सच्चे सतगुरु जी ने मौत जैसा भयानक कर्म कंकर में बदला

Saint MSG Sachkahoon

बहन नीलम इन्सां पत्नी रामफल इन्सां गांव हजवाना ब्लॉक पूंडरी जिला कैथल (हरियाणा) और मौजूदा पता है सुखचैन कॉलोनी, सरसा। बहन नीलम इन्सां पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपने ऊपर हुई अपार रहमत का लिखित में वर्णन इस प्रकार करती हैं :-

बहन नीलम इन्सां बताती है कि जब हम लोग अपने पिछले गांव हजवाना (कैथल) में रहा करते थे, नाम शब्द तो मैंने पूज्य हजूर पिता से तब ही ले लिया था, लेकिन सत्संग या सेवा पर कभी कभार ही आ पाती थी। वर्ष 2004 में पता नहीं कैसे क्या हुआ कि डॉक्टरों ने अपने टैस्टों और अनुभवों के आधार पर मेरे सिर के अंदर कैंसर की गांठ बता दी। कै थल, जींद, पीजीआई रोहतक आदि सभी जगहों पर टैस्टों में एक यही सांझी बात बताई गई थी। जैसे ही मेरी इस बीमारी का पता मेरी ननद चांद कौर को चला तो, वह अपने गांव रामपुरा जिला कुरूक्षेत्र से मेरा हालचाल जानने के लिए हमारे पास आई। उसने भी डेरा सच्चा सौदा से नाम-शब्द लिया हुआ है। उसने मुझे डेरा सच्चा सौदा में पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां के दर्शनों के लिए चलने का आग्रह किया। लेकिन मेरे ससुराल वालों (यानि उनके माता-पिता आदि) सभी ने इस बात का जबरदस्त विरोध किया कि जब पीजीआई वाले इतने बड़े डॉक्टरों ने जवाब दे दिया है तो सरसे वाले बाबा (पूज्य गुरू जी) क्या भगवान हैं, जो इसकी बीमारी कैंसर को ठीक कर देंगे? मेरी ननद को पूज्य गुरू जी पर दृढ विश्वास था, उसने उन लोगों (अपने संबंधियों) की इन बातों पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया। वह मुझे लेकर सरसा दरबार में पहुंच गई।

शाम की रूहानी मजलिस में हमनें पूज्य गुरू जी के दर्शन किए। मजलिस की समाप्ति के बाद पूज्य शहनशाह जी ने बीमारों के लिए प्रसाद पर अपनी पावन दृष्टि तथा अपने पावन कर-कमलों का पवित्र स्पर्श प्रदान कर बीमारों को देने का वचन फरमाया। पूज्य पिता जी के वचनानुसार मैंने भी वो पवित्र प्रसाद पूरी श्रद्धा और सच्ची भावना रखते हुए लेकर खा लिया। अगले दिन रविवार को रूहानी सत्संग का कार्यक्रम था। हमनें पूरी एकाग्रता के साथ सत्संग सुना। पूज्य पिता जी ने सत्संग के दौरान अपने वचनों में ये भी फरमाया, ‘बेटा! दिन-रात लगातार नाम का सुमिरन करो, कैंसर जैसे भयानक रोग मालिक सेवा और सुमिरन के बहाने पल भर में ही काट देता है।’ इसके साथ ही पूज्य गुरू जी ने उसी दौरान ये भी वचन फरमाए कि अगर कोई जीव मालिक पर दृढ़ विश्वास करे और चिंता (टैंशन) न करे तो कैंसर का कोई भी मरीज 15-20 साल तक जिंदा रह सकता है।

मैंने अपने सतगुरू मुर्शिद कामिल के वचनों पर दृढ़ विश्वास रखते हुए सतवचन कहकर सेवा और सुमिरन करने के उद्देश्य से दरबार में एक पक्की समिति में अपना नाम दर्ज करवा दिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, अपनी शिफ्ट के अनुसार सेवा पर जरूर पहुंचा करूंगी। बीमारी वाला प्रसाद तो मुझे मिला ही मिला, साथ ही पूज्य हजूर पिता जी ने मुझे अंदर से भी शक्ति, आत्म-विश्वास प्रदान किया, जिससे मेरे अंदर जीने की इच्छा बन गई, जबकि उससे पहले मन हर समय उदास रहता था कि अब बचना तो है नहीं, जैसा कि डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा या उसमें लिख दिया था।

एक दिन मेरे सिर में बहुत ही तेज दर्द होने लगा। दर्द इतना भयानक था कि सहनशक्ति से परे। बहुत ही असहनीय दर्द था। मैं लेटे-लेटे ही सुमिरन, गुरूमंत्र का जाप करने लगी। इसी दौरान मेरी आंख लग गई। मुझे पूरा ख्याल है कि मैं उस समय गहरी नींद में नहीं थी, यानि मैं अर्द्ध जागृत अवस्था में थी। अचानक मुझे पूज्य सतगुरू पिता जी के साक्षात नूरी स्वरूप के दर्शन हुए। पूज्य सतगुरू दयालु पिता जी ने अपने पवित्र कर-कमल मेरे सिर पर रखकर मुझे आशीर्वाद प्रदान किया तथा अपनी ओर से दवाई आदि देकर वचन फरमाया, ‘‘बेटा! ये दवाई ले लो। इससे तेरा सिर दर्द सही हो जाएगा। चिंता नहीं करना। फिर कभी आकर इन गांठों को (कैंसर की) भी ठीक कर देंगे।’’ और ये वचन फरमाकर पूज्य पिता जी अचानक से वहां से ओझल हो गए।

इसके साथ ही मेरी आंख खुल गई। मैंने देखा चहुंतरफ नजर घुमाकर, वहां कमरे में कोई नहीं था। मेरे सिर का दर्द भी बिल्कुल गायब हो चुका था और मैंने अपने आप को बिल्कुल स्वस्थ पाया। प्यारे सतगुरू जी का यह बिल्कुल प्रत्यक्ष चमत्कार देखकर मेरे ससुराल वाले सभी सदस्य यानि सारे परिवार ने बिना कहे खुद-ब-खुद ही डेरा सच्चा सौदा सत्संग में जाकर सत्संग सुना तथा अपने आप ही पूज्य पिता जी से नाम-शब्द ले लिया। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार रहमत से मेरा कैंसर कैंसिल हो गया। मालिक की कृपा से अब मैं बिल्कुल तंदरूस्त हंूं। बीमारी का नामों निशान भी नहीं रहा है। अपने प्यारे दाता मुर्शिद जी का हम सारा परिवार कोटि-कोटि धन्यवाद करते हैं और यही इच्छा है, और आखिर तक यही कामना है कि हे मालिक, हमेशा अपने पवित्र चरण-कमलों में लगाए रखना जी।

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