चुटकी में कट जाएंगे पाप-कर्म, बस आपको करना होगा ये काम

Saint Gurmeet Ram Rahim
Saint Gurmeet Ram Rahim चुटकी में कट जाएंगे पाप-कर्म, बस आपको करना होगा ये काम

सरसा। पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि गुरू पीर-फकीर के वचन अनमोल होते हैं। इन वचनों को सुनना सबसे अहम है, और इस अहम को और अहम बना देता है वचन सुनकर उस पर अमल करना। अगर आप हमारे वचनों को जीवन में अपना लें तो एक चुटकी में ही आपके जन्मों-जन्मों के पापकर्म कट जाएंगे।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि जिस प्रकार पुराने समय में बुखार होने पर कुनैन दिया जाता था। वैसे वो कड़वी होती थी, परंतु पीनी पड़ती थी, क्योंकि कुनैन एक रोग को तोड़ती है, परंतु पीर-फकीर के वचन जन्मों-जन्मों के रोग तोड़ देते हैं। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि सेवा व सुमिरन करो। वचनों के पक्के बनो। मालिक को मालिक से मांगो। घर-परिवार की संभाल करो। कोई भी बुरा कर्म तब ना करो जब मालिक देख रहा हो।

यानि कि बुरा कर्म करो ही ना, क्योंकि मालिक तो कण-कण, जर्रे-जर्रे में है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि रूहानियत, सूफीयत में एक बात सब से बढ़कर है वो है गुरू, पीर-फकीर के वचन सुनकर उन्हें मानना। और दूसरी बात है फकीर जब निगाह मारते हैं तो उसे सत्कार से लें। गुरू, पीर के वचन अल्लाह, वाहेगुरु, राम के वचन होते हैं। जैसा मालिक ख्याल देते हैं वैसे संत वचन करते हैं।

प्रभु-प्रेम में सच्ची खुशियां

 पूज्य गुरु संंंंत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंंंह जी इन्सां फरमाते हैं कि ज्यादातर दुनियावी मोहब्बत की नींव स्वार्थ पर टिकी हुई है। जब तक स्वार्थ-सिद्धि होती है, मतलब हल होता है तो आपस में प्यार है और जैसे ही स्वार्थ-सिद्धि बंद होती है तो वो प्यार जो सालों से बना होता है पल में टूट जाता है। दुनियावी प्यार कच्चे धागे की मानिद है और मालिक का प्यार एक ऐसा तार है जो कितना भी उसे कोई खींचे न वह टूटता है, न कोई बल पड़Þता है और वो ही दोनों जहानों का सच्चा साथी है। बाकि इस संसार में जब तक यह शरीर है और शरीर में आत्मा है, संगी-साथी मिल जाएंगे लेकिन जैसे ही यह शरीर किसी काम का न रहा तो जो आपको अपना कहते हैं वो सब मुंह फेर लेंगे। मालिक का प्यार ही एक ऐसा है जो कभी किसी को छोड़ता नहीं है। इंसान से चाहे कोई भी गलती हो जाती है और वो तौबा कर लेता है तो अल्लाह, राम का ही प्यार है जो उसे खुशियों से मालामाल कर देता है।

पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आज के इस घोर कलयुग में चारों तरफ गर्ज, स्वार्थ, बुराइयां, एक दूसरे की टांग खिंचाई, पार्टी बाजी का बोलबाला है। इन सबसे आत्मा तड़प जाती है। ऐसा करने वालों को क्या मिलता है, क्या उनको खुशियां हासिल होती हैं, जो किसी को गिराना चाहते हैं। क्यों किसी की निंदा-चुगली करते हैं? अपने आपको बड़ा साबित करने के लिए यदि आप ऐसा करते रहेंगे तो आप अपनी नजरों में भी एक दिन गिर जाएंगे। इसलिए अपने चरित्र को ऊंचा रखिए, इस तरह का न बनाइये कि लोग आपका मजाक उड़ाएं। यदि आप किसी का बुरा सोच रहे हैं या किसी को उकसा रहे हैं तो वह आग आपके घर-परिवार में ही जाएगी, दूसरे के घर में नहीं। जो आदमी कौन, कैसा है के चक्कर में नहीं पड़ता वो ही अपना और घर-परिवार का ही नहीं कुलोें का भी उद्धार कर लेता है।