‘‘बेटा, अब इसे दवाई मत खिलाओ। सभी सुमिरन करो, मालिक सब ठीक करेगा।’’

Shah-Satnam-Singh-Ji maharaj sachkahoon

यह बात सन् 1967 की है। मेरी पत्नी प्रकाशी बहुत ही ज्यादा बीमार हो गई। बहुत ईलाज करवाया परंतु आराम नहीं आया। डॉक्टरों ने उसका ऑपरेशन करवाने को कहा। इस पर मुझे ख्याल आया कि क्यों न इस बारे में पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से पूछ लिया जाए। उस समय गांव किशनपुर बराल में सत्संग था। वहां पर मैंने पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज से अपनी पत्नी की बीमारी के बारे में प्रार्थना की और कहा कि पिता जी, इसे दवाईयां दिलवा-दिलवाकर थक गया हूँ। अब आप जी का ही सहारा है। इस पर पूजनीय परम पिता जी ने फरमाया, ‘‘बेटा, अब इसे दवाई मत खिलाओ। सभी सुमिरन करो, मालिक सब ठीक करेगा।’’ पूजनीय परम पिता जी के पावन वचनानुसार मेरी पत्नी बिना दवाई के ही ठीक हो गई तथा उसका आॅपरेशन भी नहीं करवाना पड़ा।
डॉ. राम सिंह, बड़ौत, जिला बागपत (उत्तर प्रदेश)

कर्मों का लेखा-जोखा

हे मन ! तू हमारी इस सच्ची शिक्षा को ध्यान देकर सुन कि मृत्यु के बाद तेरे से तेरे किए कर्मों का हिसाब मांगा जाएगा। जिस तरह साहूकार अपने किसान के साथ बही खोलकर लेन-देन का हिसाब करता है, ठीक इसी प्रकार तेरे से भी भले-बुरे कर्मों का हिसाब पूछा जाएगा। जिस जीव की तरफ कर्मों का कर्जा बढ़ जाता है यानि धर्मराज की बाकी निकलती है, उसे धर्मराज उसी समय बुलाता है तथा मौत का फरिश्ता अजरायल जीव को लेने के लिए आ खड़ा होता है। फिर इसे कुछ भी नहीं सूझता कि किधर जाऊं? जीव उनसे किसी भी तरह से बच नहीं सकता, क्योंकि वे इसके गले में कस कर फंदा डाल देते हैं। इस झूठे काल के देश का सब सामान, यहीं पर ही पड़ा रह जाता है और अंत समय कोई भी सहायता नहीं करता।

आदि से अंत तक सदा एक सच (गुरूमंत्र) ही कायम रहता है और वही अंत समय जीव के काम आता है यानि उसकी सहायता करता है। मौत के बाद जब धर्मराज लेखा मांगता है तो बुरे कर्मों का कर्जा अधिक होने से जीवात्मा को बांधकर उसके दरबार में ले जाया जाता है। पांच किसान काम, क्रोध, लोभ, मोह तथा अहंकार जो इस शरीर रूपी भूमि में विषयों की खेती, यानि बुरे बुरे कर्म करते रहे तथा मन के अनुसार सब काम करते रहे, जीव के प्राण त्यागते ही वे सब भाग गए। कर्मों की सजा केवल आत्मा को ही भुगतनी पड़ती है।

इन पांच वैरियों ने रूह को साथ तो क्या देना था, बल्कि ये तो जीव को नरकों में ले जाने का काम करते हैं। हे प्राणी! तू मन में ये धारण किए हुए है कि मैं जो भी जुल्म अपराध तथा कोई नीच कर्म करता हूं, उसे कोई भी नहीं देखता। हे भाई! यह मत भूल क्योंकि देखने वाला मालिक तो सब कुछ अच्छा या बुरा तेरे अंदर बैठा ही देख रहा है। मृत्यु के बाद जब तुझे धर्मराज के दरबार में पेश किया जाएगा तो चित्र व गुप्त तेरे सब कर्मों का हिसाब करेंगे।

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