
गाजियाबाद( सच कहूँ /रविंद्र सिंह )। राजधानी दिल्ली से सटे हॉट सिटी में शुमार शहर गाजियाबाद में पुलिस आयुक्त जे. रविंद्र गौड़ के पदभार ग्रहण करने के बाद वर्ष 2025 में गाजियाबाद कमिश्नरेट में सड़क सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। सड़क दुर्घटनाओं और उनमें होने वाली मृत्यु दर में प्रभावी कमी लाने तथा शहर की यातायात व्यवस्था को अधिक सुगम, सुरक्षित, अनुशासित और जनोन्मुखी बनाने के उद्देश्य से यातायात पुलिस द्वारा आधारभूत संरचना, मानव संसाधन, प्रवर्तन, तकनीकी नवाचार और कार्मिक कल्याण के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण सुधार और नवाचार किए गए हैं।
प्रशासनिक एवं संरचनात्मक मजबूती
यातायात व्यवस्था की निगरानी को और प्रभावी बनाने के लिए अपर पुलिस उपायुक्त (यातायात) के स्थान पर पुलिस उपायुक्त (यातायात) की नियुक्ति की गई। साथ ही गाजियाबाद को यातायात की दृष्टि से तीन जोन में विभाजित करते हुए सहायक पुलिस आयुक्त (यातायात) की संख्या एक से बढ़ाकर तीन की गई, जिससे निर्णय प्रक्रिया और जवाबदेही में तेजी आई।
मानव संसाधन में उल्लेखनीय वृद्धि
यातायात पुलिस बल में बड़े स्तर पर बढ़ोतरी की गई है। निरीक्षकों, उपनिरीक्षकों, मुख्य आरक्षियों और आरक्षियों की संख्या बढ़ने से प्रमुख चौराहों, कंजेशन पॉइंट्स और दुर्घटना संभावित क्षेत्रों पर नियंत्रण अधिक सुदृढ़ हुआ है। यातायात ड्यूटी पॉइंट्स की संख्या भी 176 से बढ़ाकर 237 कर दी गई है।
सड़क अभियांत्रिकी एवं जाममुक्त अभियान
दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए अवैध कटों को बंद कर मानक यू-टर्न बनाए गए हैं। अब तक सात अवैध कट बंद किए जा चुके हैं। साथ ही 14 नए कंजेशन पॉइंट्स को चिन्हित कर सुधारात्मक कार्यवाही शुरू की गई है। अतिक्रमण के विरुद्ध निरंतर अभियान चलाते हुए हजारों नोटिस जारी किए गए हैं।
त्वरित प्रवर्तन और तकनीकी नवाचार
जनपद में जाम की स्थिति में त्वरित समाधान के लिए अतिरिक्त ट्रैफिक मोबाइल और इंटरसेप्टर वाहन तैनात किए गए हैं। एक्सप्रेस-वे और राष्ट्रीय राजमार्गों पर प्रवर्तन कार्यवाही को और प्रभावी बनाया गया है। यातायात कर्मियों की ड्यूटी अब डिजिटल सिस्टम के माध्यम से निर्धारित की जा रही है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है।
ई-रिक्शा नियंत्रण व महिला सुरक्षा
महिला सुरक्षा और अपराध नियंत्रण के दृष्टिगत शहर में संचालित सभी ई-रिक्शाओं को यूनिक नंबर आवंटित किए गए हैं, जिससे उनकी पहचान और निगरानी सुनिश्चित हुई है।
कर्मियों का कल्याण और प्रशिक्षण
यातायात पुलिस कर्मियों को मौसम से बचाव के लिए आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं। आईटीएस कॉलेज, मोहननगर में एक माह का विशेष व्यवहार प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित कर पुलिस कर्मियों को संवाद कौशल, तनाव प्रबंधन और जनसंपर्क में दक्ष बनाया गया।
जनसहभागिता और जागरूकता
ट्रैफिक मित्र योजना के माध्यम से नागरिकों की भागीदारी बढ़ाई जा रही है। साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के जरिए यातायात से जुड़ी सूचनाएं और अपडेट नियमित रूप से साझा किए जा रहे हैं। यातायात पुलिस द्वारा किए गए इन समग्र प्रयासों का सकारात्मक प्रभाव सड़क दुर्घटनाओं में कमी, यातायात प्रवाह में सुधार और आम नागरिकों के विश्वास में वृद्धि के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है।














