शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं, कैसे हो पाएगी डिजिटल मार्किंग?

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पुत्र पुस्तिकाओं की स्कैनिंग के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने मांगी निविदा

हिसार (सच कहूँ/संदीप सिंहमार)। Education News: अपनी लापरवाही व कार्यप्रणाली के लिए चर्चाओं में रहने वाला हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड एक बार फिर चर्चा में है। इस बार कक्षा दसवीं व 12 वीं उत्तरपुस्तिकाओं को जांचने को लेकर बोर्ड पूरे देश में चर्चा में बना हुआ है, क्योंकि शिक्षा बोर्ड वर्तमान में जारी 10वीं और 12वीं कक्षा की परीक्षाओं की उत्तरपुस्तिकाओं कि इस बार डिजिटल मार्किंग करवाने की घोषणा कर चुका है। दोनों कक्षाओं की परीक्षाएं अंतिम दौर में चल रही है। Hisar News

यहाँ सबसे बड़ी सोचने की बात यह है कि अब तक न तो किसी भी प्रकार का मार्किंग शेड्यूल जारी किया गया है और न ही मार्किंग करने वाले शिक्षकों को ट्रेनिंग दी गई है। हालांकि इस संबंध में 9 फरवरी व 4 मार्च को डिजिटल मार्किंग के लिए शिक्षकों को टेक्निकल जानकारी देने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु मंथन हो चुका है। पर अभी तक हरियाणा में एक भी शिक्षक को डिजिटल मार्किंग की ट्रेनिंग नहीं दी गई है। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड में डिजिटल मार्किंग एक नया प्रयोग है। नए प्रयोग से पहले यदि मार्किंग करने वाले शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं दी जाएगी तो ऐसी सूरत में सही मायने में मार्किंग की उम्मीद नहीं की जा सकती।

स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन भी कर चुकी विरोध | Hisar News

इसके लिए सरकारी स्कूलों में कार्यरत हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन पहले ही विरोध कर चुकी है। संगठन के राज्य प्रधान का कहना है कि 4 मार्च को डिजिटल मार्किंग की ट्रेनिंग का निर्णय होने के बावजूद भी अभी तक ट्रेनिंग न करवाना बोर्ड के साथ-साथ बच्चों के परीक्षा परिणाम पर भी भारी पड़ेगा। क्योंकि इसके लिए कोई भी शिक्षक ट्रेंड नहीं है।

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड कक्षा 10वीं 12वीं की उत्तर पुस्तिकाओं को स्कैनिंग करने के लिए निविदा सूचना विभिन्न समाचार पत्रों के माध्यम से जारी कर चुका है, जिसके लिए बयाना राशि 10 करोड रुपए निर्धारित की गई है। इससे एक बात और भी स्पष्ट हो गई है कि इस बार मार्किंग पर पहले से कई गुना ज्यादा खर्च होने की उम्मीद है। पहले ही आर्थिक संकट से जूझ रहे हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के लिए यह प्रयोग वास्तव में भारी पड़ सकता है।

2014 में सीबीएसई भी कर चुका है ट्रायल | Hisar News

यह भी याद रहे कि 2014 में देश के सबसे बड़े शिक्षा बोर्ड सीबीएसई तो बिहार राज्य का शिक्षा बोर्ड 2017 में डिजिटल मार्किंग का ट्रायल कर चुके हैं। लेकिन उनका ट्रायल फैल रहा था। इसी वजह से आज तक सीबीएसई ने दोबारा कभी भी डिजिटल मार्किंग की बात नहीं कही,बल्कि पहले की तरह मैन्युअल मार्किंग ही हो रही है। वर्तमान में आयोजित हो रही परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं की जांच के लिए हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड नवंबर माह में एक पायलट प्रोजेक्ट का ट्रायल कर चुका है। ट्रायल के दौरान भी विभिन्न प्रकार की तकनीकी खामियां सामने आई थी। परंतु इसके बावजूद भी शिक्षा बोर्ड अभी भी डिजिटल मार्किंग करवाने पर ही अड़ा हुआ है।

इस संबंध में हरियाणा स्कूल लेक्चरर एसोसिएशन के राज्य प्रधान सत्यपाल सिंधु ने बताया कि 9 फरवरी को शिक्षा बोर्ड प्रशासन के साथ हुई मीटिंग के दौरान भी डिजिटल मार्किंग की कमियों को लेकर चर्चा की गई थी, लेकिन इस पर अभी तक कोई गौर नहीं फरमाया गया है और ने ही डिजिटल मार्किंग को लेकर किसी भी प्रकार की ट्रेनिंग दी गई है। उन्होंने कहा कि यदि बिना ट्रेनिंग के डिजिटल मार्किंग होती है तो इसका बच्चों के परीक्षा परिणाम पर बुरा असर पड़ने के साथ-साथ परीक्षा परिणाम में देरी भी हो सकती है। इस पर बोर्ड प्रशासन को एक बार फिर से विचार कर पहले की तरह मैन्युअल मार्किंग करवानी चाहिए। Hisar News

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