
Nasa News: अनु सैनी। धरती पर लगातार बदलते हालात — जलवायु परिवर्तन, ग्लेशियरों का पिघलना, जंगलों का घटता क्षेत्रफल, बढ़ते भूकंप और प्राकृतिक आपदाएँ — अब पूरी मानवता के लिए चिंता का विषय बन चुके हैं। इन बदलावों को समझना और समय रहते उनसे निपटने की रणनीति बनाना वैज्ञानिकों और सरकारों के लिए बेहद जरूरी है। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा (NASA) और भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है।
यह कदम है — NISAR मिशन (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar Mission)। यह धरती की निगरानी करने वाला अब तक का सबसे बड़ा और उन्नत रडार उपग्रह है, जिसे 30 जुलाई 2025 को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया।
हाल ही में इस मिशन ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की, जब इसका 12 मीटर व्यास का विशाल रडार एंटीना रिफ्लेक्टर अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुल गया। यह उपग्रह का सबसे अहम हिस्सा है, क्योंकि इसी से धरती की सतह की तस्वीरें और डेटा रिकॉर्ड होंगे।
NISAR मिशन की पृष्ठभूमि | Nasa News
NISAR मिशन का विचार लगभग एक दशक पहले सामने आया था। 2014 में नासा और इसरो के बीच समझौता (MoU) हुआ था कि दोनों एजेंसियाँ मिलकर धरती की निगरानी के लिए एक संयुक्त उपग्रह विकसित करेंगी।
नासा की जिम्मेदारी: उन्नत L-बैंड रडार सिस्टम और विशाल रडार एंटीना विकसित करना।
इसरो की जिम्मेदारी: S-बैंड रडार और लॉन्च वाहन (GSLV-MK II) उपलब्ध कराना।
इस मिशन में अब तक लगभग 1.5 अरब डॉलर (करीब 12,000 करोड़ रुपये) का निवेश किया गया है, जिससे यह भारत का अब तक का सबसे महंगा पृथ्वी-अवलोकन मिशन बन गया है।
एंटीना रिफ्लेक्टर: NISAR की “छतरी”
NISAR का सबसे खास और जटिल हिस्सा है इसका 12 मीटर का रडार एंटीना रिफ्लेक्टर।
कैसे खोला गया?
लॉन्च के समय यह मोड़ा हुआ था ताकि रॉकेट में फिट हो सके।
9 से 13 अगस्त के बीच इसे 9 मीटर के बूम पर धीरे-धीरे फैलाया गया।
15 अगस्त को छोटे विस्फोटक बोल्ट फायर किए गए और “ब्लूम” प्रक्रिया शुरू हुई।
मोटर और केबल की मदद से यह पूरी तरह खुलकर लॉक हो गया।
तकनीकी खासियत
वजन: 64 किलो
संरचना: 123 कम्पोजिट स्ट्रट्स
सतह: सोने की परत वाली जाल (Mesh)
कार्य: धरती से परावर्तित रडार तरंगों को पकड़ना और सेंटीमीटर स्तर तक बदलाव दर्ज करना।
नासा-जेट प्रोपल्शन लैबोरेटरी (JPL) के प्रोजेक्ट मैनेजर फिल बेरेला के शब्दों में:-
“यह नासा का अब तक का सबसे बड़ा रडार एंटीना है। इसे अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक खुलते देखना सालों की मेहनत और भारत-अमेरिका सहयोग का नतीजा है।”
NISAR कैसे काम करता है?
यह उपग्रह धरती की सतह पर रडार तरंगें भेजता है। जब ये तरंगें धरती से टकराकर लौटती हैं, तो उनका विश्लेषण करके सतह के बदलावों की जानकारी मिलती है।
दो प्रमुख रडार
1. L-बैंड रडार (NASA द्वारा विकसित)
बादलों और घने जंगलों को भेदने में सक्षम।
जमीन और वनस्पति की गहराई से जानकारी देता है।
2. S-बैंड रडार (ISRO द्वारा विकसित)
मिट्टी और बर्फ में नमी का पता लगाता है।
फसलों और कृषि भूमि के अध्ययन में उपयोगी।
इंटरफेरोमेट्रिक SAR तकनीक
अलग-अलग समय पर ली गई रडार तस्वीरों की तुलना करती है।
सतह के सूक्ष्म बदलाव (सिर्फ 1 सेंटीमीटर तक) पकड़ सकती है।
3D मूवी जैसी विस्तृत तस्वीरें बनाती है।
मिशन का उद्देश्य और फायदे
NISAR मिशन का मुख्य उद्देश्य है — धरती के बदलते स्वरूप को समझना और मानवता के हित में इसका उपयोग करना।
1. जलवायु परिवर्तन और ग्लेशियर
हिमनदों (Glaciers) की गति और पिघलने की दर मापेगा।
समुद्र स्तर बढ़ने की भविष्यवाणी करने में मदद करेगा।
2. भूकंप और ज्वालामुखी
फॉल्ट लाइनों और ज्वालामुखी क्षेत्रों की निगरानी।
संभावित भूकंप या विस्फोट के खतरे का आकलन।
3. प्राकृतिक आपदाएँ
बाढ़, भूस्खलन, तूफान जैसी आपदाओं की शुरुआती चेतावनी।
आपदा प्रबंधन में त्वरित मदद।
4. कृषि और खाद्य सुरक्षा
फसलों की स्थिति और मिट्टी की नमी का आकलन।
किसानों और सरकारों को बेहतर निर्णय लेने में सहायता।
5. पारिस्थितिकी और पर्यावरण
जंगलों, दलदलों और गीले इलाकों की सेहत पर नजर।
वनों की कटाई और जैव विविधता पर प्रभाव का अध्ययन।
भारत और दुनिया को मिलने वाला फायदा
NISAR का डेटा केवल वैज्ञानिक शोध के लिए नहीं, बल्कि आम जनता के जीवन को बेहतर बनाने के लिए भी उपयोगी होगा।
भारत के लिए:-
कृषि क्षेत्र को सटीक जानकारी मिलेगी।
मानसून और बाढ़ जैसी समस्याओं से निपटने में मदद।
हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन और ग्लेशियर निगरानी।
दुनिया के लिए:-
जलवायु परिवर्तन पर वैश्विक शोध को बढ़ावा।
अंतरराष्ट्रीय आपदा राहत कार्यों में सहयोग।
खाद्य और पानी सुरक्षा पर वैश्विक नीतियों में मदद।
वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों की राय
नासा की अर्थ साइंस डिवीजन की निदेशक करेन सेंट जर्मेन के अनुसार:-
“NISAR हमें धरती के गतिशील सिस्टम को नए नजरिए से समझने का मौका देगा। यह डेटा न केवल वैज्ञानिकों बल्कि नीतिनिर्माताओं और समुदायों को भी सशक्त बनाएगा।”
भारतीय वैज्ञानिकों का मानना है कि यह मिशन भारत को आपदा प्रबंधन और कृषि में तकनीकी रूप से आत्मनिर्भर बनाएगा।
भारत-अमेरिका सहयोग की मिसाल
NISAR केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग का भी उदाहरण है।
अमेरिका की उन्नत तकनीक और भारत के कम लागत वाले लॉन्च सिस्टम ने इसे संभव बनाया।
यह मिशन भविष्य में दोनों देशों के बीच और भी स्पेस प्रोजेक्ट्स की नींव रखता है।
NISAR का भविष्य
अब जबकि एंटीना सफलतापूर्वक खुल चुका है, मिशन के अंतिम परीक्षण चल रहे हैं।
लेट फॉल 2025 से यह उपग्रह डेटा भेजना शुरू करेगा।
आने वाले वर्षों में यह धरती के अध्ययन के लिए सबसे विश्वसनीय स्रोत होगा।
NISAR धरती की निगरानी करने वाला “सुपर आई” है, जो प्राकृतिक आपदाओं, जलवायु परिवर्तन और खाद्य-पानी की चुनौतियों से निपटने में अहम भूमिका निभाएगा।
यह केवल विज्ञान की उपलब्धि नहीं है, बल्कि मानवता के लिए एक सुरक्षा कवच है। भारत और अमेरिका का यह संयुक्त मिशन दिखाता है कि जब दो देश मिलकर काम करते हैं, तो पूरी दुनिया को फायदा होता है।
आने वाले समय में NISAR का डेटा हमारी नीतियों, योजनाओं और जीवनशैली को सीधे प्रभावित करेगा। यह मिशन धरती को बेहतर समझने और आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित बनाने की दिशा में सबसे बड़ा कदम है।