अब हरियाणा में गाय के गोबर व मूत्र से बनेंगी खाद एवं दवाईयां

गौशालाओं की बढ़ेगी आमदनी, बनेंगी आत्मनिर्भर

अंबाला (सच कहूँ न्यूज)। कृषि, पशु पालन मंत्री जेपी दलाल ने कहा कि जहर मुक्त एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके लिए गाय के गोबर व मूत्र से खाद एवं दवाईयां बनाई जाएंगी जिससे गौशालाओं की आमदनी बढ़ेगी। इससे गौशालाएं आत्मर्निभर बनेंगी। उन्होंने कहा कि सरकार जैविक खेती को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार द्वारा विशेष योजना तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिस घर में गाय होती है वहां पर किसी प्रकार की विपत्ति नहीं आती है। गाय में लक्षमी सहित देवताओं का वास है। गाय पूजनीय होती है। सनातन संस्कृति में गाय को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। उन्होंने कहा कि हमें गौवंश को बचाना है। उन्होंने कहा कि सरकार गौशालाओं पर विशेष ध्यान दे रही है। गौशाला को विशेष सहायता दी जा रही है।

गोबर व गौमूत्र से बनी खाद का प्रयोग करें किसान

गोमूत्र से बनी खाद का प्रयोग करें किसान जेपी दलाल ने कहा कि डीएपी यूरिया जैसी रासायनिक खादों से खेती जहरयुक्त होती जा रही है। इससे कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पैदा हो रही हैं। इसलिए किसानों को जहर मुक्त खेती की ओर ध्यान देना चाहिए और गोबर व गौमूत्र से बनी खाद व कीटनाशक का खेत में प्रयोग करना चाहिए ताकि हमारा खाना जहर मुक्त हो सके। उन्होंने कहा कि सरकार किसान, गरीब व आमजन के हित योजनाएं लागू कर रही है। पारदर्शिता के साथ लोगों को योजनाओं का लाभ दिलाया जा रहा है। सरकार अंत्योदय की भावना से पंक्ति में खड़े अंतिम व्यक्ति को लाभ पहुंचा रही है।

गांव में किसान सहायकों का होगा चयन

हरियाणा सरकार के द्वारा हर खेत स्वस्थ खेत स्कीम चलाई जा रही है जिसके तहत हर खेत की मिट्टी की जांच की जाएगी। इस कार्य को पूर्ण करने हेतू गांव में किसान सहायकों का चयन किया जाएगा। इस दिशा में कृषि तथा किसान कल्याण विभाग ने इस स्कीम पर कार्य शुरू कर दिया है। कृषि विभाग, अम्बाला के उप निदेशक डॉ. गिरिश नागपाल ने बताया कि किसानों को मृदा स्वास्थय के आधार पर ही किसानों को उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए। एक किसान सहायक के द्वारा 200 सैम्पल लिए जाएंगे। जमीन में लगातार रसायनिक खादों का प्रयोग और सघन फसल चक्र के कारण पौषक तत्वों की कमी होती जा रही है। मिट्टी की जांच करके खादों व तत्वों का उपयोग करके हम हमारी जमीन को उपजाऊ बना सकते हैं और यह सब मिट्टी की जांच पर निर्भर है।

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