कुछ दिनों की राहत के बाद उत्तर व पश्चिम भारत में एक बार फिर गर्म हवाएं चलने का अंदेशा पैदा हो गया है। देश के अन्य हिस्सों में असानी चक्रवात के असर से कुछ राहत है। जहां लू चलने और तापमान बढ़ने की संभावना है, वहां की स्थिति पर मौसम वैज्ञानिकों की नजर है। मौसम विभाग ने दिल्ली समेत उत्तर भारत के कई राज्यों में एक बार फिर भीषण गर्मी और लू चलने को लेकर चेतावनी जारी की है। दिल्ली-एनसीआर और आसपास के राज्यों में पांच दिनों तक मौसम झुलसाने वाला रहेगा। राजस्थान, मध्य प्रदेश और हरियाणा के कुछ हिस्सों के लिए रेड और आॅरेंज अलर्ट जारी किया गया है। भारतीय मौसम विभाग ने वीकेंड में राजधानी दिल्ली के लिए भीषण लू की चेतावनी जारी की है क्योंकि दिल्ली में इन दिनों तापमान 40-46 डिग्री सेल्सियस के बीच बना हुआ है।
तापमान में बढ़ोतरी से अनेक तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, इसलिए लोगों की भरसक कोशिश होनी चाहिए कि वे गर्मी से बचाव करें। बच्चों को लेकर विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। इस संदर्भ में केंद्र सरकार की ओर से निर्देश जारी किया गया गया है कि स्कूली पोशाक के बारे में नियमों में ढील दी जाये, बाहर की गतिविधियों को कम किया जाये तथा विद्यालय के समय में बदलाव किया जाये। साल 2022 दुनिया के इतिहास के सबसे गर्म वर्षों में एक हो सकता है। भारत में इस साल के पहले चार महीने ऐतिहासिक रूप से सर्वाधिक गर्म साबित हुए हैं। आम तौर पर हमारे देश के बहुत बड़े हिस्से में गर्मी का मौसम जुलाई के शुरूआती दिनों तक रहता है, जो मॉनसून के देर से आने से बढ़ भी सकता है। इसलिए हमें अभी दो माह तक अत्यधिक तापमान का सामना करना है। जलवायु परिवर्तन के कारण आपदाओं की आवृत्ति भी बढ़ रही है तथा जलीय स्रोतों पर भी दबाव बढ़ता जा रहा है। ऐसे में हमें प्रकृति के प्रकोप के साथ जीने की आदत भी डालनी चाहिए तथा पर्यावरण संरक्षण पर भी प्राथमिकता के साथ ध्यान देना चाहिए।
ग्लोबल वार्मिंग का खतरनाक प्रभाव अब साफतौर पर दिखने लगा है। पर्यावरण के निरंतर बदलते स्वरूप ने नि:संदेह बढ़ते दुष्परिणामों पर सोचने पर मजबूर किया है। औद्योगिक गैसों के लगातार बढ़ते उत्सर्जन और वन आवरण में तेजी से हो रही कमी के कारण ओजोन गैस की परत का क्षरण हो रहा है। सार्वभौमिक तापमान में लगातार होती इस वृद्धि के कारण विश्व के पर्यावरण पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है, उससे मुक्ति के लिये जागना होगा, संवेदनशील होना होगा एवं विश्व के शक्तिसम्पन्न राष्ट्रों को सहयोग के लिये कमर कसनी होगी तभी हम जलवायु संकट से निपट सकेंगे अन्यथा यह विश्व मानवता के प्रति बड़ा अपराध होगा।
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