20 गांवों के लिए वरदान बना रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल

टेल पर पहुंच रहा पूरा पानी, किसान बोले-निहाल हो गए

  • करीब 200 क्यूसेक चल रहा पानी, 27 हजार एकड़ भूमि की होरही सिंचाई

ओढां (सच कहूँ/राजू)। रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल ने किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार ला दिया है। नहरी बंदी के चलते पानी के अभाव मेंं किसान बौरवेल पर आश्रित थे। बोरवेल का खारा पानी भूमि के लिए उपयुक्त न होने के चलते न केवल पैदावार पर असर पड़ रहा था बल्कि भूमि की उर्वरक शक्ति भी धीरे-धीरे क्षीण होती जा रही थी। ऐसे में रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल किसानों के लिए वरदान बनकर आई।

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अधिकारियों के मुताबिक चैनल में इस समय करीब 200 क्यूसिक के आसपास पानी चल रहा है। इस समय किसानों को गेहूं में सिंचाई की बेहद आवश्यकता है। ऐसे में खरीफ चैनल में आया पानी किसानों के लिए अमृत साबित हो रहा है। किसानों ने खरीफ चैनल के पानी के लिए कई-कई किलोमीटर दूर तक भूमिगत पाइपें बिछाकर सिंचाई का प्रबंध कर रखा है। इस खरीफ चैनल का करीब 20 गांवों को लाभ मिल रहा है और तकरीबन 27 हजार एकड़ भूमि सींचित हो रही है। पिछले करीब 10 दिनों से टेल तक पर्याप्त मात्रा में पानी बह रहा है। ऐन मौके पर आए पानी से हर्षित किसानों के मुंह से यही निकल रहा है कि खरीफ चैनल में आए पानी ने निहाल कर दिया।

ये खरीफ चैनल किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। ये पानी फसलों के लिए नहरी पानी के मुकाबले अधिक लाभदायक है। जब गेहूं की बिजाई का समय था उस वक्त भी चैनल में पर्याप्त पानी था। जिसके चलते बिजाई अच्छी हो गई थी। अब सिंचाई भी बेहद अच्छी हो रही है। मैं तो बस यही कहूंगा कि इस खरीफ चैनल ने किसानों की आर्थिक दशा को मजबूत कर दिया है।
                                                                                                   सुखदेव सिंह ढिल्लो, किसान।

पिछले तकरीबन 7-8 दिनों से रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल मेंं पर्याप्त मात्रा में पानी बह रहा है। किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। ये पानी अकेले किसान के लिए ही नहीं भूमि के लिए भी भरपूर लाभदायक है। एक तो फसल अच्छी होगी और दूसरा भूमि की क्षीण हो चुकी उर्वरक शक्ति भी बढ़ेगी। समय पर पानी मिलने से इस बार गेहूं व सरसों की फसल बम्पर होने की उम्मीद है।
–शीशपाल लुटासरा, किसान।

किसानों को अगर पानी व बीज-खाद समय पर मिल जाए तो उसके लिए इससे बड़ा कुछ नहीं। खरीफ चैनल में इस समय पर्याप्त मात्रा में पानी बह रहा है। ये पानी किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित हो रहा है। ट्यूबवेलों का पानी तो एक मजबूरी है। हम खरीफ चैनल से भूमिगत पाइप लाइन के जरिए खेतों में सिंचाई कर रहे हैं। खरीफ चैनल की सिंचाई से फसल बेहद अच्छी होगी। अगर प्राकृतिक मार न हुई तो इस बार फसल खूब होगी।
–अमरजीत डूडी, किसान।

 

रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल में आए पानी ने किसानों की जान में जान डाल दी। इस समय पानी की बेहद जरूरत थी। पहले बिजाई के समय पानी आ गया और अब सिंचाई के समय। ये पानी भूमि की उर्वरक शक्ति में सुधार करेगा। बोरवेल से बार-बार सिंचाई होने के चलते भूमि कमजोर हो चुकी है। क्योंकि बोरवेल का पानी खारा होता है। अब चैनल में पानी आने के बाद बौरवेल की आवश्यकता ही नहीं। खरीफ की बर्बाद हुई फसल ने किसानोंं की आर्थिक स्थिति काफी प्रभावित की है। रबी की फसल खरीफ के जख्मों पर मरहम साबित होगी। मैं तो यही कहूंगा कि किसान खुश तो देश खुश।
–ओमप्रकाश बलिहारा, किसान।

 

रत्ताखेड़ा खरीफ चैनल किसानों के लिए खुशहाली बनकर आई है। इस बार चैनल में 4-5 बार पानी आया है। इस समय 4 से 5 फुट पानी चल रहा है। सफाई के अभाव में टेल तक पानी नहीं पहुंच पाता था, लेकिन सरकार द्वारा समय पर चैनल की सफाई करवाए जाने के बाद टेल पर पानी फुल है। ये पानी अकेले हमारे गांव के लिए ही नहीं बल्कि दर्जनों गांवों के किसानों के लिए लाभदायक सिद्ध हो रहा है। पहले नहर का पानी लग गया और अब खरीफ चैनल में पानी आ गया है। किसान खुश हैं। इस बार रबी की फसल से काफी उम्मीदें हैं।
-सुनील सहारण, किसान।

 

इस समय सिंचाई का दौर चल रहा है। ऐसे मेंं खरीफ चैनल मेंं आया पानी एक तरह से खुशहाली का प्रतीक है। समय पर सिंचाई हो रही है। यदि फसल अच्छी होती है तो अकेले किसान की ही नहीं बल्कि मजदूर व व्यापारी सहित अन्य वर्गांे की भी आर्थिक स्थिति में सुधार होना स्वाभाविक है। खरीफ की फसल प्राकृतिक आपदा के चलते खत्म हो गई। फसलों को पानी समय पर मिलने से रबी की फसल से उम्मीदें हैं। उन किसानों की भी आर्थिक स्थिति में अधिक सुधार होगा, जिन्होंने ऊंचे दामों पर जमीन ठेके पर लेकर काश्त की हुई है।
संदीप कूकणा, किसान।

जुलाई के बाद से खरीफ चैनल में लगातार पानी चल रहा है। इस समय चैनल में करीब 200 क्यूसिक पानी चल रहा है। घग्घर में आए पानी पर भी निर्भर होता है। इस समय घग्घर में पानी चल रहा है। उम्मीद है कि खरीफ चैनल में पानी चलता रहेगा। पर्याप्त मात्रा में पानी मिलने से किसान खुश हैं।
                                                                                       लखविंद्र सिंह, एसडीओ (सरसा डिवीजन)।

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