दैनिक खर्चों में भी आ रही परेशानियां, विधानसभा ने मांगी वित्तीय स्वायत्तता

Financial Autonomy sachkahoon

स्पीकर ने प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव, वित्त विभाग के एसीएस के साथ की बैठक

चंडीगढ़ (सच कहूँ/अनिल कक्कड़)। हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने विधायिका की वित्तीय स्वायत्तता (Financial Autonomy) के लिए प्रयास शुरू कर दिए हैं। इस सिलसिले में उन्होंने वीरवार को हरियाणा सरकार के मुख्य सचिव संजीव कौशल, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, संसदीय कार्य मामले विभाग के सचिव अशोक मीणा के साथ बैठक की। विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि गत वर्ष 17 से 19 दिसंबर को शिमला में आयोजित अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन में भी यह मामला मुखरता से उठा था। इस सम्मेलन में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की उपस्थिति में देशभर के विधान सभा अध्यक्षों और विधान परिषदों के सभापतियों ने सर्वसम्मति से प्रस्ताव पास किया था कि सभी विधान मंडलों को लोक सभा और राज्य सभा की तर्ज पर वित्तीय स्वायत्तता प्रदान की जानी चाहिए।

वरिष्ठ अधिकारियों से हरियाणा सरकार का पक्ष पूछा

विस अध्यक्ष ने इस मामले में तीनों वरिष्ठ अधिकारियों से हरियाणा सरकार का पक्ष पूछा। इस पर मुख्य सचिव संजीव कौशल ने कहा कि वे जल्द ही लोकसभा और राज्यसभा सचिवालयों के वित्त प्रबंधन ढांचे का अध्ययन करवा लेंगे। उसके बाद जितनी जल्दी संभव होगा हरियाणा विधान सभा सचिवालय को उसके लिए आवंटित बजट को खर्च करने की प्रणाली विकसित कर दी जाएगी।

दैनिक बिलों की अदायगी में आ रही दिक्कत

ज्ञान चंद गुप्ता ने विधान सभा सचिवालय के दैनिक बिलों की अदायगी में आ रही परेशानियों को अधिकारियों के सम्मुख रखा। इस पर वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद कहा के विधान सभा की ओर से आने वाले बिलों की अदायगी में भविष्य में किसी भी प्रकार का विलंब नहीं होने देंगे।

जल्द देनी होगी रिपोर्ट, विधान सभा सचिवालय के बिलों नहीं रोकेगा वित्त विभाग

गौरतलब है कि विधान सभा लोकतंत्रीय प्रणाली का प्रमुख स्तंभ होने के साथ-साथ स्वायत्त निकाय भी है। इसके बावजूद विधान सभा सचिवालय के नियमित खर्चों के बिल प्रदेश सरकार के वित्त विभाग को जाते हैं। वित्त विभाग के अधिकारियों की अनुमति के बाद ही इन बिलों की ट्रेजरी से अदायगी हो पाती है। विधान सभा अध्यक्ष चाहते हैं कि विधान सभा सचिवालय के लिए आवंटित बजट की राशि को खर्च करने की पूरी व्यवस्था विधान सभा सचिवालय की होनी चाहिए। विधान सभा सचिवालय को नए पदों के सृजन के लिए भी वित्त विभाग और प्रदेश सरकार से अनुमति लेनी पड़ती है। यह विधायिका की स्वायत्तता(Financial Autonomy) के साथ न्याय नहीं है।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here