गुरुग्राम, संजय कुमार मेहरा। आपने घरों की छतों पर सीमेंट बने ट्रैक्टर, बैल और पक्षी तो खूब देखे होंगे, लेकिन यहां एक किसान ने अपने घर की छत पर असली ट्रैक्टर ही खड़ा कर दिया। उसे शीशे का कमरा बनाकर धूप, धूल, मिट्टी, बरसात से सुरक्षित भी रखा गया है। हर कोई यह जानना चाहता है कि भले ऐसा क्या है इस ट्रैक्टर में।
जिला झज्जर के खंड बेरी निवासी किसान जितेंद्र सिंह कादयान पुत्र अत्तर ङ्क्षसह ने अपनी आलीशान कोठी के मेन गेट पर नीले रंग का न्यू हॉलैंड 3600-2 मॉडल का ट्रैक्टर शीशे का कमरा बनवाकर खड़ा कर रखा है। बिजली की लडिय़ों से ट्रैक्टर के कमरे की सजावट कर रखी है। ट्रैक्टर को इस तरह से सुरक्षित रखने के पीछे का कारण हमने किसान जितेंद्र ङ्क्षसह कादयान से जाना तो उन्होंने अपने शब्दों में ट्रैक्टर को देवता के समान बताया। ट्रैक्टर को माला भी पहनाई गई है। जितेंद्र सिंह कादयान के मुताबिक सरकारी बैंक से परिवार ने लोन लेकर यह ट्रैक्टर लिया था। वे चार भाई हैं। जब अलग हुए तो यह ट्रैक्टर उन्होंने ले लिया।
इसी ट्रैक्टर से पैसा कमाकर उन्होंने लोन चुकता कर दिया। उन्होंने यह ट्रैक्टर लेकर वर्ष 2009 में मिट्टी ढुलाई का काम शुरू किया था। 15 वर्ष तक उन्होंने इस ट्रैक्टर से 26 हजार घंटे काम करने के बाद इसको सुरक्षित रख लिया। यह ट्रैक्टर उन्होंने उस समय 3 लाख 85 हजार रुपये में खरीदा था। जितेंद्र सिंह के मुताबिक इस ट्रैक्टर की उनके लिए कोई कीमत नहीं है। यह ट्रैक्टर बेशकीमती है। इस ट्रैक्टर की चर्चा आसपास के 30-40 गांवों में है।
जितेंद्र सिंह कादयान के मुताबिक सरकारी बैंक से परिवार ने लोन लेकर यह ट्रैक्टर लिया था। वे चार भाई हैं। जब अलग हुए तो यह ट्रैक्टर उन्होंने ले लिया। इसी ट्रैक्टर से पैसा कमाकर उन्होंने लोन चुकता कर दिया। रोजाना करीब डेढ़ सौ ट्राली मिट्टी इस ट्रैक्टर से ढुलाई की जाती थी। फिर काम करते-करते बेरी में ही अपना घर बनाया। आलीशान घर दिखाते हुए किसान जितेंद्र कादयान कहते हैं कि यह सब इसी ट्रैक्टर की देन है। इसी ट्रैक्टर की देन यह घर है। ट्रैक्टर को वापिस लेने के लिए एजेंसी ने इसके बदले नया ट्रैक्टर देने का ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने यह कहकर मना कर दिया कि ट्रैक्टर उनके लिए लकी है। इसलिए वे इसे बेचेंगे नहीं। चाहे कोई कितनी भी कीमत लगाए। यह ट्रैक्टर उनके लिए बेशकीमती है। खास बात यह है कि यह ट्रैक्टर 15 साल में कभी खराब नहीं हुआ। कभी कोई खर्चा नहीं करवाया।
10 जुलाई 2024 को उन्होंने इस ट्रैक्टर से काम करना बंद कर दिया। उसी दिन को वे ट्रैक्टर की सालगिरह के रूप में मनाते हैं। यह ट्रैक्टर परिवार में खुशियों की सौगात लेकर आया था और वो खुशियां आज तक बरकरार हैं। जितेंद्र कादयान ने कहा कि ट्रैक्टर से पूरे परिवार का प्रेम और भावनाएं जुड़ी हुई हैं। यह परिवार घर के सदस्य से बढक़र है।