युद्ध प्रभावित क्षेत्र कारगिल में दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे बच्चे

  • बच्चों की स्वास्थ्य जांच में सामने आए चौंकाने वाले तथ्य

  • स्वास्थ्य जांच कैंप के दौरान जांच में 50 बच्चे दिल की बीमारी से ग्रस्त मिले

  • दिल की गंभीर बीमारी से ग्रस्त 7 बच्चों की गुरुग्राम में हुई ओपन हार्ट सर्जरी

गुरुग्राम। (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा) वह कारगिल क्षेत्र जहां वर्ष 1999 में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को युद्ध में हराकर अपनी जांबाजी का परिचय दिया था, उसी कारगिल क्षेत्र से चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। वहां तीन दिन तक लगाए हेल्थ चेकअप कैंप में पता चला कि बच्चों में दिल की बीमारी बढ़ रही है। कई बच्चे तो दिल की बीमारी से मृत्यु के बहुत निकट थे, जिनका समय रहते उपचार करके बचा लिया गया।

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कारगिल का क्षेत्र स्वास्थ्य सेवाओं के मामले में पिछड़ा है। वहां पर इतनी स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं हैं कि हर किसी को अच्छा उपचार मिल सके। वहां के बच्चों को चिकित्सा सुविधा देने के उद्देश्य से गुरुग्राम के पारस अस्पताल के पीडियाट्रिक कार्डियक साइंस डिपार्टमेंट ने ड्रीम फॉर चेंज फाउंडेशन और एलएएचडीसी (लद्दाख आॅटोनोमस हिल डेवलपमेंट काउंसिल, कारगिल) के सहयोग से स्वास्थ्य जांच कैंप लगाया। यह कैंप जिला अस्पताल कुबार्थांग कारगिल में लगाया गया। तीन दिन के लिए लगाए गए इस कैम्प में युद्ध प्रभावित क्षेत्र कारगिल में स्वास्थ्य सेवा से वंचित लोगों और बच्चों में हार्ट की बीमारियों का डायग्नोसिस किया गया। इस दौरान जांच टीम के सामने चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।

कार्डियक सर्जरी चीफ डा. महेश वाधवानी व पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजिस्ट डा. दीपक ठाकुर के मुताबिक तीन दिन में 300 बच्चों की जांच में करीब 50 बच्चों के जन्मजात ह्दय की बीमारी से पीड़ित होने का पता चला। यह चिंताजनक है कि बच्चे मां के गर्भ से ही ह्दय रोग लेकर पैदा हो रहे हैं। इन 50 बच्चों में 7 बच्चों में हार्ट की बीमारी इतनी गंभीर हो चुकी थी कि उन्हें जल्द ही उपचार ना दिया जाए तो उनकी जान को खतरा हो सकता था। बिना कोई देरी किए उन बच्चों को गुरुग्राम स्थित पारस अस्पताल में लाया गया। यहां उनकी ओपन हार्ट सर्जरी की गई और कार्डियक इंटरवेंशन दिया गया।
तत्काल सर्जरी करना था जरूरी: डा. वाधवानी

डा. महेश वाधवानी के मुताबिक बच्चों में हृदय की बीमारी के स्पेक्ट्रम अलग अलग होते हैं। साधारण हृदय की समस्याओं में दवा की जरूरत होती है। गंभीर जन्मजात हृदय बीमारी के लिए उनका एक बार अच्छे से इलाज करने और हृदय की बीमारी को शुरूआती उम्र में ही रोकने के लिए सर्जरी करने की जरूरत होती है। बच्चों के हार्ट में जब कोई कमी या बीमारी होती है तो उसको ठीक करने के लिए अक्सर कार्डिएक सर्जरी कराने की सलाह दी जाती है। कुछ केस में गंभीरता को देखते हुए तत्काल सर्जरी की जरूरत होती है। ऐसे ही 7 केस थे, जिन्हें तुरंत सर्जरी करके बच्चों को जीवनदान दिया गया। सातों बच्चे अब पूरी तरह से स्वस्थ हैं।

कई बच्चों के हार्ट में छेद भी मिला

चिकित्सकों के अनुसार कारगिल में जांच शिविर में बच्चों के कुछ केस ऐसे भी सामने आए, जिनमें बच्चों के हार्ट में छेद था। इस वजह से उनका वजन बहुत कम हो गया था। एक साल के बच्चे का ऐसा केस देखने को मिला, जिसमें उसका वजन 5 से 6 किलो था। एक और लड़के का केस देखने का मिला, जिसकी उम्र 15 से 16 के बीच थी और उसका वजन 25 से 30 किलो था। हार्ट में छेद (पेटेंट डक्ट्स आर्टिरियोसिस) से कॉम्प्लेक्स साइनोटिक हार्ट डिजीज देखने को मिली। सभी की हालत खराब थी। सभी बच्चों का उपचार करने के एक सप्ताह बाद घर भेज दिया गया। वे स्वस्थ हैं।

सभी में हार्ट संबंधी अलग-अलग बीमारी थी

3 दिन में 300 बच्चों की जांच करना, उनका हार्ट की बीमारियों के प्रति बेहतर ढंग से डायग्नोसिस और इलाज (सर्जरी और इंटरवेंशन) करना बहुत ही मुश्किल काम था। इन बच्चों का इलाज करना भी एक बहुत ही बड़ी चुनौती थी। छह महीने की उम्र से लेकर 16 साल के बच्चों में अलग-अलग हार्ट की बीमारी थी। चिकित्सकों ने इस चुनौती को स्वीकारते हुए उनका उपचार शुरू किया और उसमें सफलता पाई।

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