India Pakistan Conflict: कैसे होती है परमाणु हमले की तैयारी, कितनी देर में कौन सा देश कर सकता है न्यूक्लियर स्ट्राइक?

India Pakistan Conflict
India Pakistan Conflict: कैसे होती है परमाणु हमले की तैयारी, कितनी देर में कौन सा देश कर सकता है न्यूक्लियर स्ट्राइक?

India Pakistan Conflict: परमाणु हथियारों की सक्रियता और लॉन्च प्रक्रिया अत्यंत जटिल और संवेदनशील होती है। यह प्रक्रिया देश की तकनीकी क्षमता, सैन्य रणनीति, कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम और राजनीतिक निर्णयों पर निर्भर करती है। नीचे हम इस प्रक्रिया को विस्तार से समझेंगे और विभिन्न देशों की तैयारियों का विश्लेषण करेंगे।

परमाणु हथियार सक्रिय करने की प्रक्रिया | India Pakistan Conflict

1. निर्णय लेना: परमाणु हथियारों के उपयोग का निर्णय देश के सर्वोच्च नेतृत्व द्वारा लिया जाता है, जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या सैन्य कमांडर। यह निर्णय खुफिया जानकारी, खतरे के स्तर और रणनीतिक उद्देश्यों के आधार पर लिया जाता है।

2. कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम: निर्णय के बाद, आदेश सैन्य कमांड सेंटर तक पहुंचाया जाता है। यहां आदेश की सत्यता की पुष्टि की जाती है। अमेरिका जैसे देशों में “टू-पर्सन रूल” लागू होता है, जहां दो अधिकारियों की सहमति आवश्यक होती है। इसके अलावा, “परमिसिव एक्शन लिंक” (PAL) जैसे सुरक्षा उपकरणों का उपयोग होता है, जो अनधिकृत उपयोग को रोकते हैं।

3. हथियारों की तैयारी: आदेश की पुष्टि के बाद, हथियारों को लॉन्च के लिए तैयार किया जाता है। इसमें मिसाइलों को सक्रिय करना, लक्ष्यों को सेट करना और तकनीकी सत्यापन शामिल होता है।

4. लॉन्च: हथियारों को लॉन्च किया जाता है, जो मिसाइल, बमवर्षक विमान या पनडुब्बी के माध्यम से हो सकता है। लॉन्च के बाद, हथियार अपने निर्धारित लक्ष्य की ओर बढ़ते हैं।

प्रमुख परमाणु देशों की लॉन्च तैयारी | India Pakistan Conflict

अमेरिका: समय: लगभग 4-5 मिनट (लॉन्च आदेश के बाद)
तैनाती: अमेरिका के पास दुनिया की सबसे उन्नत परमाणु कमांड-एंड-कंट्रोल प्रणाली है। राष्ट्रपति के आदेश के बाद मिनटमैन ICBM कुछ ही मिनटों में लॉन्च की जा सकती हैं। पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों को लॉन्च करने में 10-15 मिनट लग सकते हैं। अमेरिका की “लॉन्च-ऑन-वॉर्निंग” नीति के कारण, खतरे की स्थिति में प्रतिक्रिया त्वरित होती है।

रूस, समय: 4-10 मिनट: तैनाती: रूस की परमाणु प्रणाली भी अत्यधिक उन्नत है। रूस के पास “डेड हैंड” (पेरीमेटर) जैसी स्वचालित प्रणालियां हैं, जो जवाबी हमले को सुनिश्चित करती हैं। रूस की ICBM, जैसे कि सरमत मिसाइल कुछ मिनटों में लॉन्च हो सकती हैं। पनडुब्बी और मोबाइल लॉन्चर थोड़ा अधिक समय ले सकते हैं, लेकिन रूस की रणनीति त्वरित प्रतिक्रिया पर केंद्रित है।

चीन, समय: 15-30 मिनट: तैनाती: चीन की परमाणु रणनीति “नो फर्स्ट यूज” पर आधारित है। इसके हथियार हमेशा तैनात स्थिति में नहीं रहते। मिसाइलों को सक्रिय करने और ईंधन भरने में समय लग सकता है। हालांकि हाल के वर्षों में चीन ने अपनी परमाणु क्षमता का विस्तार किया है। नई हाइपरसोनिक मिसाइलें तेजी से लॉन्च हो सकती हैं।

फ्रांस और यूनाइटेड किंगडम समय: 10-20 मिनट: तैनाती: दोनों देशों की परमाणु शक्ति मुख्य रूप से पनडुब्बी-आधारित मिसाइलों पर निर्भर है। लॉन्च के लिए पनडुब्बी कमांडर को आदेश प्राप्त करना और सत्यापित करना होता है, जिसमें कुछ मिनट लग सकते हैं। यूके की ट्राइडेंट मिसाइलें और फ्रांस की M51 मिसाइलें उच्च स्तर की तत्परता में रहती हैं।

भारत, समय: 30 मिनट से कुछ घंटे: तैनाती: भारत की परमाणु नीति “नो फर्स्ट यूज” और “विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोध” पर आधारित है। भारत के हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते। मिसाइलों को सक्रिय करने के लिए असेंबली और ईंधन भरने की आवश्यकता हो सकती है। अग्नि मिसाइलें और पनडुब्बी-आधारित K-4 मिसाइलें लॉन्च के लिए समय ले सकती हैं। भारत की कमांड प्रणाली में सिविलियन और सैन्य नेतृत्व के बीच समन्वय आवश्यक है, जो समय बढ़ा सकता है।

पाकिस्तान, समय: 30 मिनट से कुछ घंटे, तैनाती: पाकिस्तान की परमाणु रणनीति भारत पर केंद्रित है। इसमें त्वरित प्रतिक्रिया की क्षमता है। हालांकि, इसके हथियार तैनात स्थिति में नहीं रहते। मिसाइलों (जैसे गौरी और शाहीन) को सक्रिय करने में समय लगता है। सैन्य नेतृत्व का केंद्रीकृत नियंत्रण प्रक्रिया को धीमा कर सकता है।

इजरायल, समय: अज्ञात (संभावित रूप से 30 मिनट से कुछ घंटे)
तैनाती: इजरायल अपनी परमाणु क्षमता को आधिकारिक तौर पर स्वीकार नहीं करता, लेकिन अनुमान है कि इसके पास 90-200 हथियार हैं। ये हथियार संभवतः तैनात स्थिति में नहीं हैं। एक्टिव के लिए समय की आवश्यकता हो सकती है। जेरिको मिसाइलें और हवाई बम तेजी से उपयोग हो सकते हैं, लेकिन प्रक्रिया गोपनीय है।

उत्तर कोरिया,‌ समय: 1 घंटे से अधिक: तैनाती: उत्तर कोरिया की परमाणु क्षमता सीमित लेकिन बढ़ रही है। मिसाइलों को ईंधन भरने और लॉन्च के लिए तैयार करने में समय लगता है। किम जोंग-उन का केंद्रीकृत नियंत्रण प्रक्रिया को जटिल बना सकता है। उत्तर कोरिया की मिसाइलें तेजी से लॉन्च हो सकती हैं, लेकिन तकनीकी विश्वसनीयता एक चुनौती है।

ईरान, समय: सप्ताह से महीने तैनाती: ईरान के पास अभी परमाणु हथियार नहीं हैं, लेकिन इसकी यूरेनियम संवर्धन क्षमता इसे हथियार बनाने के करीब ले आई है। जनवरी 2024 के अनुसार ईरान को एक हथियार के लिए पर्याप्त यूरेनियम संवर्धन में लगभग एक सप्ताह लग सकता है। हालांकि इसे मिसाइल में तैनात करने और लॉन्च करने में अतिरिक्त समय लगेगा।

परमाणु हथियारों की सक्रियता और लॉन्च प्रक्रिया देश की नीति, तकनीकी क्षमता और कमांड सिस्टम पर निर्भर करती है। जहां अमेरिका और रूस जैसे देश मिनटों में प्रतिक्रिया दे सकते हैं, वहीं भारत और पाकिस्तान जैसे देशों को कुछ घंटे लग सकते हैं। ईरान जैसे देश अभी पूर्ण परमाणु क्षमता तक नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उनकी प्रगति पर निगरानी आवश्यक है। इस जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया को समझना वैश्विक सुरक्षा और शांति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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