साधु का सुसाइड शूट, अकाउंटेंट और पति-पत्नी के टॉर्चर करने पर दे रहा हूं जान

बाड़मेर। (सच कहूँ न्यूज) ग्रामीण थाना क्षेत्र के गांव दांता में गौशाला के एक साधु ने (Suicide) फांसी का फंदा लगाकर अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। मरने से पहले साधु ने एक वीडियो के जरिए बताया कि तीन लोगों के टार्चर करने के कारण मैं अपनी जान दे रहा हूँ। विडियो सामने आने पर पुलिस विडियो की सच्चाई की जांच-पड़ताल करने में जुट गई है।

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सहायक स्टाफ भी गौशाला में सोया था | Suicide

ग्रामीण थानाधिकारी परबतसिंह से मिली जानकारी के अनुसार गांव दांता में पाबूजी राठौड़ नाम की गौशाला में 70 वर्षीय साधु दयालपुरी पिछल्ले 7-8 वर्षों से रह रहा था। गौशाला में कुछ सहायक स्टाफ भी रहता था। रात्रि को साधु सहित अन्य स्टाफ गौशाला में सोए थ। थानाधिकारी ने आगे बताया कि सुबह 5 बजे जब स्टाफ सोकर उठा तो दयालपुरी फंदे पर लटक रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर जिला अस्पताल पहुंचाया।

‘आज बहुत दुख भरी खबर है’

दयालपुरी ने मरने से पहले एक विडियो बनाकर तीन लोगों को अपनी मौत का जिम्मेवार ठहराया है। (Suicide) विडियो में वो कहते सुनाई दे रहे हैं ‘जय गोपाल, जय गौ माता…मेरा नाम दयालपुरी महाराज है। मैं श्री पाबूजी राठौड़ गौशाला चला रहा हूँ। आज बहुत ही दुख भरी खबर है। मैं मेरी जिंदगी को समाप्त कर रहा हूँ। बड़े मन से और प्रेम से जीवन को समाप्त कर रहा हूँ। विडियो में उसने आगे बताया कि चेनाराम बेनीवाल और उसकी पत्नी मुझे इतना टार्चर किया है कि मैं आज आत्महत्या कर रहा हूँ। राम गोपाल जोशी गौशाला का अकाउंटेंट है। मैंने उस पर बहुत भरोसा किया लेकिन वो मेरी गौशाला के सभी डॉक्यूमेंट लेकर फरार हो गया। दो दिन हो गए हैं वो डॉक्यूमेंट लेकर फरार है। मास्टर माइंड चेनाराम और उसकी पत्नी है। ये लोग जेल जानें चाहिएं।

‘कुछ लोगों के रुपये भी देने हैं’ | Suicide

दयालपुरी ने आगे कहा कि मेरे पूजनीय 1008 श्री प्रताप पुरी जी महाराज को मैं कहना चाहता हूँ कि जैसे अभी गौ माता को रखा वैसे आगे रखें। मेरा डॉक्टर है जसवंत सिंह, जो बड़े सेवाभाव से गौमाता की सेवा कर रहा है। इस सुसाइड विडियो में उन्होंने यह भी बताया है कि कुछ लोगों का हिसाब करना है और उन्हें रुपये भी देने हैं। आखिर में उन्होंने कहा कि मैं सुसाइड कर रहा हूँ क्योंकि में परेशान हूँ।’

ड्राइवरी करते थे पहले साधु दयालपुरी

प्रारंभ में दयालपुरी सरणू गांव में ड्राइविंग का कार्य करते थे। इसके बाद वे तारातरा मठ में साधु संन्यासी बन गए और गत 7-8 वर्षों से पाबूजी राठौड़ गौशाला का संचालन कर रहे थे। कोविड व लंबी बीमारी में भी उन्होंने गायों को बचाने का प्रशंसनीय कार्य किया था।

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