पेट्रोलियम की बढ़ रही कीमतों से जनता परेशान

Petrol Diesel Price

भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही है। राजस्थान के श्रीगंगानगर में पेट्रोल की कीमत 100 रुपए से ऊपर पहुंच गई है, जो देश में पेट्रोल की सबसे अधिक कीमत है। मुंबई में भी पेट्रोल की कीमत 95.75 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गई है। केवल फरवरी महीने में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 10 बार बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि बीते 47 दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में 20 दफे बढ़ोतरी हो चुकी है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी कच्चे तेल की कीमत 13 महीनों में सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है और केवल वर्ष 2021 में कच्चे तेल की कीमत में 21 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।

एक तरफ वैश्विक स्तर पर आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होने से र्इंधन की मांग में बढ़ोतरी हुई है तो दूसरी तरफ ओपेक और सहयोगी देशों द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती करने से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में एक बैरल की कीमत 63.58 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। पेट्रोल और डीजल की अंतिम कीमत को समझने के लिए कच्चे तेल के पेट्रोल और डीजल में तब्दील होने की पूरी कहानी समझनी होगी। भारत कच्चे तेल का सबसे बड़ा आयातक देश है। भारत में लगभग 80 प्रतिशत कच्चे तेल का आयात किया जाता है, जबकि 20 प्रतिशत कच्चे तेल का उत्पादन देश में किया जाता है। वर्तमान में भारत में पेट्रोल एवं डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य का निर्धारण रोज तय किया जाता है। सरकारी तेल विपणन कंपनियां अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों की हर पखवाड़े यानी 1 और 16 तारीख को समीक्षा करती हैं। हालांकि, रोज सुबह छह बजे से पेट्रोल एवं डीजल की नई कीमत लागू होती है।

कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि मुद्रास्फीति को बढ़ा सकती है, जिससे भारतीय रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों में कटौती करने में परेशानी हो सकती है। यदि सरकारें पेट्रोल एवं डीजल पर आरोपित करों में कटौती करेंगी तो आम लोगों को जरूर राहत मिलेगी, लेकिन इससे केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजस्व में कमी आयेगी, जिससे उनका राजकोषीय संतुलन  गड़बड़ हो सकता है। बहरहाल, सरकारें उत्पाद कर या वैट कम करने के मूड में नहीं हैं। इससे उन्हें अपने राजस्व में कमी आने का डर है और कोरोना काल में सरकारें ऐसा जोखिम नहीं लेना चाहती हैं। हर राज्य में अलग-अलग दरों से वैट लगाए जाते हैं, जिसकी वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमत राज्यों में अलग-अलग होती है। ऐसे में आमजन को फिलवक्त इस मोर्चे पर कोई भी राहत मिलना मुश्किल प्रतीत हो रहा है।

 

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