
Su-57 Technology Transfer: नई दिल्ली। भारत-रूस रक्षा सहयोग को नए आयाम पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा संकेत सामने आया है। 19 नवंबर को जारी रिपोर्टों के अनुसार, रूस ने भारत को अपने अत्याधुनिक पाँचवीं पीढ़ी के Su-57 स्टील्थ लड़ाकू विमानों की तकनीक हस्तांतरण का प्रस्ताव दिया है। रूसी अधिकारियों का कहना है कि भारत की भविष्य की आवश्यकताओं को देखते हुए किसी भी प्रकार की मांग पर बाधा नहीं होगी। India-Russia News
दुबई एयर शो 2025 के दौरान मीडिया से बातचीत में रूस की सरकारी रक्षा कंपनी रोस्टेक के प्रमुख सर्गेई चेमेज़ोव ने भारत के साथ दशकों पुराने सहयोग को याद करते हुए कहा कि दोनों देशों के रिश्ते भरोसे पर आधारित रहे हैं और आगे भी इसी तरह बने रहेंगे।
रिपोर्टों के अनुसार, यह प्रस्ताव ऐसे समय सामने आया है जब भारत और रूस के बीच उच्च-स्तरीय संवाद तेज़ हुआ है। हाल ही में विदेश मंत्री एस जयशंकर की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई मुलाक़ात को भी इस सहयोग का अहम हिस्सा माना जा रहा है। दिसंबर में पुतिन के प्रस्तावित भारत दौरे से पहले यह पहल महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
“भारत की सुरक्षा जरूरतों में हर संभव सहयोग”: रूस | India-Russia News
चेमेज़ोव ने कहा, “भारत और रूस वर्षों से विश्वसनीय साझेदार रहे हैं। जब भारत पर अंतरराष्ट्रीय पाबंदियाँ भी लगाई गई थीं, तब भी हमने उसकी रक्षा आवश्यकताओं को पूरा किया। आज भी भारत को जितने भी प्रकार के रक्षा उपकरण चाहिए, रूस समर्थन देने के लिए तैयार है।” उन्होंने विशेष रूप से S-400 की अतिरिक्त इकाइयों और Su-57 से संबंधित संभावित मांगों पर सकारात्मक रुख व्यक्त किया।
रोस्टेक की सहयोगी संस्था यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉर्पोरेशन (UAC) के महानिदेशक वादिम बडेखा ने कहा कि Su-57 को लेकर भारत की तकनीकी अपेक्षाएँ और प्रश्न पूरी तरह स्वीकार्य हैं और इस विषय पर दोनों देशों के अधिकारी नियमित संपर्क में हैं। इसी दौरान रूस की हथियार निर्यात एजेंसी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट ने भी पुष्टि की कि भारत को भविष्य की लड़ाकू विमान परियोजनाओं के लिए लाइसेंस उत्पादन, हथियार प्रणाली एकीकरण तथा अन्य अत्याधुनिक तकनीकों का प्रस्ताव दिया गया है। Rostec Russia
तकनीक हस्तांतरण और भारत में निर्माण की राह
रूसी प्रतिनिधियों ने बताया कि प्रस्ताव में कई स्तरों की उन्नत तकनीकों के हस्तांतरण की व्यवस्था है, जिसमें शामिल हैं—
- इंजन तकनीक
- आधुनिक ऑप्टिकल सिस्टम
- AESA रडार
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित अवयव
- लो-ऑब्ज़र्वेबिलिटी (कम दृश्यता) तकनीक
- आधुनिक एयर-टू-एयर तथा एयर-टू-ग्राउंड हथियार प्रणाली
- उन्होंने यह भी कहा कि Su-57 के दो-सीट वाले संस्करण पर भारत के साथ संयुक्त विकास का विकल्प भी खुला है।
भारत को आत्मनिर्भर रक्षा उत्पादन में बढ़त | India-Russia News
रूसी पक्ष का कहना है कि यह प्रस्ताव भारत को ऐसी स्थिति देता है जिसमें आपूर्ति शृंखला पर संभावित प्रतिबंधों का असर नहीं होगा और वह कई महत्वपूर्ण पुर्जों का निर्माण स्थानीय स्तर पर कर सकेगा। इसके साथ ही, लाइसेंस उत्पादन को धीरे-धीरे बढ़ाने और सॉफ्टवेयर व एवियोनिक्स में लंबे समय तक सुधार की क्षमता भी मिलेगी। रूस ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहल दोनों देशों के बीच छह दशक से अधिक समय से चल रही रक्षा साझेदारी की निरंतरता है, जिसने हमेशा पारदर्शिता और भरोसे को प्राथमिकता दी है।














