नई दिल्ली। सप्ताह के अंतिम कारोबारी सत्र में गिरावट दर्ज होने के बावजूद घरेलू वायदा बाज़ार में सोने ने इस हफ़्ते सकारात्मक बढ़त के साथ कारोबार समाप्त किया। एमसीएक्स पर शुक्रवार को पीली धातु की कीमत तेज़ उतार-चढ़ाव के बीच 123,400 रुपये प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई। अमेरिकी फेडरल रिज़र्व अधिकारियों की सख्त टिप्पणियों ने अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में दबाव बढ़ाया, जिसके कारण सोने में लगभग 2.64% की कमजोरी देखने को मिली। Gold News Today
फिर भी, पूरे सप्ताह के दौरान सोना लगभग 2% से अधिक चढ़ने में सफल रहा। निवेशकों को उम्मीद थी कि अगर यह तेजी बनी रही तो सोने की कीमतें एक बार फिर 1,32,000 रुपये के ऐतिहासिक स्तर की ओर बढ़ सकती हैं, जहां यह पिछले महीने के शुरुआती दिनों में पहुँची थी। एशिया-प्रशांत क्षेत्र के वीटी मार्केट्स के वरिष्ठ बाजार विशेषज्ञ जस्टिन खू का कहना है कि केंद्रीय बैंकों की मजबूत खरीद और वैश्विक तनावपूर्ण हालात के कारण सोने में आधारभूत समर्थन कायम है, जो भविष्य में भी इसकी कीमतों को सहारा देगा।
विश्लेषकों के अनुसार, अमेरिका में अब तक के सबसे लंबे शटडाउन के बाद आर्थिक आंकड़ों का जारी होना सोने की भविष्य की दिशा तय करेगा। लंबे अवकाश के कारण अद्यतन आँकड़ों में देरी से फेडरल रिज़र्व के निर्णयों पर भी अनिश्चितता बढ़ गई है, जिससे सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग में मजबूती देखी जा रही है। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ के मूल्यवान धातु विशेषज्ञ मानव मोदी का कहना है कि कमजोर आर्थिक आंकड़ों की आशंका, हालिया मुनाफावसूली और शंघाई में सोने के भंडारण में बढ़ोतरी—ये सभी कारक इस सप्ताह की तेजी के प्रमुख कारण रहे। Gold News Today
केंद्रीय बैंकों द्वारा लगातार बड़ी मात्रा में सोना खरीदना भी एक अहम कारण है। वर्ष 2022 और 2023 में केंद्रीय बैंकों ने हर साल 1,000 टन से अधिक सोना खरीदा। वर्ष 2024 में भी यह लक्ष्य पहले ही पार हो चुका है। चीन, पोलैंड और अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाएँ प्रमुख खरीदारों में शामिल हैं। शुरुआती अनुमान बताते हैं कि 2025 में भी 750–950 टन तक सोने की खरीद की संभावना है।
सोने में बढ़े उतार-चढ़ाव को देखते हुए विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि निवेशक ऊँचे स्तर पर खरीदी से बचें और कीमत घटने पर धीरे-धीरे निवेश बढ़ाएँ। जस्टिन खू के अनुसार, “सोना उच्च स्तरों पर बना हुआ है और वैश्विक डी-डॉलरीकरण से इसे और समर्थन मिल रहा है। इसलिए बेहतर है कि निवेशक 2–3% की मामूली गिरावट पर ही खरीदारी करें।”















