स्कूल बसों के ड्राइवर अक्सर तोड़ते हैं नियम, कार्रवाई के नाम पर कुछ खास नहीं

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Gurugram News: स्कूल बसों के ड्राइवर अक्सर तोड़ते हैं नियम, कार्रवाई के नाम पर कुछ खास नहीं

जल्दबाजी के चक्कर में निजी स्कूल बस संचालक अक्सर तोड़ते हैं नियम

  • निजी स्कूल बसों की फिटनेस, ड्राइवर्स की लापरवाही पर कार्रवाई की दरकार
  • प्रशासन स्कूल संचालकों के साथ बैठकें करता है, कार्रवाई कभी नजर नहीं आती | Gurugram News

गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा)। Gurugram News: यह हकीकत है कि निजी स्कूलों की बसों के ड्राइवर जल्दबाजी के चक्कर में नियमों की खुलकर धज्जियां उड़ाते हैं। सुबह स्कूल जाते समय और दोपहर को स्कूल से जाते समय स्कूल बसों के चालकों की लापरवाही देखी जा सकती है। सुबह स्कूल पहुंचने की जल्दी और दोपहर को बच्चों को घर छोडऩे की जल्दबाजी में बसों के ड्राइवर यह नहीं देखते कि वे बच्चों की जान खतरे में डाल रहे हैं। स्कूल की अनदेखी, लापरवाही का ही नतीजा है कि कनीना के ग्रामीण क्षेत्र के स्कूल की बस के एक्सीडेंट में आधा दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो गई।

गुरुग्राम हो या कोई और शहर या कस्बा। हर जगह स्कूल संचालक अनदेखी करते हैं और बसों के ड्राइवर लापरवाही करते हैं। जल्दबाजी के चक्कर में यह लापरवाही बच्चों पर हर बार भारी पड़ती है। गुरुग्राम शहर की बात करें तो यहां सुबह 7 बजे से पहले स्कूल बसें सडक़ों पर आ जाती हैं। क्योंकि दूर-दूर स्कूल होने की वजह से बच्चों को आधे घंटे से ही अधिक समय पहले स्कूल बसें लेकर जाती हैं। सुबह 7 बजे तक शहर की सडक़ों पर स्कूल बसें ही नजर आती हैं। अक्सर यह देखा जाता है कि इन स्कूल बसोंं के ड्राइवर एक-दूसरे से पहले पहुंचने या फिर आगे निकलने के चक्कर में यातायात के नियमों की अवहेलना करते हैं। या तो वे अधिक स्पीड में बसों को निकालते हैं या फिर रेड लाइट में और या फिर रॉन्ग साइड से बसों को लेकर जाते हैं।

कहने को तो गुरुग्राम पूरा शहर सीसीटीवी की नजर में रहता है, लेकिन यातायात के नियम तोडऩे पर सीसीटीवी कैमरों से फुटेज के माध्यम से कितनी स्कूल बसों के रोज चालान होते हैं यह भी देखा जाना चाहिए। स्कूल बसें अक्सर छोटे वाहनों के दुर्घटना का कारण भी बनती हैं। क्योंकि इनके ड्राइवर यातायात सिगनल से निकलतते ही अधिक स्पीड बना देते हैं और आगे थोड़ी दूरी पर ही खड़े बच्चों को बिठाने के लिए अचानक बस को एक तरफ करके ब्रेक लगा देते हैं। इससे बसों के भीतर पहले से बैठे बच्चों का भी चोटिल होने का खतरा बना रहता है। स्कूल बसों में टीचर्स भी बैठे होते हैं, लेकिन वे बस ड्राइवर को शायद ही सावधानी से बस चलाने की कहते हों। अगर कहेें तो काफी हद तक स्कूल बसों के ड्राइवर्स की लापरवाही खत्म हो सकती है।

हादसे से सहमीं स्कूली बच्चों की माताओं ने जताई चिंता | Gurugram News

स्कूल बसों में जो अभिभावक अपने बच्चों को भेजते हैं, उनसे स्कूल मोटी रकम वसूलते हैं। इतना खर्चा देने वाले हर बच्चे को कायदे से सीट मिलनी चाहिए। लेकिन स्कूल बसों में यह नियम नहीं चलता। बसों में काफी बच्चे खड़े होकर भी यात्रा करते हैं। कनीना के हादसे का पता चलने पर छात्र मयंक एवं समायरा की मम्मी किरन, सचिन की मम्मी ज्योति अग्रवाल, रनवीर की मम्मी मोना अग्रवाल, युवराज सिंह एवं शिविका सिंह की मम्मी कृतिका सिंह सेंगर ने कहा कि स्कूल की बसों में बच्चों की सुरक्षा बहुत जरूरी है। हर बच्चे को सीट मिले और ड्राइवर जब स्कूल से बस लेकर चलते तो उसकी जांच भी होनी चाहिए। अगर ड्राइवर किसी तरह का नशा किए हुए मिले तो उसे तुरंत ड्यूटी से हटाना चाहिए।

उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि उनके व आसपास के बच्चों को भी स्कूल में भरकर ले जाया जाता है। वे शिकायत लेकर स्कूल प्रबंधन के पास जाते हैं, लेकिन स्कूल अभिभावकों की शिकायतों पर ध्यान नहीं देते। किरन का कहना है कि अब वे बाकी अभिभावकों के साथ मिलकर स्कूल प्रबंधन से मिलकर बच्चों की बसों में सुरक्षा पर बात करेंगी। बच्चों का जीवन खतरे में नहीं डाल सकते। बच्चों की सुरक्षा को लेकर उन्होंने पुलिस और प्रशासन से आग्रह किया है कि स्कूल बसों की की फिटनेस और बसों को लापरवाही से चलाने पर कार्रवाई करनी चाहिए।

यातायात नियमों में किसी तरह की छूट नहीं: विज

स्कूल संचालकों को बार-बार यातायात पुलिस की ओर से चेताया जाता है कि वे नियमों की किसी भी स्तर पर अवलेहना ना होने दें। डीसीपी यातायात पुलिस विरेंद्र विज कहते हैं कि यातायात के नियम तोडऩे वालों पर यातायात पुलिस की हमेशा सख्ती रहती है। निजी स्कूल संचालकों के साथ बैठकें करके उन्हें बसों से संबंधित कागजात, फिटनेस आदि को दुरुस्त रखने के लिए कहा जाता है। किसी को भी नियमों की अवहेलना करने की छूट, इजाजत नहीं है।

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