गजट अधिसूचना की त्रुटि बनी सबसे बड़ी बाधा, प्रशासन की चुप्पी से बढ़ रहा आक्रोश
हनुमानगढ़। अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र जारी करने की मांग को लेकर धानका समाज का संघर्ष जारी है। जिला कलक्ट्रेट परिसर के बाहर चल रहा यह धरना गुरुवार को 32वें दिन में प्रवेश कर गया। करीब एक माह से जारी धरने पर बैठे समाज के अगुवा लोगों ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह जान-बूझकर मामले को टाल रहा है और समुदाय की समस्याओं को गंभीरता से नहीं ले रहा। उन्होंने कहा कि विवाद की जड़ 18 सितम्बर 1976 की गजट अधिसूचना है। इसमें अंग्रेजी में धानका समाज को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया गया था, लेकिन हिंदी अनुवाद में गलती से धानका की जगह धाणका लिखा गया। Hanumangarh News
‘ण’ और ‘न’ के इस मामूली अंतर का हवाला देकर हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर जिलों में धाणका समाज के लोगों को एसटी प्रमाण पत्र जारी नहीं किए जा रहे हैं। संघर्ष समिति अध्यक्ष दीपक धाणका और महासचिव जितेंद्र धाणका ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट और राजस्थान हाईकोर्ट के कई फैसले साफ तौर पर समाज के पक्ष में हैं। बावजूद इसके जिला प्रशासन तकनीकी बहाने बनाकर प्रमाण पत्र देने से बच रहा है। यह प्रशासनिक लापरवाही समाज के हजारों परिवारों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर रही है।
समिति संयोजक माणकचंद धाणका ने कहा कि 1976 के संशोधन अधिनियम के तहत धानका समाज राजस्थान की अनुसूचित जनजाति में शामिल है। राजस्थान के अधिकांश जिलों में प्रमाण पत्र निर्बाध जारी हो रहे हैं, मगर केवल हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर में रोका जाना न्यायालय की अवमानना है। आंदोलनकारियों ने चेतावनी दी कि यदि जल्द कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया तो यह आंदोलन और तेज होगा। Hanumangarh News