स्वास्थ्य विभाग द्वारा कम लिंगानुपात वाले गाँवों पर किया जा रहा विशेष फोकस
- पीएनडीटी के तहत दर्ज हो चुके 49 मामले
- जिले में एक हजार से ऊपर लिंगानुपात वाले भी 100 गाँव
कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। Kaithal News: जिले में गिरते लिंगानुपात की समीक्षा और उसमें सुधार को लेकर जिला स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार प्रयास किये जा रहे है लेकिन अभी भी जिले में ज्यादातर गाँव ऐसे है जिनमे लिंगानुपात के आंकड़े डराने वाले है। जिले के 278 गांवों में से अब भी 100 गांव ऐसे हैं जिनमें एक हजार लड़कों के पीछे बेटियों का आंकड़ा 750 से कम है। 29 गांवों में आंकड़ा 750 से 800 के बीच है। Kaithal News
इन्हें RED जोन में रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इन गांवों को रेड जोन में शामिल कर इन गांवों में बेटियां बचाने के लिए पूरा फोकस रखने का निर्णय लिया है। स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ डीएलएसए, पंचायते भी इस अभियान में अपनी भागीदारी बढाई जाएगी। वहीं 800 से 900 वाले जिले में 7 गाँव है। इन्हें येलो जोन में रखा गया है। इसी प्रकार 900 से 950 तक लिंगानुपात वाले गाँव की संख्या भी 7 है। 950 से 1000 वाले गाँवों की संख्या 33 है। 900 से उपर लिंगानुपात वाले गाँवों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा ग्रीन जोन में रखा जाता है। वहीं जिले में सराहनीय बात यह है कि एक हजार से ऊपर लिंगानुपात वाले भी 102 गाँव है।
पीएनडीटी के तहत 49 केस दर्ज | Kaithal News
आधुनिक जमाने में भी अभिभावक अब भी बेटियों के प्रति पूरी तरह से जागरूक नहीं हुए हैं। एक से अधिक बेटियां होने पर संकीर्ण मानसिकता वाले लोग गर्भ में भ्रूण की जांच कराते हैं। जिले में पिछले दस साल में पीएनडीटी के तहत करीब 49 एफआईआर दर्ज कराई गई हैं, जबकि 22 एमटीपी मिलने पर केस दर्ज हुए हैं। इनमेजुर्माना और सजा कोर्ट द्वारा ही तय किया जाता है। जिले में पीएनडीटी रजिस्टर्ड सेंटर 42 हैं।
इन 10 गाँवो में लिंगानुपात चिंताजनक
1. काकौत 6. नौच
2. सांच 7. पबनावा
3. करोड़ा 8. बाता
4. भुना 9. चंदाना
5. हरसौला 10. टयोंठा
पिछले 10 वर्षो में जिले का लिंगानुपात (स्वास्थ्य विभाग से उपलब्ध आंकड़े)
वर्ष लिंगानुपात (एक हजार लडको पर लडकियां)
2015 863
2016 887
2017 900
2018 916
2019 919
2020 922
2021 913
2022 921
2023 920
2024 907
2025 890 (जून तक )
लिंगानुपात गाँव | Kaithal News
750 से नीचे 100
751-800 29
800-900 07
900-950 07
950-1000 33
1000+ 102
(स्वास्थ्य विभाग से उपलब्ध आंकड़े)
कम लिंगानुपात वाले गांवों पर विशेष फोकस किया जाएगा
जिले में कम लिंगानुपात वाले गाँव में आंकड़े सुधारने के लिए 15 जुलाई से 28 जुलाई तक स्वास्थ्य विभाग इन गाँवों में विशेष जागरूकता कैंप लगा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के साथ साथ अन्य विभाग भी इसमें मिलकर काम कर रहे है जिनमे डीएलएसए, ग्राम पंचायते, आंगनवाडी वर्कर, एनजीओ शामिल है। जिले में स्थित अल्ट्रासाउंड सेंटर, एमटीपी सेंटर तथा आईवीएफ सेंटरों की निगरानी रखी जा रही है और उनका समय समय पर औचक निरीक्षण किया जा रहा है।
डीसी ने लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए जारी किए थे निर्देश
एक बैठक के दौरान डीसी प्रीति ने भी जिले में घटते लिंगानुपात पर संज्ञान लेते हुए निर्देश दिए थे कि जिले के गांवों में लिंगानुपात में सुधार लाने के लिए सभी मिलजुल कर काम करें। संबंधित कर्मचारी इस बात का ध्यान रखें कि किसी का पहला बच्चा यदि बेटी है तो विशेष रूप से उन महिलाओं की निगरानी करें। क्योंकि गर्भवती महिलाओं की सूचना रजिस्टर में दर्ज हो जाती है। इसके बाद उसकी निगरानी करें कि संबंधित महिला का यदि गर्भपात हुआ है तो वह क्यों और किस जगह हुआ है। ऐसे चिकित्सकों की जानकारी जुटाएं, जो इस कार्य में लिप्त हैं।
कम लिंगानुपात वाले गाँवों पर किया जा रहा विशेष फोकस | Kaithal News
कम लिंगानुपात वाले गांवों को रेड जोन में शामिल करके उन पर पूरा फोकस किया जा रहा है। गाँवों में जागरूकता कैंप आयोजित किये जा रहे है। 15 से 28 जुलाई तक भी कैंप आयोजित किया जा रहा है। लिंग जांच व गर्भपात कराने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गये है। 100 से ज्यादा गाँवों का लिंगानुपात बहुत ही अच्छा है, यह हमारे जिले के लिए सकारात्मक पहलु है। अच्छे लिंगानुपात वाली ग्राम पंचायतों को सम्मानित भी किया जाता है। अभिभावकों को चाहिए कि वे बेटियों के प्रति अपनी सोच को बदलें।
-डॉ रेनू चावला, सिविल सर्जन, कैथल।
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