
गुरुग्राम, संजय कुमार मेहरा। नूंह के मांडीखेड़ी स्थित अलआफिया सरकारी अस्पताल में महिला के प्रसव के दौरान उनके नवजात शिशु का हाथ कटा गया। बीती 30 जुलाई 2025 को मांडीखेड़ा के सरकारी अलआफिया अस्पताल में यह घटना हुई थी। परिजनों ने इसे अस्पताल के डॉक्टर्स की लापरवाही बताया। अब इस मामले में हरियाणा मानवाधिकार आयोग ने स्वत: ही कड़ा संज्ञान लेते हुए सिविल सर्जन को 15 दिन में विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए हैं।
नूंह जिला के मांडीखेड़ा स्थित अलआफिया अस्पताल में बीती 30 जुलाई 2025 को घोर चिकित्सीय लापरवाही के कारण प्रसव के दौरान एक नवजात शिशु का हाथ कथित तौर पर शरीर से पूरी तरह अलग हो गया था। मेवात के रहने वाले शकील की पत्नी सरजीना को प्रसव पीड़ा के चलते मांडीखेड़ा के अलआफिया अस्पताल में भर्ती कराया गया था। प्रसव के दौरान मौजूद स्टाफ की लापरवाही के चलते नवजात शिशु का एक हाथ कट गया। जब पीडि़त परिवार ने मौजूद स्टाफ से इस बारे में पूछताछ की तो उनके साथ दुव्र्यवहार किया। अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया गया। उन्हें जबरन वार्ड से बाहर निकाल दिया गया। बाद में नवजात शिशु को नल्हड़ अस्पताल रेफर कर दिया गया।
मानवाधिकार आयोग की पीठ न्यायमूर्ति ललित बत्रा, सदस्य कुलदीप व दीप भाटिया ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह घटना भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त जीवन और स्वास्थ्य के अधिकार का गंभीर उल्लंघन है। आयोग ने एक सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा संस्थान में चिकित्सा प्रोटोकॉल की स्पष्ट विफलता और मानवीय संवेदनशीलता की भयावह कमी की कड़ी निंदा की है। आयोग ने यह भी कहा कि यह घटना संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार सम्मेलन (यूएनसीआरसी) के अनुच्छेद 6 और 19 का सीधा उल्लंघन है। न्यायमूर्ति ललित बत्रा ने टिप्पणी की हहै कि जीवन के आरंभ में ही एक मासूम नवजात शिशु को अपूरणीय और क्रूर चोट पहुंचाना न केवल चिकित्सीय लापरवाही का एक चौंकाने वाला उदाहरण है, बल्कि इस क्षेत्र में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है। अस्पताल कर्मचारियों द्वारा कथित दुव्र्यवहार, अपमानजनक व्यवहार और पीडि़त परिवार को घर से निकालना मानवाधिकारों के उल्लंघन को और बढ़ाता है। इन चिंताजनक घटनाक्रमों के मद्देनजर आयोग ने सिविल सर्जन नूंह को आदेश दिए हैं कि आदेश मिलने के 15 दिनों के भीतर इस घटनाक्रम की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।
आयोग के प्रोटोकॉल, सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी डा. पुनीत अरोड़ा के मुताबिक पूर्ण पीठ के आदेश की सूचना अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान एवं आयुष, हरियाणा, महानिदेशक स्वास्थ्य सेवाएं हरियाणा और सिविल सर्जन, नूंह को आवश्यक अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए भेज दी गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 26 अगस्त 2025 निर्धारित की गई है।
इन बिंदुओं के मद्देनजर देनी होगी रिपोर्ट
-प्रसव की सटीक परिस्थितियां और संबंधित डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ के नाम/पदनाम
-नवजात शिशु के अंग के कटने का स्पष्ट स्पष्टीकरण
-बच्चे के उपचार और पुनर्वास के लिए उठाए गए कदम
-शुरू की गई किसी भी विभागीय या आंतरिक जांच का विवरण
-पीडि़त परिवार के साथ कथित दुव्र्यवहार के संबंध में स्पष्टीकरण