कोई वकील नहीं लड़ेगा आरोपी का केस, परिवार ने की फांसी की मांग

kathal

कैथल (सच कहूँ न्यूज)। Kaithal के कलायत के एक गांव में अबोध बच्ची के साथ दुष्कर्म और नृशंस हत्या कर शव जलाने वाले आरोपी का केस कोई भी वकील नहीं लड़ेगा। कोई भी वकील आरोपी की तरफ से अदालत में पेश नहीं होगा। इस विषय में एक प्रस्ताव भी पास किया गया है। बार एसोसिएशन की कार्यकारिणी की बैठक बार रुम में हुई जिसकी अध्यक्षता एसोसिएशन के प्रधान रविंद्र तंवर ने की। रविंद्र तंवर ने बताया कि यदि कोई वकील आरोपी का केस लड़ेगा तो उसकी बार एसोसिएशन से सदस्यता रद्द कर दी जाएगी और उस पर 11 हजार रुपए जुर्माना लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि गांव के ही एक युवक पवन ने एक सात साल की बच्ची के साथ रेप करके उसका गला दबा दिया और बाद में पेट्रोल डाल कर उसे आग लगा दी।
ऐसे अमानवीय कृत्य के लिए आरोपी पवन कुमार को कभी माफ नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोपी पवन के लिए फांसी की सजा की मांग की। प्रधान ने कहा कि यदि बच्ची के परिजनों को किसी भी प्रकार की कानूनी सहायता अथवा वकील की आवश्यकता हो तो वे यह सहायता निशुल्क उपलब्ध करवाएंगे। वे पीड़ित परिवार के साथ हैं। आपको बता दें कि 8 अक्टूबर को आरोपी पवन गांव कुराड़ से एक 7 साल की दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली बच्ची का अपहरण करके ले गया था। इस बात की पुष्टि रास्ते मेंं लगे एक सीसीटीवी कैमरे से हुई। बाद में उसने बच्ची के साथ रेप कर उसकी गला दबाकर हत्या कर दी और शव को पेट्रोल डाल कर जला दिया। कल बच्ची का शव गांव के पास जंगलों से बरामद हुआ। शव का पोस्टमार्टम करवाया गया है। पुलिस ने कल शाम को ही आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। इस बीच उसे सोमवार को अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उसे एक दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा है।

मुआवजा नहीं आरोपी को फांसी चाहिए

इस मामले में ग्रामीणों ने नागरिक अस्पताल में इक्ट्ठे हुए और जमकर बवाल काटा तथा बच्ची का शव लेने से मना कर दिया। ग्रामीणों व बच्ची के परिजनों की मांग थी कि राज्यमंत्री, डीसी और एसपी आकर उन्हें कार्रवाई का लिखित आश्वासन दें। कुछ ग्रामीणों का कहना था कि पहले आरोपित को उनके सामने जिंदा जला दो और उसके बाद ही वे शव लेंगे। अगर जला नहीं सकते तो उसे फांसी दे दो। सुबह करीब 11 बजे ग्रामीणों ने नागरिक अस्पताल में डेरा डाल लिया था और करीब तीन घंटे तक वहीं जमे रहे। ग्रामीणों को कई बार समझाने का प्रयास किया, लेकिन वे नहीं माने।

राज्यमंत्री कमलेश ढांडा भी अस्पताल पहुंची

एसडीएम ने स्वजनों को मुआवजा दिलवाने की बात कही तो कुछ ग्रामीणों ने कहा कि उन्हें पैसे नहीं बल्कि आरोपित को फांसी की सजा दी जानी चाहिए। करीब ढाई घंटे के बाद राज्यमंत्री कमलेश ढांडा अस्पताल में पहुंची। वहां गांव की महिलाओं के बीच जमीन पर ही बैठ गईं और उनकी मांग पूछी। ढांडा ने कहा कि वह उनकी नहीं बल्कि मेरी अपनी बेटी थी। बाद में डीएसपी सज्जन सिंह ने कार्रवाई को लेकर लिखित आश्वासन दिया। उसके बाद ग्रामीणों ने शव ले जाने के लिए सहमति दी और वे शव लेकर चले गए।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here