Punjab Govt vs Governor: राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच टकराव, राज्यपाल की जिद्द गलत!

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राज्यपाल-मुख्यमंत्री के बीच टकराव, राज्यपाल की जिद्द गलत!

Punjab Govt vs Governor: आखिर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पंजाब सरकार के पक्ष को सही माना गया और चुनी हुई राज्य सरकार के साथ राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित की जिद्द को गलत करार दिया गया। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि राज्यपाल ने बिलों पर मुहर उस वक्त लगाई जब सरकार सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गई। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि राज्य सरकारें विधानसभा से पारित बिलों को राज्यपाल से पास कराने के लिए बार-बार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाती हैं। वास्तव में राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच पिछले छह महीने से टकराव चल रहा था। Punjab News

दरअसल, राज्यपाल ने बजट सत्र की मंजूरी नहीं दी थी और आखिरकार सरकार को सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा और अदालत ने भी बजट सत्र को जरूरी बताया। इस घटनाक्रम के बाद भी राज्यपाल ने पत्र लिखकर पंजाब सरकार के कामकाज में अनावश्यक हस्तक्षेप करते हुए विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर मोहर नहीं लगाई। सवाल उठता है कि यदि राज्यपाल जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी नहीं देते हैं, तो विधायकों को चुनने या करोड़ों रुपये के खर्च पर चलने वाले सदन के लिए चुनाव कराने का क्या फायदा है। Punjab News

राज्यपाल ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर मोहर नहीं लगाई

आखिरकार, राज्यपाल ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले ही दो धन विधेयक पारित कर दिए। मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच टकराव दुर्भाग्यपूर्ण है। राज्यपाल ने विधान सभा के विशेष सत्र को भी अवैध घोषित करार दिया और सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। दरअसल, संविधान निर्माताओं ने केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए राज्यपाल का पद बनाया था, न कि किसी राजनीतिक टकराव के लिए। राज्यपाल के लिए पद संभालने के बाद दलगत राजनीति से ऊपर उठना आवश्यक है।

लेकिन देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जब राज्यपालों ने अपनी राजनीतिक पृष्ठभूमि के अनुसार कार्य करते हुए किसी पार्टी विशेष के पक्ष में निर्णय लिए। राज्यपाल का पद सरकार का नेतृत्व करना है न कि खुद सरकार चलाने लगे और न ही सरकार में बाधा पैदा करना है। राज्यपाल को किसी राज्य को सीधे तौर पर तभी संभालना होता है जब सरकार अपना बहुमत खो देती है या सरकारी मशीनरी पूरी तरह से विफल हो जाती है। विपक्षी दलों ने जिस प्रकार सरकार का सहयोग किया, उससे यह स्पष्ट हो गया था कि राज्यपाल की भूमिका सही नहीं है। Punjab News

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