Christmas Day 25 दिसंबर को क्यों मनाते है, जानें सैंटा की पूरी कहानी

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।नई दिल्ली (सच कहूँ नयूज)। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि क्रिसमस डे (Christmas Day) क्यों मनाया जाता है और क्रिसमस डे कब है, क्रिसमस ट्री का पौधा, क्रिसमस ट्री आदि विषयों पर आपको विस्तार से बताएंगे।  क्रिसमस का त्योहार हर साल 25 दिसंबर को बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है। ईसाई धर्म के इस मुख्य पर्व को सभी धर्म के लोग एक साथ मिलकर मनाते हैं, जोकि आज है। धार्मिक मान्यताओं अनुसार इस दिन भु ईसा मसीह या जीसस क्राइस्ट का जन्म हुआ था इसलिए इसे बड़ा दिन भी कहते हैं।

क्रिसमस डे क्यों मनाया जाता है | christmas celebration 

क्रिसमस 25 दिसंबर से शुरू होकर पांच जनवरी तक चलता है। खासकर यूरोप में 12 दिनों तक मनाए जाने वाले इस फेस्टिवल को ट्वेल्थ नाइट के नाम से जाना जाता है। क्रिसमस के दिन लोग एक-दूसरे के साथ पार्टी करते हैं, घूमते हैं और चर्च में प्रेयर करते हैं। इस त्योहार पर लोग क्रिसमस पेड़ को सजाते हैं, एक दूसरे को उपहार बांटते हैं और मिलकर भोजन करते हैं। ईसाईयों के लिए यह त्यौहार उतना ही महत्व रखता है जितना हिंदुओं के लिए दिवाली और मुस्लिम के लिए ईद का होता है क्योंकि क्रिसमस केवल एक त्यौहार नहीं है बल्कि ईश्वर के प्रति प्यार और ईसा मसीह द्वारा बताये गए सिद्धान्तों को दुनिया में फैलाने का दिन है।

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क्रिश्चियन समुदाय के लोग मनाते है यह त्यौहार

क्रिश्चियन समुदाय के लोग इस दिन ईसा मसीह का सम्मान करते है, प्रार्थना करते है और अपने बच्चों को उनके संदेशों को सिखाते हैं। मैरी नाम की एक महिला नाजरेथ नामक एक शहर में रही और वह यूसुफ नामक एक आदमी से जुड़ी हुई थी। एक रात, ईश्वर ने मैरी के पास गेब्रियल नाम की एक परी को भेजा।

परी ने मैरी से कहा-ईश्वर आपसे बहुत खुश है और आप जल्द ही एक बच्चे को जन्म दोगी। उसको यीशु नाम दें क्योंकि वह ईश्वर का पुत्र होगा। परी ने मैरी को अपने चचेरे भाई एलिजाबेथ और उसके पति जोचरिच के साथ रहने के लिए कहा क्योंकि वे जल्द ही एक ऐसे बच्चे के माँ-बाप होंगे जो यीशु के लिए दुनिया का रास्ता तैयार करेंगे।

यीशु का जन्म

मैरी अपने चचेरे भाई के साथ तीन महीने रहती है और नाजरेथ लौट आयी। इस बीच यूसुफ मैरी के बच्चे होने के बारे में चिंतित था। लेकिन उसे एक देवदूत सपने में दिखाई दिया और उसे बताया की मैरी ईश्वर के पुत्र को जन्म देंगी। मैरी को बच्चा होने में ज्यादा वक्त नहीं था इसलिए उन्होंने धीमी गति से यात्रा की। जब वे बेथलहम पहुंचे तो उनके पास रहने के लिए कोई जगह नहीं थी क्योंकि सभी सराय और आवास अन्य लोगों के द्वारा कब्जा कर लिए गए थे। यूसुफ और मरियम ने गायों, बकरियों और घोड़ों के रहने के स्थान पर शरण ली और उसी रात यीशु का जन्म हुआ।

जीसस का जन्म christmas celebration 

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जीसस को जन्म होने के बाद मंदिर में रखा गया था और पहने हुए कपड़े में लपेटे थे। उस रात चरवाहा अपनी भेड़-बकरियों को संभालने आए तो उन्हें एक परी दिखाई दी। देवदूत ने उन्हें बताया की आपका उद्धारकर्ता आज बेथहलम में पैदा हुआ था। चरवाहों ने यकीन नहीं किया लेकिन जब उन्होंने यूसुफ, मरियम और बच्चे यीशु को देखा तो आश्चर्यचकित और खुश हुए। यीशु के जन्म के समय आसमान में एक उज्ज्वल नया सितारा दिखाई दिया।

यूसुफ को सपने में एक परी ने चेतावनी दी थी की राजा हरोदेस यीशु को मारने के लिए उसकी खोज करेगा। इसलिए अगर वे मिस्र चले जाएं तो महफूज रहेंगे। जब हरोदेस यीशु को खोजने में नाकाम रहा तो उसने बेथहलम के सभी छोटे बच्चों को मारने का आदेश दिया। हरोदेस की मृत्यु के बाद यीशु और मरियम ने मिस्र छोड़ दिया और इजराइल की यात्रा की। उन्होंने अपना बाकि जीवन नाजरेथ में बिताया।

क्रिसमस ट्री

क्रिसमस ट्री की शुरूआत उत्तरी यूरोप में हजारों सालों पहले हुई। उस दौरान एक पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता था। इसके अलावा लोग चेरी के पेड़ की टहनियों को भी क्रिसमस के वक्त सजाया करते थे। जो लोग इन पौधों को खरीद नहीं पाते थे वो लकड़ी को पिरामिड का शेप देकर क्रिसमस मनाया करते थे।

धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री का चलन हर जगह बढ़ा और अब हर कोई क्रिसमस के मौके पर इस पेड़ को अपने घर लाता है और इसे कैंडी, चॉकलेट्स, खिलौने, लाइट्स, बेल्स और गिफ्ट्स से सजाता है। उस पेड़ को सजाकर इस विंटर फेस्टिवल को मनाया जाता है।

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क्रिसमस ट्री का पौधा | christmas celebration 

प्रचलित कहानियों के अनुसार चौथी शताब्दी में एशिया माइनर की एक जगह मायरा (अब तुर्की) में सेंट निकोलस नाम का एक शख्स रहता था। जो बहुत अमीर था, लेकिन उनके माता-पिता का देहांत हो चुका था। वो हमेशा गरीबों की चुपके से मदद करता था। उन्हें सीक्रेट गिफ्ट देकर खुश करने की कोशिश करता रहता था। एक दिन निकोलस को पता चला कि एक गरीब आदमी की तीन बेटियां है, जिनकी शादियों के लिए उसके पास बिल्कुल भी पैसा नहीं है।

क्रिसमस डे

ये बात जान निकोलस इस शख्स की मदद करने पहुंचे। एक रात वो इस आदमी की घर की छत में लगी चिमनी के पास पहुंचे और वहां से सोने से भरा बैग डाल दिया। उस दौरान इस गरीब शख्स ने अपना मोजा सुखाने के लिए चिमनी में लगा रखा था। इस मोजे में अचानक सोने से भरा बैग उसके घर में गिरा। ऐसा एक बार नहीं बल्कि तीन बार हुआ। आखिरी बार में इस आदमी ने निकोलस को देख लिया।

निकोलस ने ये बात किसी को ना बताने के लिए कहा, लेकिन जल्द ही इस बात का शोर बाहर हुआ। उस दिन से जब भी किसी को कोई सीक्रेट गिफ्ट मिलता सभी को लगता कि ये निकोलस ने दिया। पूरी दुनिया में क्रिसमस के दिन मोजे में गिफ्ट देने यानी सीक्रेट सांता बनने का रिवाज है।

ईसा मसीह का सन्देश एवं धर्म-प्रचार | christmas celebration 

ईसा मसीह का सन्देश एवं धर्म-प्रचारज्ञान प्राप्त करने के बाद तीस साल की उम्र में ईसा ने इज्रराइल की जनता को यहूदी धर्म के बारे में प्रचार करना शुरू किया। उनके अनुसार ईश्वर (जो केवल एक ही है) साक्षात प्रेम रूप है, और वह यहूदी धर्म की पशु बलि और कर्मकांड नहीं चाहता। ईश्वर सभी लोगों को प्यार करता है।

सभी लोग उसी की ही संतान है, इंसान को क्रोध में बदला नहीं लेना चाहिए और साथ ही उसे क्षमा कर देना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वे ही ईश्वर के पुत्र हैं, वे ही मसीहा हैं और स्वर्ग और मुक्ति का मार्ग हैं। ईसा ने कयामत के दिन पर खास जोर दिया।

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क्रिसमस डे

यहूदी धर्म में कयामत के दिन का कोई खास जिक्र या महत्व नहीं था, पर ईसा ने कयामत के दिन पर खास जोर दिया, क्योंकि उसी वक्त स्वर्ग या नर्क इंसानी आत्मा को मिलेगा। ईसा के 12 शिष्यों ने उनके नये धर्म को सभी जगह फैलाया। यही धर्म ईसाई धर्म कहलाया। ईसा मसीह द्वारा बहुत से चमत्कार हुए।

उन्होंने बीमारों को प्रार्थनाओं के जरिये स्वस्थ किया। इसके अतिरिक्त कुछ दुष्ट आत्माओ में फंसे व्यक्तियों को उनसे मुक्ति दिलाई। उनके अनुसार दूसरों से हमें वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, जैसा हम अपने लिए चाहते है। ‘मनुष्य द्वारा एक दूसरे की सेवा करना ही सच्ची ईश्वर सेवा है। कृपा और सच्चाई तुझसे अलग नहीं है। अत: इसको अपने से अलग मत करो।

कर्मकांड और पाखंड का विरोध | christmas celebration 

ईसा मसीह ने उस समय के कर्मकांड और पाखंड का विरोध किया। इंसान को मानवता का पाठ पढ़ाया। आपस में नफरत की जगह प्यार का संदेश दिया। यही कारण है कि आज विश्व में ईसाई धर्म को मानने वाले सबसे अधिक है। लोग ईसा के विचार अपने जीवन में उतारने लगे। इससे समाज में धार्मिक अंधविश्वास व झूठ फैलाने वालों को उनसे काफी जलन होने लगी। वहां के झूठे लोगों ने ईसा को मानवता का शत्रु बताना शुरू कर दिया।

लेकिन प्रभु ईसा की लोकप्रियता दिन व दिन बढ़ती ही चली गई। कट्टरपंथियों को प्रसन्न के उद्देश्य से ईसा को क्रूस पर मृत्यु की सजा सुनाई गयी। उन पर अनेक जुल्म ढाये गए। उन्हें कोड़ो से मारा गया। उनके सिर पर काँटों का ताज पहनाया गया। उनके हाथ पैरों में कील ठोक कर उन्हें क्रूस पर लटका दिया गया। उन्हें बड़ी ही शारीरिक यातनायें दी गई, जिसके दिन उनकी मृत्यु हुई थी। बाइबिल के अनुसार मृत्यु के तीन दिन बाद ईसा पुन: जीवित हो गए थी। और इस घटना को ईस्टर के रूप में मनाया जाता है।

क्रिसमस की दिलचस्प परम्पराएं

सर्वविदित है कि विश्वभर में प्रतिवर्ष 25 दिसम्बर को ‘क्रिसमस’ का त्यौहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि ईसा मसीह की मृत्यु के 336 वर्ष बाद क्रिसमस का त्यौहार पहली बार रोम में मनाया गया था और उस वर्ष को ‘क्राइस्ट मास’ के नाम से जाना गया, जो बाद में क्रिसमस के नाम से प्रचलित हुआ। क्रिसमस के आयोजन की शुरूआत के बारे में कहा जाता है कि ईसा पूर्व 25 दिसम्बर के दिन ही रोम के लोग सूर्य देवता का जन्मदिन मनाते थे।

यह उत्सव बहुत धूमधाम से मनाया जाता था और चूंकि ईसा मसीह का जन्म भी 25 दिसम्बर को ही हुआ माना जाता है, अत: रोमन काउंसिल ने निश्चय किया कि क्रिसमस का त्यौहार भी 25 दिसम्बर को ही मनाया जाए। माना जाता है कि तभी से 25 दिसम्बर को ही विश्वभर में क्रिसमस का त्यौहार ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में मनाया जाने लगा और समय बीतते-बीतते इस त्यौहार ने एक बड़े उत्सव का रूप ले लिया।

अब क्रिसमस के अवसर पर प्रमुख प्रार्थना सभा का आयोजन वेटिकन सिटी में ही होता है, जहां ईसाईयों के सर्वोच्च धर्मगुरू ‘पोप’ ईसाई धर्म के लोगों को संबोधित करते हैं। कोरिया में क्रिसमस के मौके पर पतंग उत्सव मनाया जाता है।

क्रिसमस की दिलचस्प परम्पराएं | christmas celebration 

इस अवसर पर बच्चों की माताएं अथवा उनके अभिभावक पतंगों पर अपने बच्चों के नाम, उनकी जन्मतिथि, उनकी इच्छाएं तथा जरूरतें लिखकर आकाश में पतंगें उड़ाते हैं। इस संबंध में मान्यता है कि इस दिन देवदूत बादलों के किनारे पर आ जाते हैं और पतंगों पर अंकित बच्चों की जरूरतों और उनकी इच्छाओं को स्वर्ग की पुस्तिकाओं में अंकित कर लेते हैं ताकि बच्चों की इच्छाओं और जरूरतों को पूरा कर सकें। चीन में भी क्रिसमस के मौके पर बच्चे बड़ी-बड़ी पतंगें उड़ाकर खुशी मनाते हैं। आस्ट्रेलिया में इस दिन लोग क्रिसमस ट्री बनाते हैं और दिनभर समुद्र की बालू रेत में खेलकर या समुद्र में तैरकर खुशी मनाते हैं।

दिलचस्प परम्पराएं

कुछ पश्चिमी देशों में कुंवारी लड़कियों द्वारा नदी के तट पर एकत्रित होकर एक लकड़ी से जमीन पर रेखा खींचकर इस रेखा के जरिये अपने भावी पति के संबंध में जानकारी प्राप्त करने की परम्परा भी देखी जाती है। इन देशों में मान्यता है कि यदि खींची गई रेखा सरल है तो पति सरल स्वभाव का मिलेगा लेकिन रेखा टेढ़ी है तो पति का स्वभाव अच्छा नहीं होगा।

क्रिसमस | christmas celebration 

छोटी, लंबी, पतली तथा मोटी रेखाएं भी इसी तरह भावी पति के स्वभाव, गुण और शारीरिक बनावट का संकेत देती हैं। जर्मनी में चीड़ के वृक्षों को ही ‘क्रिसमस ट्री’ के रूप में सजाया जाता है। और खुशियां मनाई जाती हैं। स्विट्जरलैंड तथा जर्मनी में क्रिसमस को ‘होली नाइटझ् अर्थात् पवित्र रात्रि भी कहा जाता है।

यहां बच्चे इस दिन नकली चेहरा लगाकर तथा अपने गले में घंटी बांधकर घूमते हैं। इसके अलावा बच्चे तथा बूढ़े सभी अपनी झोली में उपहार लेकर भी घूमते हैं। क्रिसमस की रात जर्मनी में अस्तबलों में पुआल बिछाकर उसी पर सोने की भी परम्परा है क्योंकि लोगों का मानना है कि ईसा मसीह का जन्म इसी पवित्र रात्रि में एक अस्तबल में ही हुआ था।

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अमेरिका में क्रिसमस

अमेरिका में क्रिसमस के दिन निर्धनों को नए कपड़े और भोजन दिया जाता है। तथा परिचितों को क्रिसमस ट्री भेंट करने की भी परम्परा है। क्रिसमस पर उपहारों के लेन-देन की परम्परा तो अब अधिकांश देशों में देखने को मिलती है। किन्तु नीदरलैंड में क्रिसमस के तोहफे 25 दिसम्बर के बजाय 6 दिसम्बर को ही दे दिए जाते हैं।

क्योंकि यहां के लोगों की धारणा है कि बिशप संत निकोलस (सांता क्लॉज) इसी दिन निर्धन परिवारों की लड़कियों को उनकी शादी के लिए महंगे उपहार दिया करते थे। आयरलैंड के लोगों की मान्यता है कि क्रिसमस के दिन पैदा होने वाले बच्चे तीव्र बुद्धि के होते हैं। मैक्सिको में इस दिन बच्चों की आंखों पर पट्टी बांधकर मिठाईयों से भरे मिट्टी के बर्तन (पिनेटा) फोड़ने की परम्परा है।

क्रिसमस के दिन लोग सफेद रंग वस्त्र | christmas celebration 

इस दिन यहां सांता क्लॉज का जुलूस भी निकाला जाता है।  यूरोप में बच्चे क्रिसमस की रात अपने घरों के बाहर अपने नए मोजें टांग देते हैं।  इसके पीछे मान्यता है कि सांता क्लॉज रात के समय  आकर उनके मोजों में उनके मनपसंद उपहार भर जाएंगे।

स्पेन में लोग गिरिजाघरों में न जाकर अपने-अपने घरों में खाते-पीते और आनंद मनाते हैं तथा रातभर जागकर  मनोरंजन करते हैं। क्रिसमस के दिन लोग सफेद रंग के स्वच्छ वस्त्र पहनकर गिरिजाघरों में जाकर प्रार्थना करते हैं। इस अवसर पर चावल के आटे के केक भी बनाए जाते हैं।

डेनमार्क में क्रिसमस

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क्रिसमस के दिन बनाए जाने वाले विभिन्न व्यंजनों में पुडिंग विशेष व्यंजन है। डेनमार्क में चावलों से बनाई जाने वाली पुडिंग में एक बादाम डाला जाता है। इटली में बनाए जाने वाले क्रिसमस के व्यंजनों में ‘टर्की व्यंजन’ का विशेष स्थान है। लोग अपने सगे-संबंधियों को भोजन में स्पैशल भोजन जरूर परोसते हैं। इस दिन लोग अपने घरों की खिड़कियां खुली रखते हैं ताकि सांता क्लॉज खिड़की में से बच्चों के लिए फल, मिठाईयां तथा उपहार रख जाए।

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