History Haryana: मैं आज यमुनानगर हूँ, जानिये मेरे इतिहास के बारे में, ऐसी जानकारी जो आपके हमेशा आएगी काम

history Haryana
History Haryana: मैं आज यमुनानगर हूँ, जानिये मेरे इतिहास के बारे में, ऐसी जानकारी जो आपके हमेशा आएगी काम

history Haryana: प्रतापनगर, राजेन्द्र कुमार। भारत विविधताओं से भरा देश है। यहां का हर राज्य अपनी अलग पहचान, संस्कृति और इतिहास के लिए जाना जाता है। इन्हीं में से एक राज्य है हरियाणा, जो मेहनतकश लोगों, ऐतिहासिक विरासत और तेज़ी से बढ़ते औद्योगिक विकास के लिए प्रसिद्ध है। हरियाणा का हर जिला अपनी विशिष्ट पहचान रखता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज का यमुनानगर जिला कभी अबदुल्लापुर के नाम से जाना जाता था? आइए, इस लेख के माध्यम से जानते हैं इस जिले के इतिहास और वर्तमान की पूरी कहानी। yamunanagar history

Cold Winter Coming: दशक की सबसे ठंडी सर्दी इस बार पड़ेगी!, मौसम विभाग की चेतावनी

हरियाणा राज्य का गठन | history Haryana

हरियाणा राज्य का गठन 1 नवंबर 1966 को हुआ था। इसे भाषाई आधार पर पंजाब से अलग करके भारत का 17वां राज्य बनाया गया। लगभग 44,212 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस राज्य का भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र में लगभग 1.6 प्रतिशत हिस्सा है। हरियाणा कृषि, उद्योग और खेल के क्षेत्र में देश को नई दिशा देने वाला राज्य रहा है। राज्य के गठन के समय हरियाणा में केवल कुछ ही जिले थे, लेकिन विकास के साथ नए जिलों का गठन होता गया और आज यहां कुल 22 जिले हैं।

White Hair: 15-20 साल की उम्र में सफेद हुए बाल दोबारा हो सकते हैं काले? आयुर्वेदिक डॉक्टर ने बताया सटीक उपाय

प्रशासनिक ढांचा और जनसंरचना | history Haryana

हरियाणा को प्रशासनिक रूप से 6 मंडलों में बांटा गया है, जिनमें 73 उपमंडल, 93 तहसीलें और 142 विकासखंड शामिल हैं। राज्य में 10 नगर निगम, 20 से अधिक नगर परिषदें, 90 विधानसभा सीटें, 10 लोकसभा सीटें और 5 राज्यसभा सीटें हैं। ग्रामीण क्षेत्र में 7000 से अधिक गांव बसे हुए हैं, जो हरियाणा की संस्कृति और लोक परंपराओं को आज भी जीवित रखते हैं।

हरियाणा के सबसे बड़े और सबसे छोटे जिले

राज्य का सबसे बड़ा जिला सिरसा है, जो लगभग 4277 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। वहीं, सबसे छोटा जिला फरीदाबाद है, जिसका क्षेत्रफल मात्र 742.9 वर्ग किलोमीटर है।
फरीदाबाद न केवल क्षेत्रफल के आधार पर छोटा है, बल्कि जनसंख्या घनत्व और साक्षरता दर के मामले में भी अपनी अलग पहचान रखता है।
राज्य की चार दिशाओं के प्रमुख जिले
उत्तर दिशा: पंचकूला
पूर्व दिशा: यमुनानगर
दक्षिण दिशा: नूंह
पश्चिम दिशा: सिरसा
ये जिले भौगोलिक दृष्टि से राज्य की सीमाओं को परिभाषित करते हैं और अपनी-अपनी सांस्कृतिक विशेषताओं के लिए जाने जाते हैं।

साक्षरता दर और शिक्षा

2011 की जनगणना के अनुसार, हरियाणा की कुल साक्षरता दर 75.5 प्रतिशत दर्ज की गई थी।
सबसे अधिक शिक्षित जिला:- गुरुग्राम, जहां शिक्षा और औद्योगिक विकास दोनों का बेहतरीन मेल देखने को मिलता है।
सबसे कम साक्षर जिला:- फरीदाबाद, हालांकि हाल के वर्षों में यहां शिक्षा के क्षेत्र में तेज़ी से सुधार हुआ है।

यमुनानगर का इतिहास और पुराना नाम

  • आज जिसे हम यमुनानगर के नाम से जानते हैं, उसे पहले अबदुल्लापुर कहा जाता था। आज़ादी से पहले यह एक छोटा-सा गांव था, जहां मुख्य रूप से रेलवे स्टेशन के आसपास कुछ बस्तियां थीं।
  • 1947 में भारत विभाजन के बाद पाकिस्तान से आए शरणार्थियों ने यहां बसना शुरू किया। धीरे-धीरे यह क्षेत्र विकसित होने लगा और स्थानीय लोगों ने इसे एक नए स्वरूप में ढाल दिया। अबदुल्लापुर का नाम बदलकर यमुनानगर रखा गया  क्योंकि यह जिला यमुना नदी के किनारे बसा हुआ है और इस क्षेत्र की पहचान इस नदी से गहराई से जुड़ी है।
  • प्राचीन काल: ऐतिहासिक रूप से, यमुनानगर का क्षेत्र ‘सरस्वती सभ्यता’ का हिस्सा था। कपाल मोचन मेले के पास राजा जरासंध के प्राचीन किले के अवशेष भी यहां मिलते हैं।
  • चचेहड़ी बौद्ध स्तूप: यह अशोक के शासनकाल में बनाया गया था और बौद्ध धर्म का एक महत्वपूर्ण केंद्र था।
  • माता मन्त्रा देवी का मंदिर: शिवालिक पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित यह मंदिर मन्त्रों से प्रकट हुई माता के लिए प्रसिद्ध है।
  • कापाल मोचन: यह एक पवित्र स्थान है जहाँ राजा जरासंध से संबंधित एक किले के अवशेष हैं।
  • कालेसर राष्ट्रीय उद्यान: यह यमुनानगर में एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है।

यमुनानगर को जिला का दर्जा कब मिला

साल नवंबर 1989 में यमुनानगर को आधिकारिक रूप से जिले का दर्जा दिया गया। इससे पहले यह अंबाला जिले का हिस्सा हुआ करता था। जिले के गठन के बाद यहां शिक्षा, उद्योग और व्यापार का तेज़ विकास हुआ।
आज यमुनानगर हरियाणा के प्रमुख औद्योगिक जिलों में से एक है। यहां कागज़ उद्योग, फर्नीचर निर्माण, शुगर मिलें, और प्लाईवुड फैक्ट्रियां बड़ी संख्या में मौजूद हैं। यह जिला हरियाणा की आर्थिक रीढ़ के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।

धार्मिक और प्राकृतिक महत्व

यमुनानगर धार्मिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां स्थित कपलेश्वर महादेव मंदिर, बिलासपुर, और सदर बाजार का गुरुद्वारा श्रद्धालुओं के प्रमुख केंद्र हैं। इसके अलावा, हथनीकुंड बैराज न केवल पर्यटक आकर्षण का केंद्र है, बल्कि यह यमुना नदी के प्रवाह को नियंत्रित करने और सिंचाई व्यवस्था को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभाता है।
यमुनानगर का इतिहास यह दर्शाता है कि कैसे एक छोटा-सा गांव समय के साथ एक विकसित और समृद्ध जिले में बदल गया। अबदुल्लापुर से यमुनानगर तक का सफर इस जिले की मेहनत, संघर्ष और प्रगति की कहानी बयां करता है। आज यह जिला न केवल हरियाणा के औद्योगिक मानचित्र में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से भी राज्य की पहचान का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।

प्रिय पाठकों, हम आपके लिए लेकर आ रहे हैं “आपके शहर का इतिहास”, एक विशेष श्रृंखला, जिसमें हर सप्ताह हम किसी एक जिÞले की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामाजिक विरासत से आपको परिचित कराएंगे। इस श्रंखला का उद्देश्य है—आपकी सामान्य ज्ञान (जनरल नॉलेज) को बढ़ाना और आपको अपने देश के गौरवशाली अतीत से जोड़ना। हर सोमवार पढ़िए एक नया जिÞला, एक नई कहानी, और जानिए अपने भारत को और भी करीब से। हमसे जुड़े रहिए, क्योंकि इतिहास जानना, अपने भविष्य को समझने की पहली सीढ़ी है। ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।