प्राथमिकता से सुलझे पंजाब का मामला

The matter of Punjab settled on priority
तीन कृषि बिलों को लेकर केंद्र सरकार व पंजाब के बीच लगातार टकराव बढ़ रहा है। राष्ट्रपति से मिलने का समय नहीं मिलने पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरेन्द्र सिंह ने विधायकों सहित जंतर-मंतर पर धरना दिया। यदि संवैधानिक दृष्टिकोण से देखें तो किसी मुख्यमंत्री का केंद्र सरकार के खिलाफ धरने पर बैठना एक गंभीर मामला है। राष्ट्रपति द्वारा पंजाब के मुख्यमंत्री को मिलने का समय नहीं देना भी हैरानीजनक है। बातचीत व तालमेल संघीय ढांचें का आधार हैं। संघीय प्रणाली के अंतर्गत राज्य व केंद्र सरकार के बीच तालमेल जरूरी है। कोयले के संकट के कारण पंजाब में ब्लैक आउट होने की नौबत बन गई है, ऐसे में इस समस्या का का समाधान टकराव की बजाय सदभावना से होना चाहिए। लोकतंत्र में असहमति का बड़ा महत्व है। पंजाब सरकार को न तो राष्ट्रपति से समय मिला और न ही राज्य के सांसदों को केंद्रीय मंत्री मिले। यह सब लोकतंत्र व संसदीय प्रणाली के अनुकूल नहीं हैं।
नि:संदेह भले ही राष्ट्रपति पंजाब के बिलों से सहमत नहीं हैं, लेकिन यहां मामला केवल बिलों का नहीं बल्कि मालगाड़ियों का भी है जिस कारण पंजाब में कोयले का संकट, कच्चा माल नहीं मिलने से इंडस्ट्री को भारी नुक्सान, यात्रियों को समस्या, आगामी फसल के लिए यूरिया व खाद की कमी भी पैदा हो गई है। यहां राजनीतिक मामलों में आम आदमी पार्टी व शिरोमणी अकाली दल का अपना-अपना स्टैंड है लेकिन जहां तक पंजाब की जनता का संबंध है, इस मामले पर अब राजनीति बंद होनी चाहिए। शिरोमणी अकाली दल व आम आदमी पार्टी पंजाब सरकार के राष्ट्रपति को मिलने के फैसले को गलत करार दे रही है और वे प्रधानमंत्री को मिलने का तर्क दे रहे हैं लेकिन सवाल यह भी बनता है कि यदि कांग्रेस के विधायक प्रधानमंत्री को नहीं मिलने जाते, तो फिर आप और शिअद नेता खुद प्रधानमंत्री से क्यों नहीं मुलाकात कर रहीं।
शिअद, भाजपा और आम आदमी पार्टी तीनों ही पार्टियां पंजाब सरकार के बिलों के साथ सहमत नहीं लेकिन उक्त पार्टियां मालगाड़ियों व थर्मल प्लांट के मामलों में केंद्र तक अपनी आवाज उठा सकती हैं, क्योंकि बतौर सांसद व विधायक इन पार्टियों के नेताओं की भी यह जिम्मेवारी बनती है। राजनीतिक नजर से मामला त्रिकोणीय बना हुआ है लेकिन कांग्रेस को कोसने वाली पार्टियां भी अपनी जिम्मेदारी निभाने की बजाय केवल बयानबाजी तक सीमित हैं। केंद्र सरकार को सकारात्मक नजरिया अपनाकर समस्या का समाधान निकालना चाहिए।

 

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