लंदन। आज 6 मई को लंदन के वेस्टमिंस्टर ऐबे चर्च में 80 मिनट (King Charles) तक राजा-रानी की ताजपोशी से जुड़ी रस्मों के बीच ब्रिटेन के नए राजा किंग चार्ल्स तृतीय और क्वीन कैमिला की ताजपोशी हो गई है। रस्मों के दौरान आर्चबिशप ने किंग चार्ल्स और क्वीन कैमिला को ताज पहनाए। किंग चार्ल्स ने 1661 में बना सेंट एडवर्ड का ताज पहना है। लेकिन ब्रिटिश राजशाही का प्रतीक माने जाने वाले कोहिनूर हीरे से जड़ा ताज क्वीन कैमिला ने नहीं पहना। जो अपने आप में ऐतिहासिक है।
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उल्लेखनीय है कि क्वीन विक्टोरिया ने सबसे पहले कोहिनूर (King Charles) को अपने मुकुट में जड़वा कर पहना था। 1901 में क्वीन विक्टोरिया की मृत्यु के बाद क्वीन कॉन्सोर्ट मैरी ने कोहिनूर जड़ा ताज अपने सिर पहना। उनके बाद महारानी अलेक्जैंड्रा ने इसे अपने ताज में जड़वाया। 1953 में एलिजाबेथ द्वितीय ने कोहिनूर सजा ताज अपने सिर पर पहना। एलिजाबेथ द्वितीय पिछले साल तक ब्रिटेन की महारानी थीं। माना जाता रहा है कि यह हीरा पुरुषों के भाग्यशाली नहीं है। इसलिए इसे हमेशा औरतें ही पहनती हैं।
रस्म में शामिल सोने का कलश और 12वीं सदी का चम्मच
ताजपोशी की रस्मों के दौरान आर्चबिशप ने सोने के कलश से पवित्र तेल लेकर किंग चार्ल्स के हाथ और सिर पर डाला। इसके लिए चर्च में उन्हें पर्दे लगाकर कवर किया गया था। इसके लिए सोने के कलश और 12वीं सदी की चम्मच का इस्तेमाल किया गया। इस स्टेप को पूरी सेरेमनी का सबसे पवित्र हिस्सा माना जाता है।
चर्च की सुरक्षा एवं न्याय के लिए थामी तलवार
महत्वपूर्ण रस्मों में किंग को न्याय के लिए तलवार सौंपी गई, आर्चबिशप ने कहा कि इसे हमेशा चर्च की सुरक्षा और न्याय करने के लिए इस्तेमाल करें। इसके अलावा उन्हें सोवरन आॅर्ब भी दिया गया। इस पर लगा क्रॉस ईसाई धर्म का प्रतीक होता है। प्रिंस विलियम ने उनके सामने घुटनों पर झुककर उनका हाथ चूमा और किंग को सम्मानित किया।
लोगों से दिलवाई वफादारी की शपथ
किंग चार्ल्स को ताज पहनाने के बाद आर्चबिशप ने लोगों से वफादारी की शपथ दिलवाई। क्वीन कैमिला को भी साधारण सेरेमनी कर क्वीन मैरी का ताज पहनाया गया। इसमें कोहीनूर नहीं लगा था। 1937 में क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने अपने पति किंग जॉर्ज की ताजपोशी के समय पहना था। वही, किंग चार्ल्स की ताजपोशी के बाद ब्रिटेन में 13 जगहों पर 21 गन सैल्यूट दिए गए। इनके बीच 10 सैकेंड का गैप रखा गया था।















