
दिल्ली सच कहूँ/संदीप सिंहमार। सर्दी तेज़ होने के साथ ही दिल्ली-एनसीआर की हवा फिर से जहरीली हो गई है। शुक्रवार को देश में सबसे खराब वायु गुणवत्ता यहां दर्ज की गई। नोएडा में 410, ग्रेटर नोएडा में 376 और दिल्ली में 374 का औसत एक्यूआई रहा। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी फोरकास्टिंग एंड रिसर्च के अनुसार यह ‘सीवियर’ श्रेणी में आता है, जहां सांस लेना भी खतरनाक हो जाता है। विशेष रूप से बच्चे, बुजुर्ग और श्वसन रोगी सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। ऐसे में दिल्ली सरकार ने बच्चों की सेहत को प्राथमिकता देते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया है। राजधानी के सरकारी स्कूलों की 10 हजार कक्षाओं में एयर प्यूरीफायर लगाए जाएंगे। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रदूषण पिछले 10 महीनों से जूझ रहा है। केंद्र सरकार की नीतियों की कमी से यह समस्या बढ़ी है। लेकिन हम बच्चों को साफ हवा देकर उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य सुरक्षित रखेंगे। आज ही टेंडर जारी हो गए हैं और काम चरणबद्ध तरीके से शुरू होगा। मंत्री सूद ने प्रत्येक प्यूरीफायर फिल्टर से लैस होगा, जो पीएम 2.5 और पीएम 10 कणों को 99 फीसदी तक फिल्टर करेगा।
प्रदूषण के प्रमुख कारण और प्रभाव
सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की विशेषज्ञ सुनीता नारायण ने कहा कि सर्दियों में उलटी हवाओं से प्रदूषण फंस जाता है। एयर प्यूरीफायर अस्थायी राहत हैं, लेकिन इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा और ग्रेप-4 सख्ती जरूरी है। पिछले साल इसी समय एक्यूआई 450 तक पहुंचा था, जिससे स्कूल बंद हुए थे। यह अच्छा हुआ कि इस बार सरकार ने पहले ही ऑनलाइन क्लासेस की तैयारी की है।
अभिभावकों ने भी उठाई मांग
अभिभावक संगठनों ने पहल की सराहना की। दिल्ली पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष नीता द्विवेदी ने कहा कि बच्चों को घर पर रखना संभव नहीं। प्यूरीफायर से कक्षाओं में एक्यूआई 50 तक लाया जा सकता है। लेकिन यह नियम निजी स्कूलों पर भी लागू होना चाहिए। कुछ अभिभावकों ने मास्क अनिवार्य करने और खेल मैदानों पर छत लगाने की मांग उठाई।
लंबी अवधि के समाधान की जरूरत
स्कूलों में एयर प्यूरीफायर लगाने का यह कदम स्वागतयोग्य है, लेकिन विशेषज्ञ लंबे उपायों पर जोर दे रहे हैं। हरियाणा के विभिन्न इलाकों में भी एक्यूआई 300 पार है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2030 तक 50 प्रतिशत वाहन इलेक्ट्रिक करने से एक्यूआई 100 तक लाया जा सकता है। दिल्ली सरकार ग्रेप सिस्टम लागू कर वाहनों पर पाबंदी बढ़ा रही है। एनसीआर के अन्य शहरों नोएडा, गुरुग्राम के लिए यह मिसाल है। जहां AQI 400 पार होने पर सांस लेना दूभर है, वहां बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए। शिक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि तीन महीनों में पहला चरण पूरा हो जाएगा। यह पहल न केवल स्वास्थ्य सुधार देगी, बल्कि प्रदूषण के खिलाफ जागरूकता भी फैलाएगी।














