Farmer Protest : किसानों ने सरकार का प्रस्ताव ठुकराया

Farmer Protest

नई दिल्ली। कृषि कानूनों को रद्द कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों ने किसानों की समस्या को हल करने के प्रति मोदी सरकार का रवैये को असंवेदनशील करार देते हुए सरकार के प्रस्ताव को नकार दिया है। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने आज संवाददाताओं से कहा कि किसानों की समस्या को हल करने के प्रति मोदी सरकार का रवैया असंवेदनशील और हेकड़ी भरा है इसलिए सभी किसान संगठनों ने नए के रूप में दिये गये इस पुराने प्रस्ताव को नकार दिया है।

एआईकेएससीसी और सभी किसान संगठनों ने तीन खेती क कानून व बिजली बिल 2020 को रद्द करने की मांग दोहराई। उन्होंने कहा कि विरोध जारी रहेगा, दिल्ली में किसानों की संख्या बढ़ेगी, सभी राज्यों में जिला स्तर पर धरने शुरू होंगे। एआईकेएससीसी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में केन्द्र सरकार के तथाकथित, ‘नए’ प्रस्तावों को असंवेदनशील व हठधर्मी बताकर नकारा गया और इन्हें नकारने में सभी किसान संगठन साथ हैं। एआईकेएससीसी ने किसान संगठनों से अपील की कि वे वे सभी जिलों व राज्य राजधानियों में समर्थन कर रहे संगठनों के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थानों पर लागातार धरने आयोजित करें।

उन्होंने कहा कि आठ दिसम्बर के भारत बंद ने किसानों के इस देशव्यापी लोकप्रिय विरोध को दृ़ढ़ता से स्थापित किया और सभी संदेह खारिज कर दिये। (Farmer Protest)   एआईकेएससीसी ने भारत बंद के दौरान जन भागीदारी को देखते हुए सभी संगठनों व राजनीतिक दलों से अपील की है कि वे इस संघर्ष को तेज करने के लिए दिल्ली में किसानों को गोलबंद करें।

सरकार के प्रस्तावों में राज्य सरकार प्राइवेट मंडियों पर भी शुल्क/फीस लगा सकती है, राज्य सरकार चाहे तो मंडी व्यापारियों का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर सकती है, किसानों को कोर्ट कचहरी जाने का विकल्प भी दिया जाएगा, किसान और कंपनी के बीच कॉन्ट्रैक्ट की 30 दिन के अंदर रजिस्ट्री होगी, कॉन्ट्रैक्ट कानून में स्पष्ट किया जाना है कि किसान की जमीन या बिल्डिंग पर ऋण या गिरवी नहीं रख सकते, किसान की जमीन की कुर्की नहीं हो सकेगी, एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में सरकार लिखित आश्वासन देगी, बिजली बिल अभी ड्राफ्ट है तथा एनसीआर में प्रदूषण वाले कानून पर किसानों की आपत्तियों का समुचित समाधान किया जाना शामिल है।

विपक्षी नेताओं की कोविंद से कृषि कानून वापस लेने की मांग

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी सहित विपक्ष के पांच नेताओं ने बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात कर किसान आंदोलन के मद्देनजर सरकार से कृषि संबंधी तीनों कानून वापस लेने की मांग की। गांधी ने मुलाकात के बाद राष्ट्रपति भवन के बाहर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपक्ष के नेताओं ने राष्ट्रपति से कहा कि सरकार किसानों के हितों को कुचल रही है जिसके कारण किसान सड़कों पर है इसलिए किसानों के आंदोलन को समाप्त करने के लिए वह सरकार को इन तीनों कानूनों को वापस लेने का निर्देश दें।

उन्होंने कहा “जिस तरह से यह तीनों विधेयक पारित हुए हैं, वह तरीका ही गलत था और इससे किसान का सरकार पर भरोसा टूटा है। ठंड में किसान धरने पर बैठे है और किसान विरोधी सरकार उनकी नहीं सुन रही है। जब तक किसानों की बात नहीं मानी जाती है, वे सड़कों से हटेंगे नही।” राष्ट्रवाद कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने कहा कि किसान 13 दिन से ठंड से सिकुड़ रहे हैं और सड़कों पर धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं लेकिन सरकार उनकी सुध नहीं ले रही है। ऐसे में विपक्षी नेताओं का दायित्व था कि देश के सर्वोच्च नेतृत्व से मिलकर सरकार की असलियत से अवगत कराये और इसी वजह से आज यह राष्ट्रपति से मुलाकात की।

जानें, क्या हैं किसानों के मुद्दे और सरकार के प्रस्ताव

मुद्दा – कृषि सुधार कानूनों को निरस्त करना।
प्रस्ताव- कानून के वे प्रावधान जिन पर किसानों को आपत्ति है, उन पर सरकार खुले मन से विचार करने के लिए तैयार है।
मुद्दा – आशंका है कि मंडी समितियों द्वारा स्थापित मंडियां कमजोर होंगी और किसान प्राइवेट मंडियों के चंगुल में फंस जाएगा।
प्रस्ताव- अधिनियम को संशोधित करके यह प्रावधानित किया जा सकता है कि राज्य सरकार निजी मंडियों के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था लागू कर सके। साथ ही ऐसी मंडियों से राज्य सरकार एपीएमसी मंडियों में लागू सेस/शुल्क की दर तक सेस/शुल्क निर्धारित कर सकेगी।
मुद्दा – कारोबारी के रजिस्ट्रेशन को लेकर किसानों की आशंका।
प्रस्ताव- राज्य सरकारों को इस प्रकार के रजिस्ट्रेशन के लिए नियम बनाने की शक्ति प्रदान की जा सकती है, जिससे स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार राज्य सरकारें किसानों के हित में नियम बना सकें।
मुद्दा – सिविल कोर्ट न जाने का विकल्प
प्रस्ताव- विवाद के निपटारे के लिए नए कानूनों में एसडीएम कोर्ट के अलावा, अतिरिक्त सिविल कोर्ट में जाने का विकल्प भी दिया जा सकता है।
मुद्दा – कृषि अनुबंधों के पंजीकरण की व्यवस्था नहीं है।
प्रस्ताव- जब तक राज्य सरकारें रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था नहीं बनाती हैं, तब तक सभी लिखित करारों की एक प्रतिलिपि करार पर हस्ताक्षर होने के 30 दिन के भीतर संबंधित एसडीएम कार्यालय में उपलब्ध कराने हेतु व्यवस्था की जाएगी।
मुद्दा – किसान की जमीन पर बड़े उद्योगपति कब्जा कर लेंगे।
प्रस्ताव-किसान की जमीन पर बनाई जाने वाली संरचना पर खरीदार द्वारा किसी प्रकार का कर्ज नहीं लिया जा सकेगा और न ही ऐसी संरचना उसके द्वारा बंधक रखी जा सकेगी।
मुद्दा – किसान की जमीन की कुर्की हो सकेगी।
प्रस्ताव- प्रावधान स्पष्ट है, फिर भी किसी प्रकार के स्पष्टीकरण की जरूरत होगी तो उसे जारी किया जाएगा।
मुद्दा – किसान को एमएसपी पर सरकारी एजेंसी को बेचने का विकल्प खत्म हो जाएगा।
प्रस्ताव- केंद्र सरकार एमएसपी की वर्तमान खरीदी व्यवस्था के संबंध में लिखित आश्वासन देगी।
मुद्दा – बिजली संशोधन विधेयक, 2020 को खत्म किया जाए।
प्रस्ताव- किसानों की विद्युत बिल भुगतान की वर्तमान व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं होगा।
मुद्दा – एयर क्वालिटी मैनेजमेंट आॅफ एनसीआर आॅर्डिनेंस को खत्म किया जाए।
प्रस्ताव- पराली जलाने से संबंधित प्रावधान के अंतर्गत किसानों की आपत्तियों का समाधान किया जाएगा।

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