Trump Tariff: अनु सैनी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर अतिरिक्त 25% टैरिफ लगाने का बड़ा फैसला लिया है, जो बुधवार से लागू होगा। इस महीने की शुरुआत में अमेरिका पहले ही 25% बेस टैरिफ लगा चुका है। यानी अब भारत पर कुल 50% टैरिफ लागू हो जाएगा, जिससे भारत उन देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जिन पर अमेरिका ने सबसे ज्यादा शुल्क लगाया है।
वॉशिंगटन ने मंगलवार को इसका औपचारिक नोटिफिकेशन जारी किया, जिसके बाद भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव बढ़ना तय है। इस टैरिफ का असर भारतीय निर्यातकों और अमेरिकी बाजार पर पड़ना तय है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि देश के किसानों का हित उनके लिए सबसे ऊपर है। दरअसल, अमेरिका चाहता था कि भारत अपने कृषि और डेयरी सेक्टर को उसके लिए खोल दे, लेकिन भारत ने किसानों के हित में यह मांग मानने से इनकार कर दिया। लंबे समय से चल रही भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता इसी मुद्दे पर बेनतीजा रही।
भारत के सामने अब क्या हैं विकल्प?Trump Tariff
अमेरिका के हाई टैरिफ लागू होने के बाद भारत को अपने आर्थिक और व्यापारिक हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत के पास तीन बड़े विकल्प मौजूद हैं, जिन पर तेजी से काम किया जा सकता है।
1. नए बाजारों की तलाश और अमेरिकी निर्भरता कम करना
भारत हर साल अमेरिका को करीब 87 अरब डॉलर का निर्यात करता है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का लगभग 2.5% हिस्सा है। भारत से अमेरिका को जाने वाले प्रमुख उत्पादों में लेदर, ज्वैलरी, टेक्सटाइल, केमिकल्स, ऑटो पार्ट्स और मरीन प्रोडक्ट्स शामिल हैं। हालांकि, फार्मास्युटिकल्स, सेमीकंडक्टर्स और एनर्जी रिसोर्सेज जैसे कुछ सेक्टरों को इस टैरिफ से छूट दी गई है।
उच्च टैरिफ के कारण इन उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम हो सकती है। ऐसे में भारत के लिए सबसे बेहतर विकल्प होगा कि वह दक्षिण-पूर्व एशिया, यूरोप और अफ्रीका जैसे नए बाजारों में अपने निर्यात को बढ़ाए।
सरकार को व्यापारिक समझौते करके इन क्षेत्रों में भारतीय उत्पादों की पहुंच आसान बनानी होगी, ताकि अमेरिकी बाजार पर निर्भरता धीरे-धीरे कम हो सके।
2. घरेलू उद्योग को मजबूती और सब्सिडी का सहारा
अमेरिकी हाई टैरिफ से भारतीय निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है, क्योंकि अन्य देशों पर लगने वाले शुल्क अपेक्षाकृत कम हैं। इस स्थिति में भारत अपने घरेलू उद्योगों को सब्सिडी देकर उन्हें मजबूत बना सकता है।
इसके साथ ही, सरकार घरेलू उपभोग को बढ़ावा देने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ और ‘वोकल फॉर लोकल’ जैसे अभियानों को और आक्रामक तरीके से आगे बढ़ा सकती है। अगर भारत में बने उत्पादों की मांग घरेलू स्तर पर बढ़ेगी, तो अमेरिकी टैरिफ का असर देश की आर्थिक रफ्तार पर सीमित रहेगा।
3. रूस और वैकल्पिक साझेदारों से व्यापार बढ़ाना
भारत ने पिछले कुछ समय में रूस से बड़े पैमाने पर कच्चे तेल की खरीदारी की है, जिससे अमेरिका नाराज हुआ और 25% पेनाल्टी लगाई। हालांकि, रूस ने भारत के साथ आर्थिक साझेदारी मजबूत करने का संकेत दिया है और अपनी अर्थव्यवस्था को भारत के लिए खोलने की पेशकश की है।
इस अवसर का फायदा उठाते हुए भारत रूस के साथ ऊर्जा, रक्षा, तकनीक और कृषि क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा सकता है। इसके अलावा, ब्रिक्स (BRICS) जैसे बहुपक्षीय समूहों के जरिए भी भारत अपने व्यापारिक नेटवर्क को मजबूत कर सकता है।
आगे की राह
अमेरिकी हाई टैरिफ भारत के लिए एक चुनौती है, लेकिन सही रणनीति और विविधीकृत व्यापार नीति के जरिए भारत इस संकट को अवसर में बदल सकता है। नए बाजारों की तलाश, घरेलू उद्योगों को प्रोत्साहन और वैकल्पिक साझेदारों के साथ मजबूत संबंध—ये तीन कदम भारत को न केवल अमेरिकी दबाव से उबार सकते हैं, बल्कि दीर्घकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था को और मजबूती दे सकते हैं।