निदोर्षों की हत्या निंदनीय

Terrorism

नागालैंड में सुरक्षा बलों की आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई में 13 मजदूरों की मौत एक दु:खद घटना है। केंद्रीय गृह मंत्री ने इस घटना को शोक व्यक्त किया और इसकी कड़ी निंदा भी की। बताया जा रहा है कि सुरक्षा बलों ने आतंकवादियों की एक गाड़ी पर कार्रवाई को अंजाम देना था, लेकिन वहां से गुजर रही मजदूरों की गाड़ी भी उसी रंग की थी, जिस पर सुरक्षा बलों ने ताबड़तोड़ गोलियां चलार्इं। यदि इस तर्क को भी उचित मान लिया जाए तो यह भी अपने-आप में बड़ी लापरवाही का ही प्रमाण है। आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले इतने अनजान नहीं होने चाहिए कि वे गाड़ी की पहचान न कर सकें और धड़ाधड़ फायरिंग कर दें। सुरक्षा बलों के लिए यह आवश्यक था कि वे गाड़ी में सवार लोगों की हरकत को अच्छी तरह भांपते।

यदि गाड़ी में सवार लोगों के पास हथियार नजर आते या उनकी शारीरिक गतिविधियां हथियारबंद और हमलावर व्यक्तियों वाली होती तब कार्रवाई की जाती। कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि हथियारबंद व्यक्तियों को भी जिंदा पकड़ना जरूरी होता है और वैसी रणनीति बनानी होती है। नागालैंड की घटना में गाड़ी में मजदूर जा रहे थे, जिससे हमारे सुरक्षा बलों में रणनीति की कमी महसूस होती है। जल्दबाजी में हद से ज्यादा जोशीले होने का भी यह नौसिखिया प्रमाण है। मानव आबादी के नजदीक के क्षेत्रों में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के दौरान आम नागरिकों की सुरक्षा के प्रति सतर्क रहना होता है। प्रत्येक नागरिक की जान को बचाना जरूरी है। वास्तव में आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई का उद्देश्य भी निर्दोष नागरिकों की सुरक्षा है।

इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान आम नागरिकों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए काफी सोच-समझकर ही फैसला लेना चाहिए था। दरअसल आतंकवाद के खिलाफ जंग जीतने के लिए स्थानीय लोगों की अहम भूमिका रहती है। आम लोगों की मदद मिलने से आतंकवादियों की मुश्किलें बढ़तीं हैं, लेकिन यदि इन्हीं लोगों में सुरक्षा बलों के प्रति अविश्वास पैदा हो जाये तब लड़ाई लड़ना मुश्किल हो जाता है। इसी का फायदा जम्मू कश्मीर में कट्टरपंथी सुरक्षा बलों के खिलाफ उठा रहे हैं। अब यह आवश्यक है कि नागालैंड के मृतकों के परिवारों के घावों पर मरहम लगाई जाए और उनका भरोसा बहाल किया जाए। ऐसी घटनाएं दोबारा न हों, लेकिन मृतकों के परिजनों को योग्य मुआवजा दिया जाए। सुरक्षा बलों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए और प्रशिक्षण देकर आम लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित िकया जाना जरूरी है। राजनेताओं को भी चाहिए कि वे दुखद घटनाओं से सबक लें और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत और सही दिशा दें।

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