दिव्यांग किसान ने शिमला मिर्च की खेती से बदली तकदीर

Capsicum Farming

मुसीबतों से ही निखरी है
इंसान की शख्सियत,
जो चट्टानों से न टकराए
वो झरना किस काम का।

-ये पंक्तियां उत्तर प्रदेश में इटावा जनपद के एक दिव्यांग युवा किसान पर सटीक बैठती हैं। इस युवा ने खेती में एक साल में एक करोड़ रुपए की आमदनी लेकर कामयाबी की नई मिसाल कायम की है। इस टर्नओवर में उन्होंने 85 लाख से अधिक का लाभ प्राप्त किया। हम बात कर रहे हैं आलोक कुमार की। एक वक्त थाना बसरेहर क्षेत्र के अंतर्गत ग्राम चकवा बुजुर्ग के रहने वाले 30 वर्षीय आलोक अपने परिवार में गरीबी से जूझ रहे थे। उनके पिता के पास मात्र 5 बीघा जमीन है। जिस पर खेती करके जैसे-तैसे गुजारा हो रहा था पर अब आलोक की मेहनत ने उनकी किस्मत बदल दी।

बचपन में हुए पोलियो का शिकार

आलोक एक पैर से दिव्यांग हैं। उनको बचपन में पोलियो की शिकायत हो गई थी। उनकी माँ और बहन भी दिव्यांग हैं। ऐसे में, घर में 3 सदस्य दिव्यांगता के शिकार हैं और उनके पिता अकेले खेती में संघर्ष कर रहे थे। इस सबके दौरान, आलोक ने एक पत्रिका में शिमला मिर्च उगाने की पद्धति को पढ़ा। यह पढ़ने के बाद उन्होंने अपने यहां शिमला मिर्च उगाने की ठानी। हालांकि चुनौती बड़ी थी। आलोक ने परंपरागत खेती से हटकर एक बीघा में शिमला मिर्च का उत्पादन किया। किंतु अनुभव न होने की वजह से नुकसान हुआ और पहली बार की फसल आधी से ज्यादा बर्बाद हो गई थी। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।

लगातार प्रयास कर हासिल की सफलता

आलोक ने फिर से शिमला मिर्च की फसल उगाई और हर बार खेती से जुड़ी बातें सीखते रहे। धीरे-धीरे उन्हें शिमला मिर्च में फायदा होना शुरू हो गया। सोशल मीडिया की मदद से शिमला मिर्च उगाने की अत्याधुनिक तकनीक सीखी। इसके बाद, पिछले वर्ष दूसरों की जमीन पट्टे पर लेकर 40 बीघा में उन्होंने जैविक तरीके से शिमला मिर्च की पैदावार की। उन्हें शिमला मिर्च की अच्छी फसल मिली। आलोक ने एक करोड़ रुपए की शिमला मिर्च बाजार में बेच दी। फसल लगाने में 15 लाख रुपए की लागत आई थी और उन्हें 85 लाख रुपए का नेट प्रॉफिट हुआ। इस तरह से लगातार आलोक दिव्यांग होते हुए भी लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत बने हैं।

तैयार की शिमला मिर्च की नर्सरी

दिव्यांग आलोक ने बताया कि क्षेत्र में 500 से अधिक किसान अब आधुनिक खेती का प्रशिक्षण ले रहे हैं। वह भी अपने यहां शिमला मिर्च का उत्पादन कर रहे हैं। किसानों के साथ मिलकर, आलोक ने इस समय 17 एकड़ में शिमला मिर्च की पौध नर्सरी बनाई है। ताकि सभी किसानों को फायदा मिले। आलोक ने यह भी बताया कि शुरू-शुरू में कम प्रॉफिट होता था। लेकिन इस खेती को निरंतर करने से इसकी कमियां दूर करने का मौका मिला और फिर उन्हें अच्छा मुनाफा होने लगा। वह किसी भी मौसम में शिमला मिर्च उगा लेते हैं। इस फसल में अब वह इतने एक्सपर्ट हो गए हैं कि किसी भी प्रकार का रोग और किसी प्रकार की समस्या नहीं आने देते हैं।

युवाओं के लिए संदेश

आलोक युवाओं के लिए संदेश देते हैं कि युवा खेती में भी अच्छा करियर बना सकते हैं। नौकरी से अधिक पैसा कमा सकते हैं। नौकरी के लिए पूरा देश भाग रहा है, लेकिन सभी को तो नौकरी नहीं मिलेगी। किसान की आय दुगनी हो, तो इसके लिए किसानों को अपनी सोच बदलनी पड़ेगी।

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