Home Loan: बैंक सहित होम लोन देने वाली वित्तीय संस्थाओं के लिए ग्राहक का क्रेडिट स्कोर बेहद अहमियत रखता है। बढ़िया क्रेडिट स्कोर आपको ज्यादा और सस्ता लोन दिलाता है। 800 बेसिस प्वाइंट से ऊपर का क्रेडिट स्कोर बेहतरीन माना जाता है। वक्त पर अपने मौजूदा ईएमआई और क्रेडिट कार्ड बिल चुका कर क्रेडिट स्कोर बेहतर किया जा सकता है। एक बार अपना क्रेडिट स्कोर का पता करने के बाद आप आइडेंटिटी प्रूफ, एड्रेस प्रूफ, इनकम टैक्स रिटर्न से जुड़े डॉक्यूमेंट, बैंक स्टेटमेंट, एंप्लॉयर प्रूफ समेत दूसरे दस्तावेजों को तैयार रखें।
ज्वाइंट होम लोन लेने में है फायदा | Home Loan Tips
यदि किसी के साथ साझे में होम लोन ले रहे हैं तो आपका फायदा है। ऐसे में बैंक सह-आवेदकों की आय को जोड़ कर लोन देने पर विचार करता है। साझा आवेदन से लोन हासिल करने की पात्रता भी बढ़ जाती है। ज्वाइंट होम लोन से सह-आवदेकों को टैक्स डिडक्शन का फायदा मिल जाता है। अगर साथ में महिला आवेदक हों तो कुछ बैंक होम लोन का इंटरेस्ट रेट आधा फीसदी तक कम कर देते हैं। ज्वाइंट होम लेने पर ईएमआई चुकाने का बोझ भी बंट जाता है।
कम इंटरेस्ट रेट की तलाश करें:
होम लोन लेने से पहले यह पता कर लें कि कौन सा बैंक किस दर पर लोन दे रहा है। अलग-अलग बैंक की दरें अलग-अलग होती हैं और इनमें 10 से 20 बेसिस प्वाइंट का अंतर होता है । लंबी अवधि के लोन में इतना अंतर भी आपका काफी पैसा बचा सकता है। अगर कोई आवेदक नया बना मकान खरीद रहा है और प्री-एप्रूव्ड बैंक से लोन लेता है तो यह जल्दी प्रोसेस होता है। इस तरह की प्रॉपर्टी में आपका बैंक दूसरे बैंकों की तुलना में कम इंटरेस्ट पर लोन दे सकता है।
सभी डॉक्यूमेंट्स को ध्यान से पढ़ें:
हालांकि होम लोन से जुड़े बैंकों के दस्तावेजों का पढ़ना पेचीदा काम है क्योंकि यह काफी भारी-भरकम और टेक्निकल टर्म से भरा होता है। फिर भी यथासंभव इसे जहां तक संभव हो पढ़ कर समझने की कोशिश करनी चाहिए। ईएमआई चुकाने से जुड़ी शर्तों और नियमों को ठीक से पढ़कर समझना जरूरी है।
अधिकतम डाउन पेमेंट, न्यूनतम लोन अवधि | Home Loan Tips
अमूमन बैंक लोन देते वक्त 20 फीसदी डाउनपेमेंट की मांग रखते हैं। कई बैंकों में यह जरूरी भी होता है। आप जितना अधिक डाउन पेमेंट करेंगे, आप पर ब्याज का बोझ उतना ही कम हो जाएगा। कई बैंक लोन चुकाने की अवधि 30 साल तक रखते हैं। लेकिन ग्राहक को 20 साल से ज्यादा की अवधि का लोन नहीं लेना चाहिए। लोन चुकाने की अवधि जितनी अधिक होगी, आपका वित्तीय बोझ भी उतना ही बढ़ेगा। साथ ही ब्याज दरों में वोलेटिलिटी का जोखिम भी बना रहता है।
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