राज्य में 44 हजार 424 जनजातीय परिवारों को वनाधिकार पट्टे वितरित

Forest Rights Lease

उदयपुर। राजस्थान में वनाधिकार अधिनियम के तहत वन में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों और अन्य परम्परागत वनवासी परिवारों को 44 हजार 424 पट्टों का वितरण कर 34 हजार 849 हैक्टेयर भूमि का आवंटन किया गया है। इनमें 44 हजार 72 पट्टे व्यक्तिगत श्रेणी में तथा 352 सामुदायिक श्रेणी में जारी किये गये है। जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजेश्वर सिंह ने बताया कि राज्य में वन क्षेत्र मुख्यतः उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा, सिरोही, चित्तौड़गढ़, बांरा, अलवर, सवाई माधोपुर जिलों में फैला हुआ है। वनाधिकार अधिनियम के तहत अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परम्परागत् वन निवासियों को अधिकतम चार हैक्टेयर भूमि का पट्टा दिया जा सकता है, जबकि सामुदायिक अधिकार के तहत निवास, वनोपज का संग्रहण, पशुचारण हेतु उपयोग इत्यादि सम्मिलित है।

अनुसूचित जनजाति के वनवासियों के लिए पट्टा प्राप्त करने हेतु 13 दिसम्बर, 2005 से पूर्व वन भूमि का अधिभोग किया जाना जरूरी है, जबकि अन्य परम्परागत वनवासियों के लिए उक्त तिथि से पूर्व कम से कम 3 पीढियों तक वन भूमि में निवास करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि राज्य में कुल 79,600 दावे प्राप्त हुए थे, जिनमें व्यक्तिगत दावें 77 हजार 925 तथा सामुदायिक दावें 16 हजार 775 थे, जिनमें से 44 हजार 72 व्यक्तिगत अधिकार पत्र एवं 352 सामुदायिक अधिकार पत्र जारी किये गये। प्रक्रियाधीन दावों की संख्या 2026 है जिनमें 1944 व्यक्तिगत दावे और 82 सामुदायिक दावे है। सिंह ने बताया कि पट्टाधारी परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए भारत सरकार से 5 करोड़ रूपये की परियोजना स्वीकृत करवायी गई है।

 

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