चंडीगढ़: रक्तदान के महायज्ञ में आहुति डालने वाली चंडीगढ़ की साध-संगत का धन्यवाद

‘एक मुस्कान’ कैंपेन : चंडीगढ़ के ब्लॉक भंगीदास और जिम्मेवारों ने कैंपेन में बखूबी निभाई सेवाएं, बोले (World Thalassemia Day)

  • पीजीआई, मैक्स हॉस्पिटल और रोटरी ब्लड बैंक में किया 95 यूनिट खूनदान

  • थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के जीवन से संकट टालने में दिया अहम् योगदान

अश्वनी चावला/सच कहूँ चंडीगढ़। कोरोना के चलते लॉकडाउन के बीच देशभर में थैलेसीमिया से पीड़ित छोटे बच्चों का जीवन बचाने के लिए डेरा सच्चा सौदा ने ‘एक मुस्कान’ कैंपेन के तहत बड़े स्तर पर रक्तदान किया गया। रक्तदान के इस महायज्ञ में चंडीगढ़ की साध-संगत ने जोश और ज़ज्बे के साथ आहुति डाली। रक्तदान में बढ़ चढ़कर भाग लेने वाली साध-संगत का उत्साह वर्धन करते हुए ब्लॉक के जिम्मेवारों और ब्लॉक भंगीदास ने सभी धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के दौर में रक्तदान करना कोई छोटी बात नहीं थी और साध-संगत ने पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की अपार दया, मेहर, रहमत से अपना भरपूर योगदान देकर इन्सानियत का परचम लहराया है।

चंडीगढ़ ब्लॉक के भंगीदास मलराज इन्सां ने कहा कि चंडीगढ़ ब्लॉक ने मात्र कुछ घंटे की तैयारी में तीन अलग-अलग ब्लड बैंक में ‘एक मुस्कान’ कैंपेन के रक्तदान करते हुए थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को संकट से बाहर निकालने के लिए रक्तदान करके अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इस पुनित कार्य में डेरा बस्सी ब्लॉक की साध-संगत ने भी रक्तदान करके अहम योगदान दिया। साध-संगत के भारी उत्साह को देखकर ब्लड बैंकों के पदाधिकारी जहां बेहद प्रसन्न थे। वहीं उन्होंने साध-संगत की भावना को देखकर इन्हें इस मुश्किल वक्त के ‘सच्चे योद्धा’ कहा।

 कोरोना महामारी के चलते ब्लड बैंकों में रक्त की भारी कमी चल रही थी

इन्सानियत के ज़ज्बे को सर्वोपरि रखते हुए चंडीगढ़ ब्लॉक की तरफ से पीजीआई, मैक्स हॉस्पिटल और रोटरी ब्लड बैंक में पहुंचकर रक्तदान करने का फैसला लिया गया था। मलराज इन्सां ने आगे बताया कि शुक्रवार सुबह लगभग 10 बजे शुरू हुआ रक्तदान 4 बजे के करीब तक चला और जिसमें चंडीगढ़ ब्लॉक की तरफ से लगभग 95 यूनिट खून दान किया गया। उन्होंने बताया कि पीजीआई में 30 यूनिट, मैक्स हस्पताल में 38 यूनिट और रोटरी ब्लड बैंक चंडीगढ़ में 27 यूनिट खून दान किया गया।

उन्होंने कहा कि वे चंडीगढ़ की साध-संगत के साथ ही डेरा बस्सी ब्लॉक की साध-संगत का ही धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने इस मौके पर आगे आकर न सिर्फ अपना योगदान दिया, बल्कि ब्लॉक के जिम्मेवारों का हौसला भी बढ़ाया है। इसके लिए ब्लॉक के सभी जिम्मेवार साध-संगत के तहेदिल से आभारी हैं। इस मौके 15 मैंबर रणबीर सिंह, 15 मैंबर विक्की इन्सां, प्रेम इन्सां, भूषण इन्सां, संदीप इन्सां, लाल चंद इन्सां, ब्लॉक भंगीदास डेरा बस्सी देवेन्द्र इन्सां भी मौजूद थे। इन सभी ने रक्तदाताओं के लिए ब्लड बैंकों में विभिन्न सुविधा और इंतजामों में अहम् भूमिका निभाई थी।

क्या है थैलेसीमिया रोग

यह आनुवांशिक घातक रोग है। सामान्य रूप से शरीर में लाल रक्त कणों की उम्र करीब 120 दिनों की होती है, परंतु थैलेसीमिया के कारण इनकी उम्र सिमटकर मात्र 20 दिनों की हो जाती है। इसका सीधा प्रभाव शरीर में स्थित हीमोग्लोबीन पर पड़ता है। हीमोग्लोबीन की मात्रा कम हो जाने से शरीर दुर्बल हो जाता है तथा अशक्त होकर हमेशा किसी न किसी बीमारी से ग्रसित रहने लगता है।

बार-बार रक्त चढ़ाने की पड़ती है जरूरत

यह बीमारी दो प्रकार की होती है। माइनर थैलेसीमिया या मेजर थैलेसीमिया। किसी महिला या फिर पुरुष के शरीर में मौजूद क्रोमोजोम खराब होने पर बच्चा माइनर थैलेसीमिया का शिकार बनता है। लेकिन अगर महिला और पुरुष दोनों व्यक्तियों के क्रोमोजोम खराब हो जाते हैं तो यह मेजर थैलेसीमिया की स्थिति बनाता है। जिसकी वजह से बच्चे के जन्म लेने के 6 महीने बाद उसके शरीर में खून बनना बंद हो जाता है और उसे बार-बार खून चढ़वाने की जरूरत पड़ने लगती है।

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