
ल्ल सरकार के दिशा निर्देश के बावजूद प्रशासन बरत रहा लापरवाही
जाखल (सच कहूँ/तरसेम सिंह)। Jakhal News: हर साल की तरह इस बार भी जाखल क्षेत्र के लोगों की आंखें आसमान की ओर टिकी हैं, लेकिन इस बार वजह बारिश नहीं, बल्कि प्रशासन की लापरवाही है। शिवालिक की पहाड़ियों से निकलकर आ रही घग्घर नदी, जो पहले ही दर्जनों बार बाढ़ का रूप ले चुकी है, एक बार फिर तबाही की कगार पर खड़ी है। हैरानी की बात यह है कि जिला प्रशासन ने अब तक कोई ठोस बाढ़ प्रबंधन योजना नहीं अपनाई है।
चांदपुरा साईफन पर स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां 21 में से कई दरवाजे जलकुंभी व गंदगी से बंद पड़े हैं। दरवाजों की सफाई नहीं की गई, जिससे जल निकासी बाधित होती है। यदि तेज बारिश होती है तो यहां स्थिति बेहद भयावह हो सकती है। घग्घर नदी के किनारे कमजोर हैं और पिछले वर्ष जहां-जहां नदी ने तांडव मचाया था, वहां मात्र कुछ सीमित मरम्मत कर दी गई है, स्थायी समाधान नहीं किया गया।
2023 की बाढ़ का दर्द अब भी ताजा | Jakhal News
पिछले साल की भयावह बाढ़ ने फतेहाबाद जिले के 114 गांवों को प्रभावित किया था। इनमें से 35-40 गांव तो पूरी तरह चारों तरफ से बाढ़ के पानी में घिर गए थे। हालात इतने गंभीर थे कि सेना ने विशेष नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित निकालना पड़ा। उस समय प्रशासन जागा जरूर था, लेकिन वह सजगता अब फिर से सो गई है।
घग्घर पहले ही छह बार बाढ़ ला चुकी है
अगर हम पिछले बीते वर्षाें की बात करे तो सन 1983, 1993, 1995, 1998, 2010 और 2023 में घग्घर छह बार बाढ़ ला चुकी है। हर बार यही कहा गया कि तटबंध मजबूत किए जाएंगे, लेकिन हर बार बरसात से पहले आखिरी पलों में दिखावा होता रहा। इसी क्रम में इस बार भी बाढ़ से पहले कोई व्यापक निरीक्षण या ठोस कार्रवाई नहीं दिख रही।
12 हजार की सीमा, 24 हजार क्यूसिक का खतरा
जानकारों के अनुसार, घग्घर नदी में पानी बहने की क्षमता 12 हजार क्यूसिक तक है। इसके ऊपर जाते ही पानी तटबंधों को पार कर गांवों में घुसने लगता है। 2023 में 24 हजार क्यूसिक पानी आया था, जिसने जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था। इस बार भी यदि समय रहते ठोस कदम नहीं उठाए गए तो हालात किसी से छिपे नहीं रहेंगे।
जाखल-टोहाना व रतिया के 60 गांव ज्यादा खतरे में
सिंचाई विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, जाखल, टोहाना और रतिया ब्लॉक के करीब 60 गांव ऐसे हैं, जो बाढ़ की सीधी चपेट में आ सकते हैं। खासकर हिमाचल में भारी बारिश हुई तो घग्घर नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ सकता है और कमजोर रिंग बांधों के कारण तटवर्ती गांव पूरी तरह जलमग्न हो सकते हैं। Jakhal News
…अभी वक्त है वरना 2023 की बर्बादी फिर लौटेगी
प्रशासन की लारवाही के चलते कई सवाल उठ रहे हैं। क्या जिला प्रशासन फिर से वही गलती दोहराने जा रहा है? क्या इंतजार उस वक्त का है जब पानी गांवों में घुस जाए? सवाल गंभीर हैं और जवाब मांगते हैं। अब भी वक्त है—घग्घर के किनारों को मजबूत किया जाए, सायफन की सफाई की जाए और संवेदनशील गांवों को लेकर एडवांस प्लान तैयार किया जाए, वरना 2023 की बर्बादी एक बार फिर लौट सकती है।
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