सहरसा (बिहार)। ‘ट्रू ब्लड पम्प’ के नाम से पहचाने जाने वाले डेरा सच्चा सौदा के अनुयाई विश्व भर में जरूरतमंदों को खूनदान कर इन्सानियत की मिसाल कायम कर रहे हैं। इसी कड़ी में बिहार के blood donation सहरसा जिले में रहने वाले सुनील इन्सां को जैसे ही नजदीकी अस्पताल में भर्ती अभय कुमार के एक्सीडेंट व तत्काल खून की जरूरत की खबर मिली, तुरंत अपना कामकाज छोड़ सुनील इन्सां ने रक्त दान कर उपर्युक्त मरीज की जान बचाई। बता दें कि रक्तदान के क्षेत्र में डेरा सच्चा सौदा के नाम तीन विश्व रिकॉर्ड कीर्तिमान के रूप में स्थापित हैं।
आइयें, जानते हैं रक्तदान के फायदे: blood donation
रक्तदान से हार्ट अटैक की संभावना कम होती है। क्योंकि रक्तदान से खून का थक्का नहीं जमता, इससे खून कुछ मात्रा में पतला हो जाता है और हार्ट अटैक का खतरा टल जाता है।
डेढ़ पाव रक्तदान करने से आपके शरीर से 650 कैलोरीज कम होती है।
आयरन की मात्रा को बैलेंस करने से लिवर हैल्थी बनता है और कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
रक्तदान से शरीर में एनर्जी आती है। क्योंकि रक्तदान के बाद नया ब्लड सेल्स बनते हैं, जिससे शरीर में तंदरूस्ती आती है।
रक्तदान करने से वजन कम करने में मदद मिलती है। इसलिए हर साल कम से कम 2 बार रक्तदान करना चाहिए।
रक्त कौन दे सकता है? blood donation camp
ऐसा प्रत्येक पुरूष अथवा महिला:-
जिसकी आयु 18 से 65 वर्ष के बीच हो।
जिसका वजन (100 पौंड) 48 किलों से अधिक हो।
जो क्षय रोग, रतिरोग, पीलिया, मलेरिया, मधुमेंह, एड्स आदि बीमारियों से पीड़ित नहीं हो।
जिसने पिछले तीन माह से रक्तदान नहीं किया हो।
कितना रक्त लिया जाता है?
प्रतिदिन हमारे शरीर में पुराने रक्त का क्षय होता रहता है ओर प्रतिदिन नया रक्त बनता रहता है।
एकबार में 350 मिलीलीटर यानि डेढ़ पाव रक्त ही लिया जाता है (कुल रक्त का 20वां भाग)
शरीर 24 घंटों में दिए गए रक्त के तरल भाग की पूर्ति कर लेता है।
ब्लड बैंक रेफ्रिजरेटर में रक्त 4-5 सप्ताह तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
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