राजा वड़िंग के खिलाफ नहीं मिला भ्रष्टाचार का सुबूत, जांच अधिकारी ने दी क्लीन चिट्ट!

  • मौजूदा ट्रांसपोर्ट मंत्री भुल्लर ने शुरूआती रिपोर्ट मानने से किया इन्कार, फिर से की जाएगी सारी जांच
  • पिछले 2 महीनों से गड़बड़ी के सुबूतों तक नहीं पहुंच पाई पंजाब सरकार
  • पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग के समय खरीदी गई थी 825 बसें

चंडीगढ़। (सच कहूँ/अश्वनी चावला) पंजाब के पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरेन्द्र सिंह राजा वड़िंग के खिलाफ 825 बसों की बॉडी खरीद और लगवाने के मामले में भ्रष्टाचार को कोई भी सुबूत नहीं मिल सका है। पंजाब सरकार के उच्च अधिकारी द्वारा की जा रही जांच में पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री को राजा वड़िंग को न सिर्फ क्लीन चिट्ट दे दी गई है, बल्कि इस मामले में किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होने तक की बात कही गई है।

जांच अधिकारी ने इस मामले में पंजाब सरकार के खजाने को हरियाणा और उत्तर प्रदेश के साथ फायदा होने तक का जिक्र किया है। हालांकि इस क्लीन चिट्ट को ट्रांसपोर्ट मंत्री लालजीत भुल्लर मानने को तैयार नहीं है और अब इस मामले में नये अधिकारियों की कमेटी गठित कर जांच फिर से करवाने की तैयारी की जा रही है।

जानकारी के अनुसार पूर्व कांगे्रस सरकार दौरान आखिरी 3 महीनों में ट्रांसपोर्ट मंत्री बने अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग ने अपने कार्यकाल में 825 पीआरटीसी की बसों की बॉडी खरीद और लगवाने का काम राजस्थान की एक कम्पनी से करवाया था। इसके लिए बकायदा एक 15 से 17 सदस्यीय कमेटी की स्वीकृति मिलने के बाद ही टैंडर द्वारा काम को अलॉट किया गया था।

आम आदमी पार्टी द्वारा 825 बसों की बॉडी खरीद

इस काम के मुकम्मल होने के बाद पंजाब सरकार द्वारा तय किए गए रेट अनुसार रूपयों की अदायगी की गई, जिसके बाद सत्ता में आई आम आदमी पार्टी द्वारा 825 बसों की बॉडी खरीद और लगवाने के मामले में भ्रष्टाचार होने का आरोप लगाते हुए इस की जांच के आदेश जारी कर दिए। पंजाब के ट्रांसपोर्ट मंत्री लालजीत भुल्लर ने इस सारे मामले में ब्यान देते हुए सीधे आरोप पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग पर ही लगाए कि उन्होंंने इसमें भ्रष्टाचार किया है और राजा वड़िंग के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान भी ट्रांसपोर्ट मंत्री लालजीत भुल्लर द्वारा किया गया था।

इस मामले में ट्रांसपोर्ट विभाग के प्रिंसीपल सचिव अधिकारी के. शिवा प्रसाद को जांच करने के आदेश दिए गए थे। ट्रांसपोर्ट मंत्री भुल्लर के आदेश पर जांच करने वाले अधिकारी के. सिवा प्रसाद द्वारा इस मामले में जांच करने के बाद जुबानी तौर पर सारी जानकारी देने के साथ ही बॉडी खरीद और लगवाने के मामले में सभी दस्तावेज तक सौंप दिए। इस रिपोर्ट में पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग को क्लीन चिट्ट देने के साथ ही किसी भी तरह का भ्रष्टाचार नहीं होने का जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट के बाद के. शिवा प्रसाद का ही विभाग से तबादला कर दिया गया।

ट्रांसपोर्ट मंत्री लालजीत भुल्लर ने जांच रिपोर्ट को मानने से इन्कार करते हुए अब नये सिरे से जांच करवाने का फैसला किया है और जल्द ही उनके द्वारा उच्च अधिकारी के नेतृत्व में नयी एक टैक्निकल कमेटी का गठन करते हुए फिर से जांच के आदेश दिए जाएंगे।

जांच में जल्द ही नय अधिकारी होेंगे तैनात : लालजीत भुल्लर

ट्रांसपोर्ट मंत्री भुल्लर ने बताया कि पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री राजा वड़िंग के कार्यकाल में 825 बसों की बॉडी खरीद और लगवाने के मामले में जांच के लिए नये अधिकारी जल्द ही तैनात होंगे और उन अधिकारियों द्वारा जांच की जाएगी। अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग को पहली रिपोर्ट में क्लीन चिट्ट के मामले में उन्होंने कहा कि किसी भी क्लीन चिट नहीं दी जा रही है और जांच जारी है और जल्द ही नये अधिकारी इस जांच में लगाए जाएंगे।

जांच में तीन राज्यों की की गई तुलना

पूर्व ट्रांसपोर्ट मंत्री अमरिन्दर सिंह राजा वड़िंग के कार्यकाल में जिस समय बसों की बॉडी खरीद और उनको लगवाने का टैंडर दिया जा रहा था तो उस समय पंजाब के साथ ही हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भी बसों की बॉडी का टैंडर अलाट किया गया था। हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजाब के मुकाबले बस बॉडी की खरीद काफी महंगी की थी और लगवाने के मामले में भी हरियाणा द्वारा ज्यादा अदायगी की गई थी।

हालांकि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पंजाब के मुकाबले 1 लाख 66 हजार 772 रुपए कम दिए गए थे, जिस पीछे रिपोर्ट में तर्क दिया गया है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक खिड़की लगवाई गई है, जबकि पंजाब सरकार द्वारा 2 खिड़कियां लगवाई गई हैं। इससे सीट थिकनैस, बीमा और यात्री सीट का भी पंजाब से अंतर है। जिस कारण ही उत्तर प्रदेश द्वारा कम पैसे दिए गए, जबकि हरियाणा सरकार द्वारा पंजाब से 1 लाख रूपये ज्यादा पैसे दी अदायगी की गई। वहीं कुल खर्च में पंजाब द्वारा बाकी दोनों राज्यों के मुकाबले लगभग 3 लाख रूपये कम ही खर्च किए गए थे।

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