के लिए फाइनल स्टेज पर काम कर रहे हैं। नशे की आदत छुड़ाने के लिए नंबर जारी किया है। करीब 1250 कैंपेन स्कूल कॉलेज में शुरू हो चुके हैं। यह पहला राज्य होगा, जिसमें 18 विभाग स्टेट एक्शन प्लान के साथ जुड़े हैं। स्टेट एक्शन प्लान बनाने वाला हरियाणा पहला राज्य है। 1600 वार्ड से इंफॉरमेशन आएगी।

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क्या है मामला

एडीजीपी ने बताया कि नारकोटिक्स पुलिस कंट्रोल ब्यूरो ने हॉक सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिसमें साल 2020 से जो भी केस दर्ज हुए हुए, उसमें सारी डिटेल दर्ज की गई। उसमें क्रिमिनल का नाम, गाडियां, मोबाइल नंबर यूज, बैंक विवरण, परिवार के लोग, आने-जाने का मार्ग, ड्रग सप्लाई का रुट सहित पूरा लेखा-जोखा मैपिंग किया जाएगा। यह प्रयास एप से लिंक होगा। हमने अपनी लोकल टीम के साथ शेयर करना शुरू कर दिया है। ड्री एडिक्शन सेंटर को भी सॉफ्टेवयर से लिंक रहे हैं। जिससे कि यदि दवाई की लीकेज हो रही है, तो इसका भी पता कर रहे हैं।

श्रीकांत जाधव ने बताया कि फार्मासिस्ट को मॉनिटरिंग करने के लिए साथी एप बनाया है। इसे सोनीपत और रोहतक में टेस्ट किया जा चुका। इसकी एप्रूवल के लिए सरकार के पास प्रस्ताव भेजा जा चुका है। इसमें डाक्टर की पर्ची स्कैन होगी, ताकि ड्रग स्लिप कहीं ओर यूज न हो सकें। मैन्युफैक्चिरंग का स्टॉक भी डिजिटल होगा। कहां कितनी दवाई बनाई और बेची गई। इसे भी टेक्नालॉजी के साथ जोड़ा जाएगा। इसे सेंट्रल सॉफ्टेवयर हॉक से जोड़ा हुआ है। हरियाणा में कौन सा ड्रग कहां से आता है और कहां जाता है। प्राइवेट अस्पताल से भी डाटा आता है, उसे भी एनॉलिसिस करेंगे।

उनके अनुसार प्रदेश में नशीले पदार्थों की तस्करी रोकने के लिए 22 जिला मिशन टीमें बनी हैं। 75 सब डिवीजन मिशन टीम, 1563 वार्ड मिशन, 6315 विलेज मिशन टीमें बन चुकी हैं। इनमें 70 से 80 हजार लोग प्रतिदिन काम कर रहे हैं। सारी टीमें मिलाकर स्टेट एक्शन प्लान में 55 हजार इंफोरमेंशन प्वाइंट बन रहे हैं। यह बड़ा महत्वपूर्ण है। जाधव ने कहा कि ड्रग एडिक्ट को दवाइयां भी उपलब्ध करवा रहे हैं। सरकार ने धाकड़ नाम का कार्यक्रम भी शुरू किया है। विक्टम का डाटा भी हमारे पास है और उसके ट्रीटमेंट का भी आॅन लाइन काउंसलिंग कर रहे हैं। हमने सरकार के पास प्राइमरी हेल्थ सेंटर पर मास्टर इन सोशियोलॉजी एक्टपर्ट की डिमांड की और सीएचसी लेवल पर क्लीनिकल साइकोलॉजी चाहिए।

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