चमक बिखेरने वाली स्पिनिंग मिल में लॉक आऊट

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आक्रोशित श्रमिकों ने मिल गेट के समक्ष किया प्रदर्शन

  • स्थाई तालाबंदी के साथ ही लेआॅफ भी लगना हुआ बंद

हनुमानगढ़ (सच कहूँ न्यूज)। जिस स्पिनिंग मिल में निर्मित धागे की चमक देश ही नहीं विदेश में भी बिखरी, उस पर बुधवार को स्थाई रूप से तालाबंदी कर दी गई। सहकारिता के क्षेत्र में स्थापित हनुमानगढ़ की स्पिनिंग मिल को स्थाई रूप से बंद करने के सरकारी आदेशों के बाद मिल पर ताला जड़ दिया गया। इसके साथ ही बुधवार से श्रमिकों का लेआॅफ भी लगना बंद हो गया। जिले की शान कहलाने वाली यह मिल जब चल रही थी तो इससे करीब एक हजार लोगों को प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिल रहा था।

बुधवार को श्रमिक जब मिल में ले आॅफ के लिए पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया। इससे आक्रोशित श्रमिकों ने मिल गेट के सामने नारेबाजी कर सरकार के खिलाफ रोष जताया। श्रमिकों का कहना था कि सरकार ने बकाया भुगतान भी एक वर्ष से नहीं किया है। इससे श्रमिक परिवारों की स्थिति दयनीय हो गई है। समायोजन की स्थिति भी स्पष्ट नहीं है। उन्होंने जल्द इस बारे में स्थिति साफ नहीं होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि सहकारी स्पिनिंग मिल हनुमानगढ़ को बचाने के लिए पूर्व में शहर के लोगों ने कई दफा आंदोलन किए। करीब डेढ़ बरस तक आंदोलन चलने के बावजूद मिल का ताला खोलने के लिए सरकार तैयार नहीं हुई। केबिनेट में हनुमानगढ़ का प्रतिनिधित्व होने के बावजूद मिल को स्थाई रूप से बंद करने का निर्णय इस बात की तरफ इशारा करता है कि यहां के जनप्रतिनिधि अपने क्षेत्र के विकास के लिए कितने गंभीर है। गौरतलब है कि शुरू में मिल में 2000 श्रमिक थे। इसमें वर्ष 1985 में उत्पादन शुरू हुआ था। उस समय हर दिन 17 टन धागे का उत्पादन होता था। मिल से 500 से अधिक शेयर होल्डर जुड़े हैं। 1992-93 में सरकार ने तीन मिलों की फैडरेशन बनाई थी।

हर दिन 17 टन धागा होता था तैयार

1970 के दशक में स्पिनिंग मिल की स्थापना कर निर्माण कार्य शुभारंभ किया गया। 1985 में मिल में उत्पादन शुरू हुआ। उस समय करीब 17 टन धागा हर दिन तैयार होता था। इस धागे की चमक देश व विदेशों में थी। श्रमिक और प्रबंधन दोनों खुश थे। लेकिन जैसे ही 1992-93 में सरकार ने प्रदेश की तीनों सहकारी स्पिनिंग मिलों की फैडरेशन बनाई, तब से मिल की बर्बादी का मंजर शुरू हुआ। फैडरेशन बनने से पहले इस मिल में जो एमडी बैठते थे वह आईएएस रैंक के होते थे। इसके कारण मिल का बेहतर प्रबंधन होता था। लेकिन फैडरेशन बनने के बाद एमडी जयपुर मुख्यालय बैठने लगे।

सरकार को दिया करोड़ों का टैक्स

जानकारी के अनुसार हनुमानगढ़ स्थित सहकारी स्पिनिंग मिल ने अब तक करीब 72 करोड़ रुपए का टैक्स केंद्र व राज्य सरकार के खजाने में जमा करवाया है। इसमें उत्पाद शुल्क 3978.00 लाख रुपए, केंद्रीय बिक्रीकर 777.80 लाख, राज्य बिक्रीकर 314.99 लाख तथा पॉवर ड्यूटी टैक्स के रूप में 548.08 लाख रुपए जमा करवाए है्र।

साथ ही मिल स्थापना से अब तक पीएफ नियोक्ता अंशदान में 1077.93 व ईएसआई पेटे 440.05 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा करवाया है। सरकार के हस्तक्षेप पर हनुमानगढ़ मिल ने दूसरी मिल को जो नौ करोड़ रुपए बरसों पहले दिए थे, वह राशि भी सरकार लौटा देती तो मिल का फिर से चलना संभव हो जाता। लेकिन सरकार ने मिल चलाने की बजाय इसे बंद करने की पहलुओं पर अधिक जोर दिया।

हनुमानगढ़ मिल की रही अलग पहचान

सहकारिता क्षेत्र में स्थापित देश के समस्त स्पिनिंग मिल में हनुमानगढ़ के इस मिल की अलग पहचान रही है। यहां निर्मित धागे ने अपनी चमक देश ही नहीं विदेशों में बिखेरी है। वर्ष 2004-05 में हनुमानगढ़ सहकारी स्पिनिंग मिल संचित लाभ के लिए देश में प्रथम पुरस्कार प्राप्त कर चुकी है। इसके अगले वर्ष भी बेहतर उत्पादन पर मिल को पुरस्कृत किया गया। लगातार मुनाफा कमा रही इस मिल के सफल संचालन से श्रमिक व कर्मचारी वर्ग दोनों खुश थे। लेकिन 1992-93 में जैसे ही तीनों मिलों की फैडरेशन बनाई गई, मिल की आर्थिक स्थिति खराब हो गई।

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