कोर्ट डिक्री के बाद भी ठीक नहीं किया गया जमीन का रिकॉर्ड
- गांव कालरम के किसान की जमीन मामले में बार-बार आदेश दिए, लेकिन तहसील कार्यालय ने रिकॉर्ड ठीक नहीं किया; कोर्ट ने सरकार को भी पार्टी बनाया, अब अगली सुनवाई 25 अगस्त को होगी
घरौंडा/करनाल (सच कहूँ न्यूज़)। Karnal News: कोर्ट डिक्री के बावजूद भी जमीन का रिकॉर्ड ठीक न करने पर घरौंडा कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए एसडीएम की गाड़ी काे अटैच रक दिया। जानकारी के मुताबिक, गांव कालरम के किसान ने कोर्ट में केस जीतकर 76 कनाल जमीन का मालिकाना हक साबित कर दिया था, लेकिन तहसील कार्यालय ने रिकॉर्ड में उसे केवल 10 कनाल का ही मालिक दिखा दिया। इंतकाल भी दर्ज हो जाने और दो अलग-अलग अदालतों से डिक्री आने के बावजूद अधिकारियों ने रिकॉर्ड में सुधार नहीं किया। बार-बार नोटिस जारी होने पर भी आदेश लागू नहीं हुए, जिसके चलते घरौंडा कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए घरौंडा एसडीएम की गाड़ी तक अटैच कर दी। अब 25 अगस्त को अगली सुनवाई होगी और अगर तब तक रिकॉर्ड सही नहीं किया गया तो कोर्ट एफआईआर तक दर्ज करवा सकती है। Karnal News
एडवोकेट एसएन भारद्वाज के मुताबिक, गांव कालरम के बलबीर पुत्र मुलतान सिंह ने कोर्ट में दावा किया था कि वह 76 कनाल जमीन का मालिक है, जबकि चकबंदी में उसे केवल 10 कनाल ही दी गई। करनाल कोर्ट में यह केस चला और डिक्री बलबीर के पक्ष में हुई। इंतकाल भी दर्ज कर लिया गया, लेकिन जब अगली जमाबंदी बनी तो उसमें फिर से बलबीर को केवल 10 कनाल का ही मालिक दिखा दिया गया। किसान ने इस पर आपत्ति जताई और सरकार व तहसीलदार के खिलाफ केस कर दिया। इस मामले में करनाल की दो अदालतों माननीय जज नवीन कुमार की कोर्ट और अर्चना कोहली की कोर्ट ने बलबीर के पक्ष में डिक्री दी। इसके बावजूद तहसील कार्यालय ने रिकॉर्ड को ठीक नहीं किया।
कोर्ट की ओर से सरकार को एक महीने में रिकॉर्ड सुधारने के आदेश दिए गए थे, लेकिन एक साल बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। बार-बार नोटिस भेजे गए, लेकिन तहसील कार्यालय और पटवारी की लापरवाही सामने आई। एसएन भारद्वाज ने बताया कि जब सरकार पार्टी होती है तो कोर्ट वरिष्ठ अधिकारी की गाड़ी या किसी सरकारी संपत्ति को अटैच करती है, ताकि अधिकारियों पर दबाव बनाया जा सके। इसी कड़ी में घरौंडा कोर्ट ने एसडीएम की गाड़ी को अटैच कर लिया। इसका मकसद यह है कि अफसर जिम्मेदारी समझें और आदेशों को लागू करवाएं। इस मामले में तहसीलदार और पटवारी की बड़ी लापरवाही मानी जा रही है, क्योंकि डिक्री के बावजूद उन्होंने रिकॉर्ड ठीक नहीं किया।
25 अगस्त को अगली सुनवाई, दर्ज हो सकती है एफआईआर | Karnal News
कोर्ट ने इस मामले में अगली तारीख 25 अगस्त तय की है। अगर तब तक रिकॉर्ड सही नहीं हुआ तो कोर्ट चार्जशीट दाखिल कर सकती है और एफआईआर दर्ज करने का आदेश भी दे सकती है।
हाईकोर्ट का आदेश, छह महीने में लागू हों डिक्री
भारद्वाज के मुताबिक माननीय हाईकोर्ट के आदेशों के अनुसार किसी भी डिक्री या आदेश को छह महीने के भीतर लागू करना जरूरी होता है। लेकिन घरौंडा तहसील कार्यालय ने छह महीने यूं ही निकाल दिए। इस पूरी प्रक्रिया में सबसे बड़ी गलती पटवारी की रही, जिसने आदेश के बावजूद रिकॉर्ड में सुधार नहीं किया।
कैसे गए हेड क्वाटर एसडीएम
एसडीएम राजेश सोनी ने बताया कि उनके पास शाम पांच बजे तक गाड़ी सौपने का समय था। आदेश आने के बाद उन्होंने कार्यालय का काम खत्म किया और लगभग चार बजे वे कार्यालय से इसी गाड़ी में हेड क्वाटर चले गए और उसके बाद ड्राइवर ने यहां पर गाड़ी सुपुर्द कर दी। एसडीएम राजेश सोनी का कहना है कि माननीय कोर्ट की तरफ से आदेश आए थे। जिसमे मेरी गाड़ी को अटैच किया गया है। मैने गाड़ी सौंप दी। हालांकि इस केस के बारे में मुझे जानकारी नहीं थी और न ही मुझे कोई नोटिस था। Karnal News
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