Holi Festival: होली में खुद को और अपने परिजनों को केमिकल वाले रंगो से बचाएं – डॉ केदार बतरा

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Holi Festival: होली में खुद को और अपने परिजनों को केमिकल वाले रंगो से बचाएं - डॉ केदार बतरा

पानीपत (सच कहूँ/सन्नी कथूरिया)। Holi Festival: रंगों के त्योहार होली की देशभर में धूम है। देश के सभी त्योहार अपने साथ खूब सारी खुशियां लेकर आता है, मन में उत्साह, उमंग, जोश, प्यार, भाई चारा, दिलों के गिले शिकवे भुला कर गले मिलने वाला पवित्र त्यौहार होता है, तरह-तरह के रंग-गुलाल व तरह तरह की मिठाईयां, गुजिया आदि खिला कर एक दूसरे का मेल-मिलाप होली को और भी खास बना देते हैं। Panipat News

हालांकि स्वास्थ्य संबंध में कहना यह है कि होली के उमंग-उत्साह के बीच अपनी सेहत का ध्यान रखना भी बहुत जरूरी है। विशेष तौर पर जिन लोगों को पहले से ही सांस की समस्या जैसे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस या फिर फेफड़ों की बीमारी है उन्हें और भी सर्तक हो जाना चाहिए।

केमिकल रगों से होती है काफी परेशानियां | Panipat News

होली के दिन चारों तरफ उड़ रहे रंग-गुलाल, सांस की समस्याओं के शिकार लोगों की लिए परेशानियां बढ़ा सकते हैं। वातावरण में फैले कैमिकल वाले गुलाल के एवं तरह – तरह के रसायनिक रंगों के कारण से आपको सांस लेने में दिक्कत, सांस फूलने की समस्या हो सकती है।

त्वचा को पहुंचाते हैं नुकसान

होली में बनने वाले कृत्रिम रंगों में इंडस्ट्रियल केमिकल्स का इस्तेमाल होता है. काले रंग में लेड ऑक्साइड, हरे में कॉपर सल्फेट, नीले में कोबाल्ट नाइट्रेट, जिंक सॉल्ट, लाल रंग में मरकरी सल्फेट जैसे रसायन मिले होते हैं. रंगों को शाइन देने के लिए मिका और ग्लास पार्टिकल्स भी मिलाए जाते हैं. इन केमिकल्स के कारण त्वचा पर एलर्जी, खुजली, ड्राईनेस, चकत्ते, फोड़े-फुंसी, घाव , अस्थाई रूप से आंखों की रोशनी जाना जैसी समस्याएं हो सकती हैं. बेहतर है कि होली के दिन हर्बल रंगों का इस्तेमाल करें, खासकर वे लोग जिनकी त्वचा बहुत ज्यादा संवेदनशील है।

हर्बल व जैविक रंगों से खेले होली | Panipat News

अगर हम फूलों के रंग से हर्बल रंग से/जैविक रंगों से होली खेलते हैं तो इसका हमारे मन और शरीर पर बहुत अच्‍छा प्रभाव पड़ता है। उनके मुताबिक, अगर हम फूलों के रंग से होली खेलेंगे तो स्किन के लिए भी फायदेमंद होगा। वहीं, कैमिकल कलर्स से होली खेलने से हमारी स्किन और आंखों में इरिटेशन की दिक्‍कत होती है तो वो भी नहीं होगी, अस्‍थमा के मरीजों के लिए हर्बल/जैविक रंगों से काफी हद तक नुकसान से बचा जा सकता है। अगर वे फ्रेगरेंस इंटॉलरेंट नहीं हैं तो फूलों के रंग/हर्बल रंगों से उन्‍हें कोई दिक्‍कत नहीं होगी।

कैमिकल वाले रंग किडनी को भी करता हैं प्रभावित

होली में इस्तेमाल किए जाने वाले काले रंग में मोजूद लेड आक्साइड सांस के जरिए शरीर में प्रवेश कर किडनी को डायरेक्ट नुकसान पहुंचा सकते हैं, होली खेलते समय किसी की आंख,नाक, कान, मुंह में जबरदस्ती रंग नही डालना चाहिए। Panipat News

होम्योपैथिक हर बीमारी का रामबाण

अगर किसी को किसी कारणवश कैमिकल वाले रंग से नुकसान हो भी जाए तो होम्योपैथी एक सुरक्षित और सौम्य चिकित्सीय तरीका है जो कई प्रकार की बीमारियों का प्रभावी उपचार कर सकता है और इसकी आदत भी नहीं पड़ती ।होम्योपैथी चिकित्सा से केमिकल वाले रंगो से हुए साइड इफेक्ट को भी आसानी से हटाया जा सकता है, यह आसानी से उपलब्ध भी हो जाती है।

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