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Tuesday, May 13, 2025
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    Migrant Laborers

    असली भारत की मानवीय त्रासदी

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    आज भारत एक अभूतपूर्व प्रवासी मजदूरों की मानवीय समस्या का सामना कर रहा है। इस समस्या का समाधान अनुशासन के साथ मानवीय मूल्यों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। यह सच है कि सरकार ने उनके लिए अनेक उपायों की घोषणा की है किंतु आवश्यकता इस बात की है कि इसके लिए खजाने के द्वार खोले जाएं।
    Understand the state of mind of Nepal

    नेपाल की मन:स्थिति को समझें

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    लिपुलेख मामले में भारत को नसीहत देने वाली नेपाल सरकार एवरेस्ट के मसले पर अभी भी चुप्पी साधे हुए है। ओली सरकार ने चीन के इस दुस्साहस पर पंक्तियां लिखे जाने तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। ऐसे में नेपाल और उसके मुखिया के पी ओली की मन:स्थिति को समझा जा सकता है।
    Doubts the death virus coming out of China is artifical?

    चीन से निकले मौत के वायरस के कृत्रिम होने की शंकाएं?

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    फ्रांस के नोबेल पुरुस्कार विजेता वैज्ञानिक लूक मांटेग्नर ने इस दावे का समर्थन किया है कि कोविड-19 महामारी फैलाने वाले नोवल कोरोना वायरस की उत्पत्ति प्रयोगशाला में की गई है और यह मानव निर्मित है। उनका यह भी दावा है कि एड्स बीमारी को फैलाने वाले एचआइवी वायरस की वैक्सीन (टीका) बनाने की कोशिश में यह अधिक संक्रामक और घातक वायरस तैयार किया गया है।
    Dollar culture continues to bulldoze on indigenous laborers

    देशी मजदूरों पर डॉलर संस्कृति का चलता बुलडोजर

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    देशी मजदूर हों या फिर विदेशी भारतीय मजदूर, इनके बीच फर्क करना सही नहीं है। खासकर देशी मजदूरों के साथ इस तरह का व्यवहार चिंताजनक है। देशी मजदूर सही में हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ हैं। अगर देशी मजदूर पूरी तरह खेती व्यवस्था पर चल निकले तो फिर देश की अर्थव्यवस्था का बुरा हाल हो सकता है।
    Able to relieve Ayurveda corona disease

    आयुर्वेद कोरोना व्याधि से मुक्ति देने में सक्षम

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    भारत के आयुष मंत्रालय ने रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा अपनी श्वसन मंत्र को मजबूत करने के लिये लोगों को आयुर्वेद की औषधियां लेने का परामर्श दिया है। आयुर्वेद एवं एलोपैथ की यह संधि कोरोना व्याधि को भगाने में सक्षम हो रही है, यह एक बड़ी उपलब्धि है। भारत एक बार फिर से योग एवं अहिंसा की भांति आयुर्वेद के माध्यम से विश्व गुरु बनने की दिशा में सार्थक मुकाम हासिल कर सकेगा।
    After all, why should the labourer be considered helpless

    आखिर मजदूर को मजबूर समझने की गलती क्यों!

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    एक-एक मजदूर की समस्या देश की समस्या है। सरकार को इस पर अपनी आंखें पूरी तरह खोलनी चाहिए। हो सकता है कि इस कठिन दौर में सरकार के सारे इंतजाम कम पड़ रहे हों बावजूद इसके जिम्मेदारी तो उन्हीं की है।
    Politics under the cover of Corona

    कोरोना की आड़ में राजनीति

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    किंतु आज लगता है कि हम ऐसे भारत में रह रहे हैं जहां पर केवल वीवीआईपी को महत्व दिया जाता है जो आधिकारिक नामक एक संकरी पट्टी पर रहते हैं और विशेषाधिकारों की ओर भागते हैं। इसके चलते आज आम आदमी और खास आदमी के बीच खाई और चौड़ी हो गयी है और परिणामस्वरूप शासकों के प्रति लोगों में हताशा और आक्रोश बढ रहा है और जनता अवज्ञा पर उतर आयी है।
    Labor crisis is bringing double disaster

    दोहरी आपदा लेकर आ रहा है श्रमिक संकट

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    श्रमिक संकट दोहरी आपदा लेकर आ रहा है एक तो आने वाले समय में उद्योग-धंधे श्रमिकों की किल्लत से जूझेंगे, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्रों में संक्रमण प्रसार का खतरा लगातार गहरा होता जा रहा है। वास्तव में मजदूरों का भारी पलायन जो दो आपदाएं अपने साथ ला रहा है, वो आने वाले समय में केन्द्र व राज्य सरकारों के लिए बड़ी चुनौती होगी।
    Compulsion of loosening lockdown

    लॉकडाउन के बंधन ढीले करने की मजबूरी

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    लॉकडाउन में दी गई छूट का गलत इस्तेमाल न करें क्योंकि आपकी एक गलती कई लोगों पर भारी पड़ सकती है। यह भी जान लेना चाहिए कि इस बीमारी की अभी कोई दवा नहीं है, ऐसे में केवल परहेज के जरिए ही इस बीमारी से बचा जा सकता है। थोड़ी सी लापरवाही भी कई जिंदगियों पर भारी पड़ सकती है।
    Rite and nature only will save human life

    संस्कार और प्रकृति ही बचाएगी मानव जीवन को

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    कोरोना महामारी और उससे बचने के लिए किया गया लॉकडाउन मानव जाति को कई संदेश दे रहा। जिससे सीख लेने की जरूरत सभी विकसित और विकासशील देशों को है। खासकर भारत को, क्योंकि हम तो पुरातन समय से प्रकृति के उपासक रहें हैं फिर क्यों आधुनिक दौर में विकास की सुनहरी अवधारणा में प्रकृति को भूल गए।

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