ननकाना साहिब में आतंकवादियों का हंगामा

Nankana Sahib

पाकिस्तान में पवित्र धार्मिक स्थान ननकाना साहिब पर सांप्रदायिक भीड़ द्वारा की गई पत्थरबाजी व गेट को क्षति पहुंचाना निदंनीय घटना है। भले ही पाकिस्तान इस घटना को दो मुस्लिम समुदायों की झड़प कह इसके पीछे सांप्रदायिक तत्वों को नकार रहा है किंतु इस मामले ने पाकिस्तान की कमजोर सरकार व प्रशासन की पोल खोल दी है। कुछ मीडिया संस्थाओं ने जो तथ्य पेश किए हैं उनमें गत माह एक सिख परिवार की लड़की को अगवा कर निकाह करने वाले परिवार के सदस्य ही हुल्लड़बाजों का नेतृत्व कर रहे हैं, ऐसा बताया जा रहा है। यदि यह निजी मामला था तो हुल्लड़बाजों को इतना मौका कैसे मिल गया कि वह गुरुद्वारा साहिब के बिल्कुल नजदीक जाकर हंगामा करने में सफल हो गए।

घटना के बाद कई मुस्लिम संगठनों ने गुरुद्वारा साहिब को नुक्सान पहुंचाने की घटना की निंदा कर साबित किया है कि वास्तव में घटना घटी है दूसरी तरफ यह भी रिर्पोेट्स हैं कि पाकिस्तान पंजाब के गवर्नर व कुछ अन्य नेताओं ने लड़की का मामला कुछ दिनों पहले सहमति से निपटा दिया था। यदि यह मामला सुलझ गया था तो हुल्लड़बाजों का उद्देश्य निजी न रहकर सांप्रदायिक जैसा है। इस मामले में किसी भी तरह पाकिस्तान सरकार अपनी कमजोरी को छिपा नहीं सकती। कट्टरपंथी तत्व हिंदुओं व सिखों के खिलाफ पूरे पाकिस्तान में सक्रिय हैं।

ननकाना साहिब की घटना के बाद पेशावर में एक सिख पत्रकार के भाई की हत्या कर दी गई। दरअसल अल्पसंख्यकों पर हमले पिछले कई दशकों से हो रहे हैं। 2016 में खैबर पखतूनख्वा सरकार के एक सिख मंत्री स्वर्ण सिंह की भी आतंकवादियों ने हत्या कर दी थी। पाकिस्तान का एक मौजूदा विधायक लुधियाना में कपड़े की दुकान पर काम कर रहा है। दरअसल पाकिस्तान में केवल प्रधानमंत्री इमरान खान या उनकी पार्टी ही नहीं बल्कि हाफिज मौहम्मद सैय्यद सहित अनगिनत कट्टरवादी संगठन व आतंकवादी हैं जो पाकिस्तान में किसी अन्य धर्म या अल्पसंख्यकों को बर्दाश्त नहीं कर रहे।

श्री करतारपुर साहिब कोरीडोर खुलना एक ऐतिहासिक कदम था। उड़ी व पुलवामा में हुए हमले व बालकोट में भारत की एयरस्ट्राइक के बावजूद रास्ते को सफलतापूर्वक तरीके से खोला गया। दोनों देशों के बीच टकराव के बावजूद दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने कॉरीडोर खोलने के समारोह में भाग लिया था। ऐसे निर्णय पाक में बैठे कट्टरपंथियों व आतंकवादियों को हजम होना, मुमकिन नहीं। रास्ता खोलने साथ अंतरराष्टÑीय स्तर पर पाक की साख में सुधार हुआ था। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पाकिस्तान सरकार उन ताकतों के खिलाफ नरम रही है जो रास्ते के खिलाफ थे। पाक के पाले हुए सांप ही अब उसके लिए खतरा बन रहे हैं।

ननकाना साहिब मामले से भारत-पाक के बीच बातचीत शुरू होना असंभव लग रहा है। पाकिस्तान सरकार के लिए जरूरी बन गया है कि वह ऐसी नापाक ताकतों से सख्ती से निपटे, जो अल्पसंख्यकों के अधिकारों व उनके धार्मिक स्थानों की सुरक्षा के लिए चुनौतियां बन रही हैं।दियों का हंगामा

 

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