सरसा। सभी साध-संगत को सूचित किया जाता है कि कल गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में शाह सतनाम शाह मस्ताना जी धाम डेरा सच्चा सौदा सरसा में होने वाली नामचर्चा सत्संग का समय सुबह 9 बजे से 11 बजे तक रहेगा जी।
‘ इन्सानियत के लिए मर-मिटने वाला ही सच्चा मुरीद’
सच्चे रूहानी रहबर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सतगुरु, मौला, मुर्शिदे-कामिल इस घोर कलियुग में उस सच को कहा जाता है, जो आत्मा और परमात्मा को मिला दे। आत्मा सुमिरन करे तो मालिक उस नूरी स्वरूप में आकर दर्श-दीदार देते हैं। उसी का नाम गुरु, मुर्शिदे-कामिल है, और जो मुरीद इन्सानियत के लिए व सतगुरु मौला के लिए मर मिटता है, वो सच्चा मुरीद कहलाता है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि इस घोर कलियुग में रूहानियत के रास्ते पर चलना बहुत मुश्किल है। बहुत सारी समस्याएं इन्सान के रास्ते में आती हैं। काम-वासना, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, मन-माया, ये इन्सान को हर समय चारों तरफ से घेरे रखते हैं। आपने कभी मकड़जाल देखा होगा, मकड़ी अपना जाल बुनती है, इस तरह से बुनती है कि छोटा सा कीट-पतंगा भी उसे टच करता है तो निकल नहीं पाता, उसी में फंस जाता है और मकड़ी आकर उसे निगल जाती है, ठीक उसी तरह काल ने इन सातों का ऐसा चक्रव्यहू रचा है, क्या मजाल कि इन्सान इससे निकल सके। चक्रव्यूह को तोड़ने का एक मात्र उपाय है मालिक पर दृढ़ यकीन और वचनों पर अमल करना।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि मालिक का नाम जपो, जो आपका कर्त्तव्य है, वो करते रहो। लेकिन महीने में चार दिन, सात दिन, आप सेवा भी करो, तो मन को काबू में कर सकते हो। तो इन्सान को काल के चक्रव्यूह से बचाने के लिए पीर, फकीर आते हैं। जो सुनकर अमल करते हैं, दृढ़ यकीनी जो होते हैं वो अपनी बेड़ी को मझधार के पार ले जाकर छोड़ते हैं, वरना यह काल का चक्रव्यहू इन्सान को अपने में ही उलझाकर बर्बाद कर देता है।